शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने की योग तकनीक

              🌷 शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने की योग तकनीक 🌷
 
        ✍ शिक्षा में सुधार के लिए अनेक स्तर पर सतत विभिन्न उपाय/ प्रयास जैसे - शिक्षा पद्धति में बदलाव का प्रयास, कोर्स में बदलाव, नवाचार के रूप में पढ़ाने की तकनीक में बदलाव, प्रशासनिक बदलाव तथा शिक्षकों से दबाव पूर्वक ड्यूटी तथा पढ़ाई करवाने, आवश्यक संसाधन उपलब्ध करवाने, शिक्षकों को प्रशिक्षित करने आदि के अनेक प्रयास/ उपाय किए जा रहे हैं।
             लेकिन एक बहुत महत्वपूर्ण उपाय/ प्रयास है, जिसका उपयोग नहीं हो पा रहा है, और वह है- योग-मनोविज्ञान के उपयोग से मनोचिकित्सा के रूप में विद्यार्थियों के बौद्धिक प्रतिभा/क्षमता में सुधार अथवा विश्वस्तर पर प्रचलित किसी भी मन-मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के उपयोग से विद्यार्थियों के वर्तमान में सक्रिय चेतन-मन मस्तिष्क प्रतिभा/क्षमता में सुधार के साथ मन-मस्तिष्क के बेहतर उपयोग सम्बन्धी शिक्षा-प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध करवाना. 
             तथा इसके साथ-साथ विद्यार्थियों में अवचेतन मन-मस्तिष्क के रूप में जन्मजात प्राकृतिक रूप से छिपी अपार प्रतिभा/क्षमता को शिक्षा के क्षेत्र में उपयोगी बनाने सम्बन्धी शिक्षा/प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध करवाना. 
             क्योंकि जिस तरह स्वस्थ्य, सबल शरीर और खेल नियमों की जानकारी तथा अन्य आवश्यक प्रशिक्षण के बिना किसी खेल में पारंगत होना, अच्छा खिलाड़ी बनना कठिन है। 
              ठीक उसी तरह स्वस्थ, सबल मन-मस्तिष्क तथा इससे संबंधित विभिन्न जानकारी जैसे- मन-मस्तिष्क की क्रिया-विधि तथा इसके बेहतर उपयोग की जानकारी, पढ़ाई में मन लगाने, एकाग्रता बढ़ाने, पाठ्यवस्तु को बेहतर ढंग से याद कर, रख सकने आदि से सम्बन्धित शिक्षा- प्रशिक्षण के बिना अधिकांश विद्यार्थियों का पढ़ाई-लिखाई में पारंगत होना/ बेहतर प्रतिभा का प्रदर्शन कर पाना या अच्छा विद्यार्थी बनना अत्यंत कठिन है।
              जिसके लिए मनोविज्ञान के अंतर्गत मनोचिकित्सा अथवा -योग ध्यान के माध्यम/ उपयोग से मनोचिकित्सा तथा मन-मस्तिष्क प्रतिभा/क्षमता विकास सम्बन्धी शिक्षा/प्रशिक्षण आवश्यक है।
              इसके अंतर्गत मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक की शिक्षा तथा विद्यार्थियो के पढ़ाई में  रूचि नही होने/पढ़ने में मन नही लगने की समस्या के समाधान, विषय वस्तु को अच्छी तरह से समझ सकने, याद कर सकने और बेहतर ढंग से उत्तर दे सकने की शिक्षा/ प्रशिक्षण दिए जाने की सबसे अधिक आवश्यकता है।
              इस तरह के ज्ञान/ तकनीक की शिक्षा, प्रशिक्षण कुछ मोटिवेशनल कंपनियों के द्वारा दी जाती है, जो मंहगी फीस होने तथा इस ज्ञान के सार्वजनिक नहीं होने के कारण इस तरह के ज्ञान का लाभ अधिकांश विद्यार्थी नहीं उठा पा रहे हैं।जिसके कारण उनके प्रकृति प्रदत्त अपार प्रतिभा का वास्तविक सदुपयोग नहीं हो पा रहा है।
        इसके लिए योग को शारीरिक स्वास्थ्य, सबलता प्राप्त करने के साधन के साथ-साथ मन-मस्तिष्क क्षमता विकास, सक्रियता बढ़ाने के रूप में मानसिक लाभ को  भी ध्यान में रखकर प्रयोग करने /करवाने की आवश्यकता है तथा योगासन-प्राणायाम के पश्चात विभिन्न लोगों, शिक्षाविदों, शिक्षकों, शिक्षा शोधार्थियों, संस्थाओ के पास उपलब्ध विद्यार्थियों के पढ़ाई सम्बन्धी विभिन्न समस्याओं के सुधार में सहयोगी और मन-मस्तिष्क प्रतिभा के विकसित / सक्रिय /प्रकट होने में सहयोगी ज्ञान दिया जाना चाहिए। यह भी एक तरह का योग मन-मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक है।
         इस तरह का ज्ञान योग के साथ, योग के पश्चात दिया जाना सर्वाधिक उपयोगी तथा असरकारक है।
               इस तरह की शिक्षा/प्रशिक्षण के बिना भारतीय शिक्षा में गुणवत्ता सुधार अत्यंत कठिन है। यह शिक्षा का मूलभूत तत्व है जिस पर ध्यान दिया जाना सर्वाधिक आवश्यक है।यही वह मुख्य ज्ञान है, जिसके बदौलत प्राचीन काल में भारत विश्व गुरु हुआ करता था, और आज कुछ देश विकसित देश की श्रेणी में है।जहां की शिक्षा विश्व रैंकिंग में शीर्ष पर है। इसके पश्चात आवश्यक संसाधन तथा श्रेष्ठ प्रबंधन का नंबर आता है। जो शिक्षा गुणवत्ता सुधार में सहयोगी है।
                                      🌷धन्यवाद 🌷
         

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