जीनियस प्रतिभा- E.Q. ( इमोशनल कोशन्ट)

    💎 *जीनियस प्रतिभा- E.Q. (इमोशनल कोशन्ट)* 💎

         ✍विद्यार्थियों में मुख्यतः दो प्रकार की प्रतिभा होती है। विद्यार्थियों की बुद्धिमत्ता को प्रदर्शित करने की प्रतिभा आई क्यू (IQ)अर्थात इंटेलिजेंस कोशन्ट( बुद्धिमत्ता) प्रतिभा से प्रायः हम सभी परिचित हैं।लेकिन इसके अलावा भी विद्यार्थियों में एक और प्रतिभा होती है-
              जिसे ई. क्यू.(E.Q.) अर्थात इमोशनल कोशन्ट या भावनात्मक बुद्धि/ सामाजिक बुद्धि कहा जाता है।यही वह प्रतिभा है जिसके विकसित होने पर विद्यार्थी जीनियस बनता है। ई.क्यू.(इमोशनल कोशन्ट) अर्थात भावनात्मक बुद्धि यह अपेक्षाकृत नया शब्द है, क्योंकि इसका सर्वप्रथम प्रयोग 1990 में प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक पीटर साल्वे और जान डी मेयर द्वारा किया गया।
         
             I.Q.अर्थात बौद्धिक प्रतिभा से विद्यार्थी बुद्धिमान होता है, लेकिन इसके साथ E.Q.अर्थात इमोशनल कोशन्ट के विकास से विद्यार्थी जीनियस (प्रतिभावान) बनता है। यह दांया मस्तिष्क, अवचेतन मन की प्रतिभा है।
       
            अभी तक हम अधिकतर विद्यार्थियों के मैमोरी पॉवर ,बुद्धि या तर्क शक्ति (गणितीय कौशल) से ही अधिकतर परिचित हैं।हम सब विद्यार्थियों में इसी क्षमता को विकसित करने पर जोर देते हैं। यह आई क्यू प्रतिभा है।लेकिन इसके साथ एक और प्रतिभा है। ई.क्यू.या भावनात्मक कौशल प्रतिभा इसे सामान्य भाषा में नैतिक शिक्षा भी कहा जा सकता है।इस प्रतिभा के विकास से विद्यार्थी बुद्धिमान होने के साथ-साथ चरित्रवान, अनुशासित तथा व्यवहार कुशल बनता है। जिस विद्यार्थी में यह दोनों गुण होता है उसी तरह के विद्यार्थी को जीनियस कहा जाता है।
             प्रायःसभी शिक्षाविद् शिक्षा के विकास के साथ विद्यार्थियों के नैतिक मूल्यों में गिरावट से काफी चिंतित हैं। क्योंकि नैतिक मूल्यों में गिरावट से ही देश और समाज में भ्रष्टाचार और अपराध बढ़ता है। अराजकता का माहौल निर्मित होता है, जो किसी भी देश और समाज के लिए बहुत घातक होता है। इसी के निदान के लिए शिक्षाविद् नैतिक शिक्षा पर अधिक जोर देने के पक्ष में हैं। यह नैतिक शिक्षा ही विद्यार्थियों में E.Q. प्रतिभा विकसित करता है।
            आजकल शासकीय, प्राइवेट सभी तरह के बड़े नौकरियों, जिम्मेदारी के पदों, ऍमबीए कोर्स में प्रतिभागियों के इस प्रतिभा को खास महत्व दिया जाता है।शिक्षा या कैरियर के क्षेत्र में भी इसके अपरिसीम उपयोग है। इस प्रतिभा के विकास से विद्यार्थी बुद्धिमान होने के साथ-साथ नैतिक प्रतिभा संपन्न बनता है। इसलिए शिक्षा में इस प्रतिभा के विकास पर विशेष ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। यह भविष्य में समाज से भ्रष्टाचार,अपराध को रोकने/सुधारने तथा अच्छा इंसान बनाने में सहयोगी है।
                                    🌷धन्यवाद🌷
                                 रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं)
                             पथरिया, मुंगेली (छत्तीसगढ़)
            

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