🌷 *पतंजलि योग का शिक्षा गुणवत्ता सुधार में उपयोग* 🌷
 
         योग खासकर पतंजलि योग मानव चेतना, मानव मन-मस्तिष्क प्रतिभा/क्षमता विकास के क्षेत्र में दुनिया का सर्वोत्तम खोज तथा भारत के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। यह दुनिया का अद्भुत तथा बहुआयामी ज्ञान है। इसके द्वारा मानव मन-मस्तिष्क चेतना को विकसित कर शिक्षा के क्षेत्र में उपयोग कर सकने संबंधी जानकारी सार्वजनिक नहीं हो पाने के कारण इसे अभी तक आध्यात्मिक सिद्धि साधना संबंधी बहुत कठिन ज्ञान या साधना माना जाता रहा है।
          विश्व प्रसिद्ध योग गुरु सम्माननीय रामदेव जी द्वारा पतंजलि योग के क्षेत्र में किए गए अथक परिश्रम तथा शोध के फलस्वरूप विश्वभर के करोड़ों लोग इसका नियमित उपयोग कर स्वास्थ्य लाभ लेने लगे हैं।
          यह शारीरिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के उपाय की तरह विद्यार्थियों के मन-मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के रूप में शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत उपयोगी है।
          योग के प्रथम चार चरण यम नियम आसन प्राणायाम शरीर को स्वस्थ तथा सबल बनाने में उपयोगी है। लेकिन अगर इसके साथ पांचवें छठवें और सातवें चरण अर्थात प्रत्याहार, धारणा, ध्यान के साथ मनोविज्ञान के अंतर्गत मोटिवेशन रूपी मनोचिकित्सा का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में किया जाय तो- ह विद्यार्थियों के मन मस्तिष्क में छिपी अपार क्षमता, प्रतिभा को सक्रिय, प्रगट कर शिक्षा तथा विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में उपयोगी बना सकने के साथ विद्यार्थियों के पढ़ाई के दौरान आने वाली विभिन्न समस्याओं को भी सुधार सकने में समर्थ है।
          प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति में मन मस्तिष्क क्षमता विकास के लिए योग का उपयोग करने की तरह-
 वर्तमान में पिछले कई वर्षों से विकसित देशों में योग के ही सिद्धांत पर आधारित  विभिन्न मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीकों तथा व्यक्तित्व विकास तकनीकों का चलन जोरों पर है। जो वहां के शिक्षा तथा विज्ञान और टेक्नोलॉजी को उन्नत बनाने का आवश्यक संसाधन के पश्चात महत्वपूर्ण आधार है।
          लेकिन लार्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति पर आधारित वर्तमान शिक्षा पद्धति के अंतर्गत हमारे देश की प्रतिभा देश काल वातावरण के अनुसार उपलब्ध, सक्रिय मस्तिष्क क्षमता पर ही आश्रित है। जबकि विकसित देशों  में विज्ञान के उपयोग से अन्य चीजों की प्राकृतिक अवस्था में कई गुना सुधार करने की तरह  मस्तिष्क के प्राकृतिक रूप से छिपी अवस्था में उपलब्ध अपार मस्तिष्क क्षमता को शोध से सक्रिय, प्रकट कर कई गुना उन्नत अवस्था प्राप्त कर उसका शिक्षा तथा विज्ञान और टेक्नोलॉजी में उपयोग किया जा रहा हैं।
   इसलिए-
          अगर हमारे देश तथा राज्य छत्तीसगढ़ में भी आधुनिक विकसित देशों तथा प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति की तरह योग-ध्यान के साथ मनोविज्ञान का उपयोग विद्यार्थियों के मन- मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के रूप में किया जाए, तो यह शिक्षा के स्तर को अत्यधिक उन्नत कर सकने में सक्षम है।
          अगर ऐसा किया जा सका तो यह भारतीय, छत्तीसगढ़ की शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने  वाला सिद्ध होगा।
           योग के प्रथम चार चरणों के साथ प्रत्याहार धारणा ध्यान के उपयोग से प्राप्त एकाग्रता की अवस्था अर्थात विद्यार्थियों के मन मस्तिष्क की अल्फा तरंग अवस्था में मोटिवेशनल सुझाव के रूप में मनोविज्ञान का उपयोग- विद्यार्थियों में छुपी अपार मन मस्तिष्क क्षमता को सक्रिय, प्रकट करके शिक्षा के क्षेत्र में उपयोगी बनाने तथा विद्यार्थियों के पढ़ाई को बाधित करने वाले विभिन्न मनोविकारों को दूर कर विद्यार्थियों को जन्मजात अति प्रतिभावान विद्यार्थियों की तरह बना सकने में सक्षम है।
          छत्तीसगढ़ के साथ पूरे देश में  विभिन्न स्तरों पर विभिन्न रूपों में किये जा रहे शिक्षा गुणवत्ता सुधार संबंधी कार्य में अपेक्षित लाभ नहीं मिलने के बीच पतंजलि योग का विद्यार्थियों के मन मस्तिष्क की क्षमता विकास तकनीक के रूप में उपयोग शिक्षा गुणवत्ता को कई गुना बेहतर बना सकने में समर्थ सिद्ध होगा।
              🌷 धन्यवाद 🌷
            रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं)
      पथरिया, मुंगेली (छत्तीसगढ़)