मानसिक गुलामी से मुक्ति का योग-मनोवैज्ञानिक सूत्र-

        🌷 मानसिक गुलामी से मुक्ति का योग-मनोवैज्ञानिक सूत्र 🌷
                               
       ✍हमारा देश भारत हजारों साल से अपने उच्च स्तरीय ज्ञान क्षमता के कारण सोने की चिड़िया तथा विश्वगुरु कहलाता था। हमारे पूर्वज ऋषि-मुनि रहे है, जिनके बदौलत ही हमारा देश समृद्ध तथा विश्वगुरु हुआ करता था।
             लेकिन अनेक कारणों से सैकड़ों वर्षों तक हमारा भारत देश गुलाम रहा।जिससे हम सब प्रकट रूप में तो आजाद हो गए, लेकिन मानसिक गुलामी से अभी तक पूर्णतः मुक्त नही हो पाए है। जो लोगों/ विद्यार्थियों में हीनभावना , नेतृत्व क्षमता की कमी तथा हमारे प्राचीन ज्ञान, सभ्यता-संस्कृति रूपी विरासत के प्रति अनभिज्ञता तथा अविश्वास आदि के रूप में आज भी विद्यमान है।
              जिसे देश को विकसित बनाने के लिए सुधारना अर्थात देशवासियों में आत्मविश्वास, आत्मगौरव, मनोबल बढ़ाना आवश्यक है। इस सुधार कार्य में नई शिक्षा पद्धति तथा पतंजलि योग का सहयोग सबसे महत्वपूर्ण माध्यम सिद्ध हो सकता है।
                 क्योंकि योग हमारी प्राचीन विरासत के साथ-साथ मानव मन-मस्तिष्क सुधार करने /उन्नत बनाने की संसार की सबसे बेहतर उन्नत, अद्वितीय, स्वदेशी, प्रमाणिक तकनीक है।
              जो कि भारतीय मन को गुलामी से मुक्त कर स्वयं के स्वामी बनने के साथ विश्व स्वामी बना सकने में सक्षम है, और विश्वप्रसिद्ध योग गुरु सम्माननीय स्वामी रामदेव जी इस बात के प्रत्यक्ष प्रमाण है। इस दिशा में स्वामी रामदेव जी का प्रयास सराहनीय तथा प्रेरणा-दायक है।
              वैसे तो भारतवासी/भारतीय विद्यार्थी हमारे ऋषि-मुनियो से आशीर्वाद के रूप में प्राप्त प्राचीन भारतीय सभ्यता-संस्कृति रूपी ज्ञान के प्रभाव से अपनी प्रतिभा का लोहा पूरे विश्व में मनवा रहे है। लेकिन अगर योग के साथ मनोविज्ञान का उपयोग हीनभावना दूर कर नेतृत्व क्षमता विकसित करने तथा आत्मविश्वास, बौद्धिक क्षमता को और अधिक उन्नत बनाने में किया जाय तो यह भारत को पुनः विकसित, विश्वगुरु देश बना सकने में सक्षम सिद्ध होगा।
              जिसके लिए योग साधना के अंतर्गत यम-नियम-आसन-प्राणायाम के साथ कुछ समय के लिए धारणा-ध्यान का अभ्यास करवाने से- मानव/ विद्यार्थियों का मन-मस्तिष्क एकाग्रता अर्थात विज्ञान की भाषा में  मन-मस्तिष्क की अल्फा तरंग अवस्था में आ पाता है, जो किसी चीज को गहराई से समझने, पुराने सोच को बदलने मैं ज्ञान को गहराई से ग्रहण कर सकने की उपयुक्त मनोदशा है।
             इस अवस्था में व्याख्यान या सुझाव के रूप में  सकारात्मक विचार, आत्मविश्वास बढ़ाने योग्य प्रेरणादायक प्रसंग सुनाना तथा अपने देश के विश्व गुरु तथा शिक्षा के प्रमुख केंद्र होने के साथ ऋषि-मुनियों के गौरवपूर्ण उपलब्धियों से परिचय करवाना तथा ऋषि-मुनियों द्वारा योग-ध्यान के माध्यम से अनुभव किए गए मानव/ विद्यार्थियों के अवचेतन मन की प्राकृतिक रुप से उपस्थित अपार मन मस्तिष्क की क्षमता से सम्बन्धित जानकारी देना/उसका एहसास करवाना आत्म विश्वास, आत्म-गौरव तथा प्राचीन भारतीय उपलब्धियों के गौरव से परिचित करवाने के रूप में देश प्रेम तथा विश्व बंधुत्व की भावना जगाने में सहायक है।
             यह देश समाज के हित, सुख-समृद्धि, सबलता, तरक्की तथा देश में छिपी अपार मन मस्तिष्क क्षमता को प्रकट कर शिक्षा तथा विज्ञान और टेक्नोलॉजी को उन्नत बनाने में सहायक है।
                         🌷  धन्यवाद  🌷
                    रामेश्वर वर्मा  (शिक्षक पं)
                   पथरिया,मुंगेली(छत्तीसगढ़)

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