शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने के लिए मोटिवेशन की आवश्यकता

        🍀  शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने के लिए मोटिवेशन की आवश्यकता  🍀
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              दुनिया में प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से सर्वाधिक प्रतिभा भारत में उपलब्ध होने के बावजूद विश्वस्तर पर भारतीय शिक्षा का स्तर अपेक्षाकृत कमजोर प्रदर्शित हो रहा है.वर्तमान में प्रदर्शित प्रतिभा की तुलना में कई गुना अधिक प्रतिभा विद्यार्थियों में अवचेतन मन-मस्तिष्क प्रतिभा के रूप में विद्यमान है, जिसका बहुत प्रतिभावान तथा विकसित देशों के विद्यार्थी जाने-अनजाने उपयोग कर रहे हैं। जो विभिन्न कारणों से प्रकट नही हो पा रहा है, जिसके अनेक कारणों में एक मुख्य कारण है -विद्यार्थियों को प्रतिभा के पर्याप्त विकास के अनुकूल प्रोत्साहन की कमी. जिसे शिक्षा स्तर को अधिक बेहतर बनाने के लिए सामूहिक प्रयास से सुधारा जाना अत्यंत आवश्यक है.
              भारतीय शिक्षा में गुणवत्ता सुधार के लिए विद्यार्थियों को आवश्यक सुविधा-संसाधन के साथ पढ़ाना-लिखाना (शिक्षा देना) तो जरूरी है। विषय का ज्ञान कराना भी बहुत जरूरी है, लेकिन उससे भी जरूरी है- उनके भीतर अवचेतन मन-मस्तिष्क के रूप में छिपी प्राकृतिक अपार मन-मस्तिष्क क्षमता को विकसित करने के लिए उनको मोटिवेट करना तथा मस्तिष्क क्षमता विकास सम्बन्धी शिक्षा /प्रशिक्षण और अनुकूल वातावरण उपलब्ध कराना, क्योंकि-
              प्रायः लगभग सभी विद्यार्थियों में प्राकृतिक रूप से अपार क्षमता, प्रतिभा विद्यमान है, जो पर्याप्त विकसित नही हो पा रहा है /जिसका पर्याप्त सदुपयोग नही हो पा रहा है. जो कि शिक्षा के क्षेत्र में मनोविज्ञान के साथ योग-ध्यान के मन-मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के रूप में उपयोग से ठीक तरह से सक्रिय / विकसित / प्रकट हो पाता है, लेकिन- मोटिवेशन से भी आसानी से सक्रिय, प्रकट,विकसित होता है।जो सार्वजनिक,प्रचारित नही हो पाया है।
                कुछ मोटिवेशनल कम्पनियों द्वारा काफी मंहगे फ़ीस के साथ इससे सम्बंधित शिक्षा / प्रशिक्षण दिया जाता है, लेकिन यह सर्वसुलभ नही हो पाया है।जिससे अधिकांश खासकर सरकारी स्कुल के विद्यार्थी इस तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं होने के कारण अपनी प्रतिभा का भरपूर उपयोग नही कर पाते। वर्तमान भारतीय शिक्षा पद्धति में इस तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं है। जिसके कारण ही विद्यार्थी साधारण प्रतीत होते हैं, और शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पा रहे हैं।इस दिशा में काफी प्रयास के बावजूद भी शिक्षा में अपेक्षित गुणवत्ता नहीं आ पा रहा है। इसके लिए विद्यार्थियों के भीतर छिपे प्राकृतिक मन-मस्तिष्क प्रतिभा / क्षमता को सक्रिय, विकसित  करने के लिए मोटिवेशनल प्रशिक्षण ,माहौल की सुविधा उपलब्ध करवाना शिक्षा स्तर को उन्नत बनाने, शिक्षा गुणवत्ता सुधार में सहयोगी होगा ।
                प्रोत्साहन की शक्ति से प्रायः सभी शिक्षक परिचित हैं। लगभग सभी शिक्षकों का अनुभव है कि- जो विद्यार्थी अधिक प्रोत्साहन प्राप्त करते हैं या जिनको पर्याप्त प्रोत्साहित किया जाता है, जिसकी तारीफ करते है, वे सामान्य से अधिक प्रतिभा का प्रदर्शन करते हैं।
               और जिनको हतोत्साहित किया जाता है- वे सामान्य से कम प्रतिभा का प्रदर्शन करते है। आज माहौल, देश- दुनिया-समाज में नकारात्मक सोंच, विचार-भाव रखने वाले तथा नकारात्मक व्यवहार करने वालों अर्थात विद्यार्थियों को हतोत्साहित करने वालों की संख्या बहुत है इसलिए भी विद्यार्थियों को प्रोत्साहन की बहुत जरूरत है।यह प्रोत्साहन या हतोत्साहित जितने अधिक लोगों द्वारा किया जाता है,उसका प्रभाव उसी अनुपात में अधिक होता है।
               इसलिए अधिकाधिक लोगों द्वारा विद्यार्थियों में छिपी प्रतिभा, बौद्धिक क्षमता को विकसित करने योग्य माहौल निर्मित करने में सहयोग करना देश-राज्य की शिक्षा को उन्नत बनाने में महत्वपूर्ण उपाय सिद्ध होगा.
               विद्यार्थियों को मन-मस्तिष्क की अल्फा तरंग अवस्था अर्थात कुछ समय योग करवाने अथवा व्यायाम की तरह अन्य शारीरिक गतिविधि करवाने के पश्चात शान्त, एकाग्र अर्थात ध्यान की अवस्था में लाकर अगर विद्यार्थियों में अज्ञानता अथवा परिस्थितिवश जाने अनजाने जो नकारात्मक विचार, भाव रुपी वायरस पैदा हुए हैं,उनको दूर करने के लिए सकारात्मक विचार रूपी एंटीवायरस बार-बार दोहराया जाए तथा प्रेरणादायक प्रसंग सुना कर प्रोत्साहित किया जाए तो विद्यार्थियों में प्रतिभावान विद्यार्थियों की तरह पढ़ाई के अनुकूल सकारात्मक विचार भाव का विकास होता है।जो प्रतिभावान विद्यार्थी बनने में पर्याप्त सहयोगी होता है।
              यह तकनीक विकसित देशों तथा हमारे देश के प्रसिद्ध कोचिंग संस्थानों में मनोचिकित्सा तथा मोटिवेशनल थैरेपी के रूप में आज भी प्रचलित है। जिसके कारण वहां का शिक्षा का स्तर भी बहुत उन्नत स्थिति में है।अगर वर्तमान शिक्षा पद्धति में भी ऐसा किया जा सका तो यह हमारे शिक्षा पद्धति तथा शिक्षा के स्तर को  उन्नत तथा विद्यार्थियों को प्रतिभावान बनाने वाला सिद्ध होगा।
                इसके साथ ही चूँकि विद्यार्थियों का पूरा कार्य मन-मस्तिष्क से जुड़ा हुआ है, इसलिए मन-मस्तिष्क क्षमता विकास से संबंधित शिक्षा दिया जाना भी आवश्यक है, तथा पढ़ाई में मन लगाने, मेमोरी पावर विकसित करने, विषय वस्तु को ठीक से समझ सकने, परीक्षा में प्रश्नों के उत्तर को अच्छे से लिख सकने, कैरियर गाइडेंस की शिक्षा दिया जाना भी आवश्यक है ।जिससे विद्यार्थी अपनी क्षमताओं का अधिकाधिक और बेहतर उपयोग कर सकेंगे।
              यह इसलिए भी जरूरी है,कि दुनिया, विज्ञान के विकास के साथ ही पहले की तुलना में पढ़ाई का कोर्स अधिक जटिल होता जा रहा है।जिसको ठीक से समझ पाने के लिए विद्यार्थियों के मन-मस्तिष्क क्षमता का विकसित / उन्नत होना आवश्यक है,और यह प्रकृति का आशीर्वाद है कि विद्यार्थीयों में खासकर लगभग 90% विद्यार्थियों में प्राकृतिक रूप से अपार मस्तिष्क क्षमता विद्यमान है जिसका अधिकाधिक सदुपयोग विद्यार्थियों तथा भारतीय शिक्षा को उन्नत बनाने, विश्वस्तरीय बना सकने में सक्षम है।
                          धन्यवाद
                रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं)
               पथरिया मुंगेली (छत्तीसगढ़)

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