🌷🌲 *आधुनिक युग में योग-ध्यान की उपयोगिता* 🌲🌷
✍ भारत की प्राचीन विद्या योग अब धीरे-धीरे पुनः विश्व भर में विस्तारित/ प्रभावी होने लगा है। भारत को योग का प्रमुख केंद्र, योग का विश्वगुरु बनाने की ओर अग्रसर है। योग चूँकि प्रत्येक मानव के लिए शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक तथा सांसारिक रूप से लाभदायक है, इसलिए इसका विस्तार सबके हित में है।
योग वास्तव में किसी धर्म संप्रदाय की चीज नहीं बल्कि शुद्ध रूप से एक विश्व विज्ञान की तरह मानव विज्ञान है। खासकर पतंजलि योग पूरी तरह वैज्ञानिक प्रक्रिया पर आधारित है।जो हजारों साल से विज्ञान की तरह प्रमाणित होने के कारण इसे आज भी प्रमाणित करके देखा जा सकता है। इसलिए यह सब के लिए बहुउपयोगी है।
योग के आठ चरण- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि है। जिसमें से यम नियम आसन प्राणायाम मानव को शारीरिक रूप से स्वस्थ सबल बनाता है। जिस से अब सभी परिचित होने लगे है। और इसके साथ प्रत्याहार धारणा ध्यान का उपयोग मानव विद्यार्थियों को मानसिक रूप से स्वस्थ, सबल बनाने की प्रक्रिया है। इसके साथ ध्यान तथा समाधि आध्यात्मिक उपलब्धि का हिस्सा है। जिससे आत्मा (चेतना), परमात्मा (परम चेतना), अस्तित्व के सत्य का ज्ञान/ अनुभव होता है।
योग के पांचवे, छठवें, सातवें चरण को प्रत्याहार-धारणा-ध्यान कहा जाता है। यह मनुष्य के मन-मस्तिष्क की शांत, निर्विचार अवस्था है।विज्ञान की भाषा में यह मस्तिष्क की अल्फा तरंग की अवस्था है।जो मानव मन-मस्तिष्क से सीधे सम्बंधित होने के कारण शिक्षा के क्षेत्र में बहुत उपयोगी है। यह योग के प्रथम चरण से प्रारंभ कर धीरे-धीरे अभ्यास करते हुए सातवें चरण तक पहुंच कर ध्यान अनुभव किया जा सकता है।ध्यान सीधे भी किया जा सकता है।देश-दुनिया में इसकी अनेक प्रक्रियाएं उपलब्ध है। लेकिन अच्छे रिजल्ट के लिए यम नियम का पालन करते हुए क्रमशः आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान का उपयोग सहयोगी होता है।
आधुनिक मनुष्य के लिए योग-ध्यान बहुत ही जरूरी हो गया है।आज के आधुनिक दुनिया और जटिल जिंदगी में यदि आप मानसिक तनाव मुक्त जीवन के साथ ही शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो योग-ध्यान को अपनाने की बहुत आवश्यकता है।
आधुनिक युग में प्रायः हर आदमी जिंदगी की व्यस्तताओं, जटिलताओं, पर्यावरण प्रदूषण, शोरगुल तथा विभिन्न आधुनिक मशीनों से निकलने वाले सुक्ष्म तरंगों के प्रभाव से शारीरिक, मानसिक तनाव तथा थकान अनुभव करता है। योग-ध्यान से इसके दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।निरंतर योग-ध्यान करते रहने से शरीर-मस्तिष्क में नई सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता में सहयोगी है
योग-ध्यान करने से शरीर की प्रत्येक कोशिका के भीतर प्राण शक्ति,जीवन्तता का संचार होता है।जिससे शरीर स्वस्थ, सबल महसूस होता है।शरीर में प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
योग-ध्यान से भरपूर लाभ प्राप्त करने के लिए नियमित अभ्यास करना आवश्यक है।योग में ध्यान का स्थान बहुत ऊंचा है।ध्यान के अनेक प्रकार / विधि है।ध्यान करने के लिए सबसे सरल विधि है - किसी साफ-स्वच्छ, हवादार, शांत वातावरण में योग प्राणायाम करने के पश्चात आंखें बंद करके बैठ जाएं।या शवासन की मुद्रा में शांत लेटे रहें।पांच-दस मिनट तक बंद आंखों के सामने के अंधेरे या प्रकट होते विभिन्न रंगों या प्रकाश को देखते रहें, और आनंदित महसूस करें/ शरीर में उर्जा का संचार अनुभव करें। अथवा किसी सुंदर प्राकृतिक वातावरण में अपने आप को बैठा हुआ या टहलता हुआ अनुभव करें।फिर धीरे से आँख खोलकर उठ जाएं।इससे शारीरिक मानसिक स्वस्थता तथा ताजगी का एहसास होता है। एक और प्राचीन ध्यान विधि है जिसमें अपने आती-जाती श्वास को 5 -10 मिनट शांत चित्त से देखते रहे इसे विपस्सना ध्यान कहा जाता है। अथवा शांत होकर सौ से एक तक उलटी गिनती प्रारंभ करें और अपने आप को रिलैक्स और आनंदित महसूस करते रहें।
इसके अलावा भी और भी ध्यान की अनेक विधियां हैं। जो लोगों के अलग-अलग व्यक्तित्व के हिसाब से उपयोगी होता है।यह प्रत्येक मनुष्य/ विद्यार्थियों के भीतर प्राकृतिक रूप से छिपी अपार मन-मस्तिष्क क्षमता को भी प्रकट करने,सक्रिय करने और सक्रिय कर बहुमुखी प्रतिभावान बनाने में सहयोगी है।
🌷 धन्यवाद 🌷
रामेश्वर वर्मा (शिक्षक )
पथरिया, मुंगेली(छ.ग.)
✍ भारत की प्राचीन विद्या योग अब धीरे-धीरे पुनः विश्व भर में विस्तारित/ प्रभावी होने लगा है। भारत को योग का प्रमुख केंद्र, योग का विश्वगुरु बनाने की ओर अग्रसर है। योग चूँकि प्रत्येक मानव के लिए शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक तथा सांसारिक रूप से लाभदायक है, इसलिए इसका विस्तार सबके हित में है।
योग वास्तव में किसी धर्म संप्रदाय की चीज नहीं बल्कि शुद्ध रूप से एक विश्व विज्ञान की तरह मानव विज्ञान है। खासकर पतंजलि योग पूरी तरह वैज्ञानिक प्रक्रिया पर आधारित है।जो हजारों साल से विज्ञान की तरह प्रमाणित होने के कारण इसे आज भी प्रमाणित करके देखा जा सकता है। इसलिए यह सब के लिए बहुउपयोगी है।
योग के आठ चरण- यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, समाधि है। जिसमें से यम नियम आसन प्राणायाम मानव को शारीरिक रूप से स्वस्थ सबल बनाता है। जिस से अब सभी परिचित होने लगे है। और इसके साथ प्रत्याहार धारणा ध्यान का उपयोग मानव विद्यार्थियों को मानसिक रूप से स्वस्थ, सबल बनाने की प्रक्रिया है। इसके साथ ध्यान तथा समाधि आध्यात्मिक उपलब्धि का हिस्सा है। जिससे आत्मा (चेतना), परमात्मा (परम चेतना), अस्तित्व के सत्य का ज्ञान/ अनुभव होता है।
योग के पांचवे, छठवें, सातवें चरण को प्रत्याहार-धारणा-ध्यान कहा जाता है। यह मनुष्य के मन-मस्तिष्क की शांत, निर्विचार अवस्था है।विज्ञान की भाषा में यह मस्तिष्क की अल्फा तरंग की अवस्था है।जो मानव मन-मस्तिष्क से सीधे सम्बंधित होने के कारण शिक्षा के क्षेत्र में बहुत उपयोगी है। यह योग के प्रथम चरण से प्रारंभ कर धीरे-धीरे अभ्यास करते हुए सातवें चरण तक पहुंच कर ध्यान अनुभव किया जा सकता है।ध्यान सीधे भी किया जा सकता है।देश-दुनिया में इसकी अनेक प्रक्रियाएं उपलब्ध है। लेकिन अच्छे रिजल्ट के लिए यम नियम का पालन करते हुए क्रमशः आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान का उपयोग सहयोगी होता है।
आधुनिक मनुष्य के लिए योग-ध्यान बहुत ही जरूरी हो गया है।आज के आधुनिक दुनिया और जटिल जिंदगी में यदि आप मानसिक तनाव मुक्त जीवन के साथ ही शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो योग-ध्यान को अपनाने की बहुत आवश्यकता है।
आधुनिक युग में प्रायः हर आदमी जिंदगी की व्यस्तताओं, जटिलताओं, पर्यावरण प्रदूषण, शोरगुल तथा विभिन्न आधुनिक मशीनों से निकलने वाले सुक्ष्म तरंगों के प्रभाव से शारीरिक, मानसिक तनाव तथा थकान अनुभव करता है। योग-ध्यान से इसके दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है।निरंतर योग-ध्यान करते रहने से शरीर-मस्तिष्क में नई सकारात्मक उर्जा का संचार होता है।जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता में सहयोगी है
योग-ध्यान करने से शरीर की प्रत्येक कोशिका के भीतर प्राण शक्ति,जीवन्तता का संचार होता है।जिससे शरीर स्वस्थ, सबल महसूस होता है।शरीर में प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
योग-ध्यान से भरपूर लाभ प्राप्त करने के लिए नियमित अभ्यास करना आवश्यक है।योग में ध्यान का स्थान बहुत ऊंचा है।ध्यान के अनेक प्रकार / विधि है।ध्यान करने के लिए सबसे सरल विधि है - किसी साफ-स्वच्छ, हवादार, शांत वातावरण में योग प्राणायाम करने के पश्चात आंखें बंद करके बैठ जाएं।या शवासन की मुद्रा में शांत लेटे रहें।पांच-दस मिनट तक बंद आंखों के सामने के अंधेरे या प्रकट होते विभिन्न रंगों या प्रकाश को देखते रहें, और आनंदित महसूस करें/ शरीर में उर्जा का संचार अनुभव करें। अथवा किसी सुंदर प्राकृतिक वातावरण में अपने आप को बैठा हुआ या टहलता हुआ अनुभव करें।फिर धीरे से आँख खोलकर उठ जाएं।इससे शारीरिक मानसिक स्वस्थता तथा ताजगी का एहसास होता है। एक और प्राचीन ध्यान विधि है जिसमें अपने आती-जाती श्वास को 5 -10 मिनट शांत चित्त से देखते रहे इसे विपस्सना ध्यान कहा जाता है। अथवा शांत होकर सौ से एक तक उलटी गिनती प्रारंभ करें और अपने आप को रिलैक्स और आनंदित महसूस करते रहें।
इसके अलावा भी और भी ध्यान की अनेक विधियां हैं। जो लोगों के अलग-अलग व्यक्तित्व के हिसाब से उपयोगी होता है।यह प्रत्येक मनुष्य/ विद्यार्थियों के भीतर प्राकृतिक रूप से छिपी अपार मन-मस्तिष्क क्षमता को भी प्रकट करने,सक्रिय करने और सक्रिय कर बहुमुखी प्रतिभावान बनाने में सहयोगी है।
🌷 धन्यवाद 🌷
रामेश्वर वर्मा (शिक्षक )
पथरिया, मुंगेली(छ.ग.)
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