☘ आधुनिक शिक्षा को विश्वस्तरीय बनाने का रहस्य 🌷🍀
✍ ध्यान - योग मनोविज्ञान के गहरे अध्ययन से ज्ञात होता है कि- अभी तक दुनिया, आधुनिक विज्ञान में जितने भी खोज- आविष्कार या महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुए हैं। वह सब मानव मन-मस्तिष्क के जिस स्थिति में हुए हैं वह जाने-अनजाने योग की एक महत्वपूर्ण मनोदशा ध्यान की एक अवस्था है। कुछ लोगों को यह अवस्था जन्मजात प्राकृतिक रूप या आनुवंशिक रूप से प्राप्त होता है, तथा कुछ लोगों को देश- काल-वातावरण के अनुसार प्राप्त शिक्षा संस्कार अथवा किसी रचनात्मक क्षेत्र में एकाग्रतापूर्वक किए गए विशेष प्रयास से प्राप्त होता है। लेकिन यह सब जाने-अनजाने उपाय है।
✍ ध्यान - योग मनोविज्ञान के गहरे अध्ययन से ज्ञात होता है कि- अभी तक दुनिया, आधुनिक विज्ञान में जितने भी खोज- आविष्कार या महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल हुए हैं। वह सब मानव मन-मस्तिष्क के जिस स्थिति में हुए हैं वह जाने-अनजाने योग की एक महत्वपूर्ण मनोदशा ध्यान की एक अवस्था है। कुछ लोगों को यह अवस्था जन्मजात प्राकृतिक रूप या आनुवंशिक रूप से प्राप्त होता है, तथा कुछ लोगों को देश- काल-वातावरण के अनुसार प्राप्त शिक्षा संस्कार अथवा किसी रचनात्मक क्षेत्र में एकाग्रतापूर्वक किए गए विशेष प्रयास से प्राप्त होता है। लेकिन यह सब जाने-अनजाने उपाय है।
इस अवस्था को ध्यान-योग के विधिवत उपयोग से भी अधिकांश विद्यार्थी उपलब्ध कर सकते हैं, तथा शिक्षा के क्षेत्र में अपना पर्याप्त योगदान दे सकते हैं, बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।
प्राचीन शिक्षा पद्धति की तरह ध्यान-योग के शिक्षा में उपयोग से भारतीय शिक्षा के स्तर को उन्नत किया जा सकना सम्भव है। विश्वस्तरीय बनाया जा सकना सम्भव है। क्योंकि यह हमारे देश के आधुनिक युग के लिए नया हो सकता है, लेकिन प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति में अनिवार्य हिस्से के रूप में शामिल रहे इस तकनीक का उपयोग विकसित देशों में ध्यान-योग के परिवर्तित नाम तथा आधुनिक रूप जैसे- मिड ब्रेन एक्टिवेशन, एनएलपी तकनीक, कृत्रिम पुनर्जन्म तकनीक आदि अनेक नामों के रूप में शिक्षा तथा विभिन्न क्षेत्रों में हो रहा है।
वर्तमान भारतीय शिक्षा पद्धति में योग के उपयोग का प्रयास काफी समय से जारी है, लेकिन वह अभी तक सिर्फ व्यायाम की तरह शारीरिक स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने तक ही सीमित रहा है। योग ध्यान का शिक्षा में इससे बहुत अधिक और कीमती उपयोग है। क्योंकि योग ध्यान मानव, विद्यार्थियों में छिपी अपार मस्तिष्क क्षमता को सक्रिय, प्रकट कर प्रतिभावान बनाने का यह दुनिया का सर्वोत्तम उपाय है।
आधुनिक युग में यह बात लोगों को नया, अटपटा, अविश्वसनीय, अवैज्ञानिक लग सकता है, लेकिन यह प्राचीन काल की शिक्षा पद्धति में प्रमाणिक रुप से उपयोग हुआ करता था।जिसके बदौलत ही भारत विश्वगुरु हुआ करता था। इस ध्यान योग के शिक्षा तथा विज्ञान और टेक्नोलॉजी में उपयोग कर भारतीय शिक्षा को उन्नत तथा विश्व में शिक्षा का प्रमुख केंद्र बनाना सम्भव है।
क्योंकि-
शिक्षा और विज्ञान तथा टेक्नोलॉजी भी मानव-मन मस्तिष्क पर आधारित है। तथा ध्यान-योग भी गहरे रूप में मानव मन-मस्तिष्क के विकसित रूप को प्रकट करने की प्राचीन उन्नत तकनीक है।
इस दिशा में विश्व प्रसिद्ध योग गुरु सम्माननीय रामदेव जी का सहयोग, योगदान सर्वोत्तम सिद्ध हो सकता है। पतंजलि विश्वविद्यालय तथा पतंजलि आचार्यकुलम में हो सकता है कि यह पहले से उपयोग होता होगा। परन्तु यह सार्वजनिक रूप से उपयोग नहीं हो पा रहा है। अगर सम्मानीय रामदेव जी तथा सभी योग गुरुओं, शिक्षाविदों के सहयोग से योग ध्यान का उपयोग प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति की तरह मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के रूप में भारतीय शिक्षा में सार्वजनिक उपयोग हो सका तो यह भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित होगा। भारतीय शिक्षा तथा विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि सिद्ध होगी।
🌸धन्यवाद 🌸
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