जीवन विद्या- आधुनिक अद्वितीय ज्ञान

                जीवन विद्या- आधुनिक अद्वितीय ज्ञान 
       
              छत्तीसगढ़ स्कुल शिक्षा का हिस्सा रहे और देश विदेश में प्रचलित तथा नैतिक शिक्षा के रूप में पाठ्यक्रम में शामिल रहे चेतना विकास मूल्य शिक्षा (जीवन विद्या ) को नए सिरे से, नए नजरिये से देखने, पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। क्योकि अभी तक इस अद्वितीय जीवन उपयोगी ज्ञान को सही तथा व्यवहारिक रूप में ठीक तरह से समझा ही नही गया है।
         इसे निःशुल्क एवं कठिन रूप में प्रस्तुत किये जाने के कारण अधिकांश लोगों द्वारा इसे बहुत हल्के में लिया गया है। कुछ लोगो के द्वारा तो नासमझी के कारण इसका खिल्ली उड़ाते भी देखा गया है।
             यह कोई नया ज्ञान नही बल्कि वेद-पुराण, उपनिषदों, योग में वर्णित बह्म, आत्मा, परमात्मा, जीवन, अस्तित्व के वास्तविक रहस्य को गहराई से समझने की भारतीय आध्यात्मिक ज्ञान का ही एक "प्रामाणिक अध्ययन विधि रूप है"। मानव/विद्यार्थियो के भीतर छिपी समझ को बाहर लाने अर्थात मस्तिष्क विज्ञान की भाषा में बायें और दायें मस्तिष्क को मिलाने तथा मन की भाषा में चेतन मन तथा अवचेतन मन को  संयुक्त रुप से उपयोग कर सकने अर्थात मस्तिष्क की अल्फा अवस्था में लाने तथा जीवन, अस्तित्व, परमात्मा के सत्य को समझने के लिए योग तन्त्र ध्यान जैसी कठिन विधियों के स्थान पर सरल, व्यवहारिक अध्ययन विधि ही जीवन विद्या का मूल गहरा सारांश है।
              जीवनविद्या की भाषा में जीवन ज्ञान, अस्तित्व दर्शन ज्ञान, और मानवीयता पूर्ण आचरण ज्ञान तथा सामान्य जनजीवन या भारतीय आध्यात्म की भाषा में- आत्मज्ञान, ब्रम्हज्ञान, सत्य ज्ञान, अस्तित्व ज्ञान के लिए भारतीय योग, तन्त्र, ध्यान की कठिन साधनाओ को कर पाना सबके बस की बात नही है। इसी बात को ध्यान में रखकर जीवन विद्या के प्रणेता सम्माननीय नागराज जी ने अमरकंटक की वादियो में भारतीय योग की सबसे कठिन साधना धारणा ध्यान समाधि का सम्मिलित रूप  "संयम" की गहरी अवस्था में प्राप्त ज्ञान को सरल,सुलभ रूप -अध्ययन विधि के रूप में प्रस्तुत किये है।
               भारत में आध्यात्म अस्तित्व/प्रकृति, ईश्वर के रहस्य को समझने के लिए विज्ञान के जमाने में बुद्धजीवियोँ, विद्यार्थियो के लिये यह विधि अद्वितीय है।इसके प्रशिक्षको द्वारा इसे सरल स्थानीय और आधुनिक परिवेश के अनुकूल प्रस्तुत कर पाने के बजाय कठिन साहित्यिक भाषा में समझाये जाने के कारण इसे अभी तक ठीक से नही समझा जा सका है। अपेक्षित लोकप्रिय, व्यवहारिक नहीं हो पाया है। योग के रहस्य, ईश्वर के रहस्य, भारतीय आध्यात्म के रहस्य को बौद्धिक विधि से समझने के नजरिये से समझने पर ही जीवन विद्या के वास्तविक स्वरूप को समझा जा सकता है।
             समस्त आधुनिक मानव के लिए - व्यक्तियो, देश,समाज,प्रकृति /पर्यावरण के साथ तालमेल बनाकर सुख पूर्वक जीवन जीने,मिलजुल कर रह सकने, अर्थात विभिन्न सामाजिक समस्याओं बुराइयों को दूर कर सकने, प्रकृति पर्यावरण का संरक्षण सीखने, विद्यार्थियों को अच्छा इंसान बनाने में सहयोग कर सकने के साथ ईश्वर, अस्तित्व, भारतीय आध्यात्म के सत्य, रहस्य को समझने के लिए यह जीवन विद्या वर्तमान में दुनिया के सबसे सरल साधनाओं, सरल विधियों में से एक है। योग की भाषा में इसे कर्मयोग ,राजयोग, ज्ञानयोग कहा जा सकता है।
                                हरि-हर
                             * धन्यवाद *
                     रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं)                                           
                   पथरिया, मुंगेली( छत्तीसगढ़)

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