अंधविश्वास के प्रकार


              अंधविश्वास के प्रकार
           
              अंधविश्वास दो तरह के होते हैं। पहले तरह के अंधविश्वास से प्रायः सभी परिचित होते हैं, और वह है-अशिक्षित या कम पढ़े-लिखे लोगों का अंधविश्वास या श्रद्धा पूर्ण विश्वास है। जिसे पढ़े-लिखे लोग आसानी से समझ लेते हैं, लेकिन जरूरी नही की वह हमेशा ही अन्धविश्वास हो क्योकि कभी-कभी अशिक्षित समझे जाने वाले लोगों के पास भी प्राचीन परम्परा से प्राप्त कोई ऐसा ज्ञान भी होता है, जो बहुत उपयोगी तथा कीमती होता है, जो कि अच्छे-अच्छे पढ़े लिखे लोगों के पास भी नहीं होता,
              क्योंकि कम पढ़े लिखे लोगों द्वारा माने जाने वाले परंपरा से प्राप्त अनेक चीजों, मान्यताओं को विश्व स्तर पर अनेक विश्वविद्यालयो द्वारा वैज्ञानिक ढंग से प्रमाणित किया जा चुका है। जिसका जिक्र हम सबको आए दिन विभिन्न समाचार पत्र- पत्रिकाओं या टी वी समाचार चैनलों के माध्यम से देखने,सुनने को मिलता रहता है।
              इसलिए- पढ़े-लिखे (शिक्षित) लोगों को अपने मन-मस्तिष्क को नए चीजों को सीखने के लिए हमेशा खुला रखना श्रेयकर होता है।
             एक दूसरे तरह का भी अंधविश्वास होता है,जिसको पकड़ पाना या समझना बहुत मुश्किल होता है। इसके परिणाम अधिक खतरनाक होते है।
            और वह है पढ़े लिखे या शिक्षित लोगों का अंधविश्वास। सुनने में यह अटपटा लग सकता है कि पढ़े लिखे लोग अंधविश्वासी कैसे हो सकते हैं? लेकिन हमारे देश में बड़ी डिग्री, बड़े पद या आर्थिक दृष्टि से समृद्ध लोगों द्वारा कोई बात कही जाए तो उसे बिना तर्क या टीका-टिप्पणी के आसानी से मान लेते हैं।तो इस तरह बिना किसी सोच-विचार तर्क-वितर्क और बिना किसी शोध के किसी के भी बात को मान लेना भी एक तरह का अंधविश्वास है। इसी तरह का एक और अंधविश्वास है और वह यह कि-
            कोई नई बात, कोई विशेष बात,कोई अच्छा ज्ञान, कोई ऊंची बात किसी सामान्य व्यक्ति द्वारा कहा जाए तो उसे बिना सोचे-समझे ,उस विषय पर बिना कोई विशेष ज्ञान प्राप्त किए, प्रायः किसी भी पढ़े-लिखे आदमी द्वारा 1 मिनट में उसे अंधविश्वास या फालतू बात कह देने की परंपरा है।यही पढ़े लिखे लोगों का अंधविश्वास है। जिसको पकड़ना,समझना बहुत कठिन होता है,और यह सबसे खतरनाक होता है, क्योंकि पढ़े लिखे लोगों के अंधविश्वास को दूर करना सर्वाधिक कठिन होता है।
            देश की शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए तथा किसी चीज के प्रति सही ज्ञान प्राप्त करने के लिए इस तरह के अंधविश्वास को दूर करना अत्यंत आवश्यक है, क्योंकि किसी भी बात को बिना समझे अंधविश्वास,अवैज्ञानिक या फालतू कह देना या किसी विषय के बारे में विशेष जानकारी नहीं होने पर भी मैं सब जानता हूं- यह मानने की धारणा आदमी के सीखने की क्षमता और उस विषय के प्रति सही ज्ञान प्राप्ति के रास्ते को बंद कर देता है। किसी विषय पर बिना कोई विशेष ज्ञान प्राप्त किए, किसी भी सामान्य पढे लिखे व्यक्ति के द्वारा तत्क्षण नकारने की परंपरा सीखने की क्षमता तथा ज्ञान के विकास में बाधक है।
              विकसित देशों द्वारा किसी ज्ञान के बारे में वक्तव्य देने या टीका टिप्पणी करने से पूर्व उस विषय या ज्ञान पर पर्याप्त शोध करना ही उनके ज्ञान-विज्ञान या शिक्षा के क्षेत्र में काफी आगे बढ़ने का एक महत्वपूर्ण कारण है।इसलिए पढ़े लिखे व्यक्ति को हर संभव नए ज्ञान के लिए अपना मन मस्तिष्क सदा खुला रखना चाहिए। यह एक शिक्षित व्यक्ति का यह महत्वपूर्ण लक्षण है।
      🌷  धन्यवाद 🌷
         

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