🌷 *स्मरणशक्ति का मूल आधार* 🌷
( Base of Memory Power)
दुनिया में स्मरण शक्ति के विकास के लिए बहुत सी तकनीक अपनाई जाती है, परंतु सभी तकनीकों का आधार पिक्चर लेंग्वेज अर्थात कल्पना शक्ति या साइकिक विजन है।अगर शिक्षा के क्षेत्र में इसके सदुपयोग तथा मनोविज्ञान को समझ सकें तो मेमोरी पावर डेवलपमेंट की किसी भी तकनीक का उपयोग आसान तथा अधिक प्रभावी हो जाएगा अथवा विद्यार्थी स्वयं के मेमोरी पावर डेवलपमेंट तकनीक का निर्माण कर सकेंगे।
आमतौर पर स्मरण शक्ति विकसित करने के लिए जितने भी तकनीकों का उपयोग देश-विदेश में होता है। वह सभी विद्यार्थियों के लिए आसान नहीं होता। काफी कठिन अभ्यास की आवश्यकता होती है, लेकिन सभी मेमोरी पावर डेवलपमेंट विधियों के मनोविज्ञान को समझा जा सके या समझे गए मनोविज्ञान का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में किया जा सके तो सभी तकनीक अधिकांश लोगो/ विद्यार्थियों के लिए आसान सिद्ध होगा।
विद्यार्थियों के मन में इस पिक्चर लैंग्वेज भाषा को समझने की प्राकृतिक क्षमता होती है| क्योंकि यह मानव/ विद्यार्थियों के अवचेतन मन की मूल भाषा है। जो बचपन में अधिक सक्रिय अवस्था में होता है तथा चेतन मन की सक्रियता बढ़ने के अनुपात में तथा उपयोग के अभाव में कमजोर होने लगता है।
किसी भी विषय वस्तु को चित्र रूप में समझने, स्मरण करने वाले विद्यार्थियों के लिए किसी भी चीज को स्मरण करना आसान होता है। विद्यार्थियों में जन्म से कल्पना शक्ति और इसका विकसित रूप साइकिक विज़न विद्यमान होता है। इसका उपयोग पढ़ाई-लिखाई में करने से स्मरण शक्ति पर्याप्त मात्रा में विकसित होता है और पढ़ाई लिखाई में आसानी से मन भी लगने लगता है।
जो विद्यार्थियों के प्रतिभावान होने का मुख्य कारण है।
वर्तमान शिक्षा पद्धति में इससे संबंधित शिक्षा/प्रशिक्षण के अभाव के कारण विद्यार्थी अपने नैसर्गिक मानसिक खासियत का विधिवत उपयोग पढ़ाई-लिखाई में नहीं कर पाते। जिसके कारण पढ़ाई लिखाई में कमजोर प्रतीत होने लगते हैं।
किसी भी पाठ्य वस्तु के बारे में सोच विचार य स्मरण करने के बजाए मन की आंखों से देखने या स्मरण करने का प्रयास करना विद्यार्थियों की मानसिक प्रतिभा को सक्रिय विकसित करने में तथा स्मरण शक्ति तेज करने/ विकसित करने में सहयोगी है। पाठ्यवस्तु को मन की आंखों से देखने का अधिकाधिक अभ्यास करना तथा स्मरण शक्ति क्षमता विकास तकनीक की विधियों का उपयोग करना इसका विकास तथा सदुपयोग है।
इसके अभ्यास के पूर्व योगासन प्राणायाम का अभ्यास करना बहुत सहयोगी अर्थात सोने पर सुहागा जैसा होता है। सभी विद्यार्थियों के लिए यह पढ़ाई लिखाई में बहुत उपयोगी है। वर्तमान शिक्षा पद्धति में इसका विधिवत उपयोग शिक्षा गुणवत्ता को बेहतर बनाने में समर्थ है।
🌷धन्यवाद🌷
रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं)
पथरिया, मुंगेली( छ.ग.)
( Base of Memory Power)
दुनिया में स्मरण शक्ति के विकास के लिए बहुत सी तकनीक अपनाई जाती है, परंतु सभी तकनीकों का आधार पिक्चर लेंग्वेज अर्थात कल्पना शक्ति या साइकिक विजन है।अगर शिक्षा के क्षेत्र में इसके सदुपयोग तथा मनोविज्ञान को समझ सकें तो मेमोरी पावर डेवलपमेंट की किसी भी तकनीक का उपयोग आसान तथा अधिक प्रभावी हो जाएगा अथवा विद्यार्थी स्वयं के मेमोरी पावर डेवलपमेंट तकनीक का निर्माण कर सकेंगे।
आमतौर पर स्मरण शक्ति विकसित करने के लिए जितने भी तकनीकों का उपयोग देश-विदेश में होता है। वह सभी विद्यार्थियों के लिए आसान नहीं होता। काफी कठिन अभ्यास की आवश्यकता होती है, लेकिन सभी मेमोरी पावर डेवलपमेंट विधियों के मनोविज्ञान को समझा जा सके या समझे गए मनोविज्ञान का उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में किया जा सके तो सभी तकनीक अधिकांश लोगो/ विद्यार्थियों के लिए आसान सिद्ध होगा।
विद्यार्थियों के मन में इस पिक्चर लैंग्वेज भाषा को समझने की प्राकृतिक क्षमता होती है| क्योंकि यह मानव/ विद्यार्थियों के अवचेतन मन की मूल भाषा है। जो बचपन में अधिक सक्रिय अवस्था में होता है तथा चेतन मन की सक्रियता बढ़ने के अनुपात में तथा उपयोग के अभाव में कमजोर होने लगता है।
किसी भी विषय वस्तु को चित्र रूप में समझने, स्मरण करने वाले विद्यार्थियों के लिए किसी भी चीज को स्मरण करना आसान होता है। विद्यार्थियों में जन्म से कल्पना शक्ति और इसका विकसित रूप साइकिक विज़न विद्यमान होता है। इसका उपयोग पढ़ाई-लिखाई में करने से स्मरण शक्ति पर्याप्त मात्रा में विकसित होता है और पढ़ाई लिखाई में आसानी से मन भी लगने लगता है।
जो विद्यार्थियों के प्रतिभावान होने का मुख्य कारण है।
वर्तमान शिक्षा पद्धति में इससे संबंधित शिक्षा/प्रशिक्षण के अभाव के कारण विद्यार्थी अपने नैसर्गिक मानसिक खासियत का विधिवत उपयोग पढ़ाई-लिखाई में नहीं कर पाते। जिसके कारण पढ़ाई लिखाई में कमजोर प्रतीत होने लगते हैं।
किसी भी पाठ्य वस्तु के बारे में सोच विचार य स्मरण करने के बजाए मन की आंखों से देखने या स्मरण करने का प्रयास करना विद्यार्थियों की मानसिक प्रतिभा को सक्रिय विकसित करने में तथा स्मरण शक्ति तेज करने/ विकसित करने में सहयोगी है। पाठ्यवस्तु को मन की आंखों से देखने का अधिकाधिक अभ्यास करना तथा स्मरण शक्ति क्षमता विकास तकनीक की विधियों का उपयोग करना इसका विकास तथा सदुपयोग है।
इसके अभ्यास के पूर्व योगासन प्राणायाम का अभ्यास करना बहुत सहयोगी अर्थात सोने पर सुहागा जैसा होता है। सभी विद्यार्थियों के लिए यह पढ़ाई लिखाई में बहुत उपयोगी है। वर्तमान शिक्षा पद्धति में इसका विधिवत उपयोग शिक्षा गुणवत्ता को बेहतर बनाने में समर्थ है।
🌷धन्यवाद🌷
रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं)
पथरिया, मुंगेली( छ.ग.)
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