विद्यार्थी भी एक सामाजिक प्राणी है

        🌷विद्यार्थी भी एक सामाजिक प्राणी है🌷

महान पश्चिमी दार्शनिक अरस्तू ने कहा है कि- "मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है", चूँकि विद्यार्थी भी उसी समाज का हिस्सा है, इसीलिए "विद्यार्थी भी एक सामाजिक प्राणी है।"
      और- विद्यार्थी एक सामाजिक प्राणी है, इसलिए वह समाज में होने, घटने वाले सभी नकारात्मक/सकारात्मक प्रभावों से बड़ों की अपेक्षा अधिक प्रभावित होते हैं। उनके बाल मन पर देश-काल-वातावरण, परिवार, समाज में प्रचलित शिक्षा-संस्कार, लोगों के विचार व्यवहार का काफी प्रभाव पड़ता है, जो उनके व्यक्तित्व के साथ बौद्धिक क्षमता को भी काफी प्रभावित करता है।
       विभिन्न कारणों से आधुनिक परिवार, समाज में नकारात्मक विचार/भाव की  अधिकता तथा पढ़ाई-लिखाई के प्रतिकूल माहौल होने के कारण विद्यार्थियों के बाल मन- मस्तिष्क पर अधिकांशतः नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
       जिससे उनकी शिक्षा गुणवत्ता प्रभावित होती है। जिसके सुधार के लिए सिर्फ विद्यार्थी को सुधारने या शिक्षकों को दोषी ठहराने के साथ-साथ सामुदायिक सहभागिता के रूप में परिवार समाज में प्रचलित विचार, मान्यता, शिक्षा, संस्कार, माहौल को पढ़ाई के अनुकूल अर्थात सकारात्मक बनाने का सतत सामूहिक प्रयास करते हुए सकारात्मक बनाना आवश्यक है, तभी हम विद्यार्थियों से बेहतर शिक्षा गुणवत्ता की अपेक्षा कर सकते हैं।
       प्रायः देखा जा रहा है कि स्कूल शिक्षा विभाग में तथा उच्च शिक्षा में विद्यार्थियों में शिक्षा गुणवत्ता सुधार की दिशा में विभिन्न स्तर पर अनेक प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन अपेक्षित परिणाम परिलक्षित/ उपलब्ध नहीं हो पा रहा है, जिसके लिए मुख्यतः शिक्षकों को ही दोषी माना जाता है। मनोविज्ञान के अनुसार यह बिल्कुल भी सही नहीं है।
       विद्यार्थी भी चूँकि एक सामाजिक प्राणी है और वह स्कूल में सिर्फ 6 घंटे और स्कूल के बाहर समाज, परिवार के पढ़ाई के प्रतिकूल माहौल के बीच में अधिकांश समय गुजारता है, विज्ञान के नियमानुसार सर्वाधिक प्रभाव उसी का पड़ता है। जिसको बिना किसी प्रामाणिक मनोचिकित्सा या सामुदायिक सहयोग के सुधारा जा सकना असंभव के समान कठिन है।
       इसलिए विद्यार्थियों को प्रतिभावान बनाने के लिए अर्थात विद्यार्थियों में प्राकृतिक रूप से चेतन मन मस्तिष्क के साथ-साथ अवचेतन मन मस्तिष्क के रूप के छिपी अपार प्रतिभा/क्षमता तथा शिक्षा गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए, शिक्षा के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए शिक्षकों के साथ-साथ सामुदायिक सहयोग के रूप में परिवार, समाज, नेताओं, अधिकारियों आदि सब का मनोविज्ञान के अनुरूप सकारात्मक सहयोग अनिवार्य है।
        तभी हम भारतीय शिक्षा को विश्व रैकिंग में शीर्ष स्थान दिलवाने में सहयोगी हो सकते हैं तथा भारत के पुनः विश्व गुरु बनने से सपने को साकार कर सकते हैं।
                 
                   🌷 धन्यवाद 🌷
               रामेश्वर वर्मा की कलम से.......।

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