योग का आधुनिक रूप (Modern form of Yoga)

                   योग का आधुनिक रूप
                  (Modern form of Yoga)

               योग सिर्फ शारीरिक रोग दूर करने, शारीरिक स्वास्थ्य पाने या अलौकिक सिद्धि प्राप्त करने की ही विधि नही बल्कि आधुनिक युग की भाषा में मन-मस्तिष्क क्षमता उन्नत करने, सुप्त मन-मस्तिष्क क्षमता को जगाने तथा विश्वप्रसिद्ध वैज्ञानिकों, गणितज्ञों, बुद्धजोवियों के समकक्ष मन-मस्तिष्क या बौद्धिक क्षमता उपलब्ध करने की विधि है।
               योग के मन-मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के रूप में- धारणा ध्यान और समाधि का समन्वित रूप संयम अथवा योग और मनोविज्ञान के समन्वित मनोचिकित्सा रूप के उपयोग से विज्ञान और टेक्नोलॉजी तथा शिक्षा के क्षेत्र में योग को अत्यधिक उपयोगी बनाया जा सकता है।अभी तक हम प्रायः इसके प्राचीन ढंग के प्रायोगिक अनुभव या इससे सम्बन्धित शास्त्रो में वर्णित उपलब्द्धि से ही परिचित है। जो कि योग के प्राचीन समय के देश,काल,वातावरण के हिसाब से उपलब्धि है।
               आधुनिक जमाने में आधुनिक देश, काल, वातावरण के हिसाब से उपयोग और उपलब्धि योग-ध्यान के उपयोग से प्राप्त हो सकता है। विकसित देशों में विभिन्न नामों से प्रचलित आधुनिक मन-मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के रूप में प्राप्त हो भी रहा है। वैज्ञानिक, गणितज्ञ और प्रतिभावान विद्यार्थी अपने अध्ययन या शोध कार्यो से योग के छठवे चरण धारणा तक पहुंच ही चुके हैं। जो धारणा ध्यान और समाधि की समन्वित अवस्था संयम अर्थात विज्ञान की भाषा में मन-मस्तिष्क की गहरी अल्फ़ा तरंग अवस्था को आसानी से उपलब्ध कर सकते हैं।
               जो अस्तित्व में नये ज्ञान प्राप्त कर सकने/ खोज-आविष्कार कर सकने की सर्वोत्तम मानसिक अवस्था है. जिससे विज्ञान के क्षेत्र में अनेक नोबल पुरस्कार प्राप्त कर सकने योग्य विश्वस्तरीय खोज, अविष्कार तथा अन्य विषयों में महत्वपूर्ण ज्ञान प्राप्त किया जा सकना सम्भव है।अर्थात शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाया जा सकना सम्भव है।
                इसको हमारे देश में आज तक जितने जटिल रूप में प्रचारित किया गया है। वास्तव में उतना जटिल है नही।सिर्फ योग को आधुनिक जमाने के हिसाब से तथा वैज्ञानिक ढंग से समझकर प्रस्तुत किये जाने की आवश्यकता थी। जो विश्व प्रसिद्ध योग गुरु सम्माननीय रामदेव जी के अथक प्रयास से संभव हो गया है। योग को सरल रुप में सार्वजनिक किया जा चुका है।
                हो सकता है कुछ लोगो को अभी भी कठिन/जटिल लगता हो क्योकि हम भारतीयो को अभी तक इसी रूप में परिचित करवाया गया था। पहले कुछ तथाकथित विद्वान् लोगो द्वारा इसे ठीक से नही समझ पाने के कारण तथा कुछ लोगो द्वारा स्वयं को गुरु सिद्ध करने तथा शिष्यो को मूढ़ बनाये रखने अथवा इसे गलत लोगो से बचाने के लिए आदि अनेक कारणों से इसे अत्यधिक कठिन रूप में प्रचारित किया गया था।
              परन्तु- आधुनिक युग में ज्ञान विज्ञान के पर्याप्त विकास के कारण तथा यह भारतीयो के लिए अनुवांशिक गुण होने के कारण अधिक कठिन नही है। कठिनता सिर्फ मान्यता है। योग भारतीयों का आनुवंशिक गुण है, क्योंकि भारतीयों के पूर्वज ऋषि थे जो योग किया करते थे, योग में पारंगत हुआ करते थे।
                 यह ऐसा ही है जैसे पढ़ाई में कमजोर लोगो या विद्यार्थियो द्वारा पूछे जाने पर पढ़ाई को बहुत कठिन बतलाया जाता है,परन्तु ऐसा है नही।इसी तरह पहले ध्यान, योग को सामान्य शिक्षा प्राप्त लोगो द्वारा समझाये जाने वैज्ञानिक बुद्धि के लोगो द्वारा अच्छे से शोध नही किये जाने के कारण कठिन रूप में प्रचारित किया गया था।
               अब हम सब भारतवासियों का सौभाग्य है कि विश्व प्रसिद्ध योग गुरु सम्माननीय रामदेव जी के अथक प्रयास से  योग अब दुनिया भर में सर्व सुलभ हो चुका है। यह पुरे विश्व में भारत के लिए गौरव की बात है। देश -विदेश में इस पर हुए रिसर्च से भी अब योग का सरल तथा उपयोगी रूप सामने आने लगा है योग का शारीरिक स्वास्थ्य वर्धक तकनीक के रूप में उपयोग होने के साथ-साथ अगर शिक्षा के क्षेत्र में मन-मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के रूप में भारतीय-विश्व शिक्षा में व्यापक उपयोग हो सका तो यह सोने पर सुहागा हो जाएगा।
यह योग तथा शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि सिद्ध होगी। योग तथा शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा।
                           * धन्यवाद *
                      रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं)
                  पथरिया, मुंगेली (छत्तीसगढ़)

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