🌷 टॉपर विद्यार्थी बनने के "31" मनोवैज्ञानिक सूत्र- 🌷
कबीरदास जी ने कहा है-
*कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूंढे वन माहि।*
*ऐसे घट-घट राम है, दुनिया जाने नाहि।*
✍विद्यार्थियों में प्रतिभा की कमी नहीं है। प्रत्येक विद्यार्थियों में अवचेतन मन मस्तिष्क के रूप में अपार प्रतिभा क्षमता विद्यमान है। जरूरत सिर्फ उसके सही उपयोग के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करने की है, जिसके अभाव में ही विद्यार्थी अपनी छिपी जीनियस प्रतिभा को अभिव्यक्त नहीं कर पा रहे हैं, शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। अगर विद्यार्थियों को कुछ बातों की जानकारी प्रदान की जाए, पढाई करने का बेहतर तरीका सिखाया जाए या बच्चे/ विद्यार्थी कुछ बातों का ध्यान रखें तो- वे अपनी जीनियस प्रतिभा को प्रकट कर शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर उपयोग कर सकने में समर्थ हो सकते हैं, अद्वितीय बौद्धिक क्षमता का प्रदर्शन कर सकने में समर्थ हो हैं।
जैसे -
1. विद्यार्थियों को सर्वप्रथम पढ़ाई से मिलने वाले लाभ के बारे में सतत गहराई से सोचना, कल्पना करना, महसूस करना चाहिए। नियमित रूप से उसका विजुअलाइजेशन करना चाहिए, जिससे की पढ़ाई में रुचि बढ़ती है मन एकाग्र होने लगता है जिससे स्मरण शक्ति तथा बौद्धिक क्षमता भी बेहतर होने लगता है।
2. पढ़ाई लिखाई को जीवन के सभी समस्याओं के समाधान तथा लक्ष्य प्राप्ति/ मनोकामना की पूर्ति के उपाय के रूप में देखना, समझना, महसूस करना चाहिए।
3. समय के सदुपयोग तथा उद्देश्य के निश्चित प्राप्ति के लिए समय सारणी बना कर पढ़ाई करना बहुत आवश्यक तथा उपयोगी होता है।
4. विषय वस्तु को ठीक तरह से समझने के लिए सर्वप्रथम सरसरी निगाह से पढ़ने के बाद दोबारा अच्छे से समझते हुए पढ़ना चाहिए।
5. अच्छी समझ तथा बेहतर समरण शक्ति के लिए पढ़े, समझे, याद किए गए विषय वस्तु को कुछ दिनों के अंतराल में दोहराते रहना चाहिए।
6. प्रायः किसी विषय वस्तु को पहले बार पढ़ने पर कठिन लगता है, लेकिन एक से अधिक बार या बाहर बाहर बार बार पढ़ने से हर बार पहले की तुलना में सरल करने लगता है।
7.कबीरदास जी ने कहा है-
करत करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निशान।।
इसलिए विद्यार्थियों को पढ़ाई लिखाई कर सतत अभ्यास करते रहना चाहिए। सतत अभ्यास से मन मस्तिष्क एकाग्र होता है, क्षमता का विकास होता है तथा मन मस्तिष्क का पुराना सेटिंग्स रूपांतरित होकर उन्नत हो जाता है।
8. समय के बेहतर उपयोग, एकाग्रता तथा अधिक पढ़ाई के लिए स्पीड पढ़ाई करनी चाहिए, स्पीड पढ़ाई प्रारंभ में कठिन प्रतीत हो सकता है, प्रारंभ में सिर्फ भावार्थ समझ में आता है, लेकिन सतत अभ्यास से धीरे-धीरे मन-मस्तिष्क उसी के अनुरूप एडजस्ट हो जाता है, और मन मस्तिष्क विषय वस्तु को स्पीड से बेहतर ढंग से समझने में समर्थ हो जाता है।
9. पढ़ाई करते समय बोझिल महसूस होने पर बीच बीच में रेस्ट लेकर पढ़ना चाहिए।
10. विषय वस्तु बड़ा या कठिन लगे तो उसे कई हिस्से क्षेत्र में बैठ कर पढ़ना समझना याद करना आसान उपाय है।
11. पढ़ने का कमरा या साफ-सुथरा, पर्याप्त प्रकाश युक्त, हवादार तथा एकांत होना चाहिए।
12. सुबह 4:00 या 5:00 बजे उठकर पढ़ना लाभदायक होता है, इस समय विषय वस्तु दिमाग ताजा होने के कारण आसानी से समझ में आता है। तथा मन का नियम है कि प्रातः किसी भी चीज को पढ़ा या सोचा जाए वह दिन भर मन-मस्तिष्क में घूमता रहता है, जो कि विषय वस्तु को ठीक से समझने तथा बेहतर पढ़ाई में उपयोगी तथा एकाग्रता बढ़ाने वाला सिद्ध होता है।
13. देर रात तक पढ़ना दिमाग को थकाने वाला होता है, इसीलिए रात को यथासंभव जल्दी सोकर सुबह उठकर पढ़ना बेहतर होता है।
14. मस्तिष्क को बेहतर ढंग से कार्य करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन तथा एनर्जी की आवश्यकता पड़ती है, इसलिए विद्यार्थियों को पर्याप्त प्रातः योगा या व्यायाम करना, टहलना, पौष्टिक संतुलित आहार लेना, पर्याप्त पानी पीना चाहिए तथा दिमाग को तरोताजा , शांत, एकाग्र बनाए रखने के लिए, बेहतर क्रियाशील बनाए रखने के लिए कुछ समय ध्यान करना/ योग के अंतर्गत शवासन करना/ योगनिद्रा लेना या आराम करना चाहिए।
दिन भर में कभी भी समय मिलने पर किसी शांत स्थान पर आरामदायक स्थिति में बैठकर शरीर को रिलैक्स रखते हुए आती-जाती श्वास को देखना या 100 से 1 तक उल्टी गिनती गिनना शरीर तथा मन मस्तिष्क को ताजगी देने वाला मन मस्तिष्क को सबल बनाने वाला तथा छिपी प्रतिभा को प्रकट करने वाला होता है।
15. विषय वस्तु को एक बार समझने या याद करने के पश्चात ठीक तरह से याद रखने के लिए कुछ दिनों के अंतराल में दोहराते रहना चाहिए। नहीं दोहराने से विषय वस्तु भूलने लगता है। किसी चीज को भूलना मन मस्तिष्क की स्वाभाविक प्रवृत्ति है।
यह मोबाइल के अनावश्यक डाटा को डिलीट करके मोबाइल को क्रियाशील बनाए रखने की तरह दिमाग को ताजा सक्रिय रखने के लिए आवश्यक प्राकृतिक उपाय है। आवश्यक चीजों को लंबे समय तक स्मरण में रखने के लिए बीच-बीच में रिपिटेशन करना अर्थात दोहराना आवश्यक होता है।
16. कक्षा में पढ़ाए जाने वाले विषय वस्तु को ध्यान पूर्वक पढ़ने, समझने के पश्चात घर आकर उसको दोहराने से विषय वस्तु अच्छे से समझ में आ जाता है, याद हो जाता है। इसके बावजूद भी समझ में नहीं आने पर स्कूल में शिक्षकों या विषय के जानकार किसी अन्य से सहयोग लिया जा सकता है।
17. विषयवस्तु पर अच्छी पकड़ बनाने के लिए, होशियार बनने के लिए- खाली समय में भी दुनियादारी की अन्य चीजों को सोचने, चर्चा करने, विचार विमर्श करने के बजाय पढ़ाई से संबंधित चीजों के बारे में ही सोचना,चर्चा करना चाहिए।
18. साल भर टाइम-टेबल के अनुसार नियमित पढ़ाई करते रहना चाहिए जिससे कि परीक्षा के वक्त अधिक बोझ, महसूस ना हो तथा तनाव मुक्त रहा जा सके।
19.विषय वस्तु को ठीक से समझने के लिए अपने पूर्व स्मृति से जोड़कर पढ़ने/ समझने का प्रयास करना चाहिए।
20. पढ़े/ समझें गए विषय वस्तु को नोट्स बनाकर रखना चाहिए जो परीक्षा के समय कम समय में रिवीजन कर सकने में सहयोगी होता है।
21.कोई भी विषय वस्तु जब तक मन की आंख से स्पष्ट न दिखे जब तक वह समझ में नहीं आता, ठीक तरह से समझ में नहीं आता, इसलिए विषय वस्तु को मन की आंख से देख सकने का अभ्यास करना तथा मन की आंख से दिखने तक पढ़ना /याद करना चाहिए।
22. रटने के बजाय समझने पर अधिक जोर देना चाहिए। समझने के पश्चात बचे हुए विषय वस्तु या महत्वपूर्ण सूत्रों, परिभाषाओं को रटने का प्रयास करना चाहिए।
23. पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों को अच्छी-अच्छी प्रेरणादायक किताबें पढ़ते रहना चाहिए अथवा शिक्षकों या पालकों के द्वारा भी विद्यार्थियों को प्रेरणादायक प्रसंग या वक्तव्य सुनाते या देते रहना चाहिए।
24. शिक्षा जगत में विषय वस्तु का मन की आंख से देखना सबसे बड़ी/ विकसित/ महत्वपूर्ण/ कीमती/ गहरी प्रतिभा है, इसलिए इसको( विजन पॉवर) विकसित करने के लिए विषय वस्तु को मन की आंख से देखने का सतत अभ्यास करते रहना चाहिए।
25. विषय वस्तु को याद करने का प्रयास करने के बजाय पेपर या कहानी की तरह तनाव मुक्त होकर पढ़ना चाहिए। ऐसे में विषय वस्तु स्वमेव जल्दी,आसानी से याद होता है और याद करने से तनाव पैदा होता है इसलिए याद करने का टेंशन नहीं लेना चाहिए। क्योंकि-
जिस तरह भोजन करने के बाद शरीर/ पेट/ पाचन संस्थान भोजन को स्वयं पचा लेता है, उसी तरह याद करने का काम मन-मस्तिष्क स्वयं कर लेता है।
26. विद्यार्थियों के लिए प्रोत्साहन टॉनिक के समान होता है। जो छिपी प्रतिभा को प्रकट करने में सर्वाधिक सहयोगी होता है।
27. कोई भी विद्यार्थी एकाग्रता के अनुपात में ही होशियार बुद्धिमान या जीनियस होता है, इसलिए विद्यार्थियों को एकाग्र करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए तथा विद्यार्थियों को स्वयं पढ़ाई के प्रति एकाग्र रहने का प्रयास करना चाहिए।
28. नकारात्मक विचार भाव मानव विद्यार्थियों के मन मस्तिष्क के लिए कंप्यूटर के वायरस के समान होता है जो कंप्यूटर रूपी मस्तिष्क के क्रियाकलाप को गड़बड़ कर देता है इसीलिए विद्यार्थियों को नकारात्मक विचार भाव करने से बचना, इससे दूर रहने का प्रयास करना चाहिए तथा सतत सकारात्मक विचार भाव करने सुनने पढ़ने समझने का प्रयास करना चाहिए।
29. विभिन्न मनोविकारों जैसे-चिंता, दुःख, मानसिक तनाव, काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, ईर्ष्या आदि नकारात्मक भाव कंप्यूटर वायरस के समान होता है जिससे मन-मस्तिष्क तथा शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले हार्मोन का स्त्राव होता है, जो कंप्यूटर वायरस के सामान मन मस्तिष्क के क्रिया कलाप को गड़बड़/ अस्त-व्यस्त कर देता है, इसलिए इसे त्यागने तथा ऐसे नकारात्मक विचार-भाव रखने वाले लोगों से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए जिसके लिए प्रसन्नता, सन्तोष, धीरज, दूसरों के प्रति मैत्री, अपनत्व, सहयोग, स्नेह, मिलनसारिता आदि सकारात्मक भाव विकसित करने तथा सकारात्मक विचार भाव करने वाले लोगों/ विद्यार्थियों से दोस्ती रखने का प्रयास करना चाहिए। जो मन मस्तिष्क तथा शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक होता है तथा इसे ही इमोशनल कोशन्ट (E.Q.) कहा जाता है जो मानव/ विद्यार्थियों को बौद्धिक क्षमता (I.Q.) के साथ मिलकर जीनियस बनाता है।
30. विद्यार्थियों को परीक्षा के भय तथा तनाव से बचने के लिए परीक्षा के पूर्व ही कोर्स की आवश्यक तैयारी कर लेनी चाहिए।तथा-
परीक्षा के भय तथा तनाव से मस्तिष्क का क्रियाकलाप अस्त-व्यस्त (गड़बड़) हो जाता है, पढ़ा तथा याद किया गया विषय वस्तु (प्रश्नोत्तर) ठीक से याद नहीं आता जो परीक्षा होने के बाद याद आता है, इसलिए- भय तथा तनाव मुक्त होकर, शांत, एकाग्र होकर परीक्षा दिलाना चाहिए।
31. मनोविज्ञान के नियमानुसार- रात को सोते समय किया जाना वाला अंतिम विचार भाव, प्रातः उठने पर प्रथम विचार भाव होता है और जो प्रातः उठने पर प्रथम विचार भाव होता है वह दिनभर मन-मस्तिष्क पर हावी रहता है। इसलिए चौबीसों घंटे पढ़ाई लिखाई से संबंधित विचार भाव बनाए रखने के लिए रात को सोते समय तथा प्रातः काल उठने पर पढ़ाई-लिखाई से संबंधित विषय वस्तु की चीजों का विचार करना चाहिए, ऐसा करने से या रात को सोते समय कोर्स के किसी कठिन प्रश्नों को सोचते हुए सोने से कई विद्यार्थियों को उन कठिन प्रश्नों का उत्तर सपने में मिल जाता है, अर्थात सपने का उपयोग में पढ़ाई लिखाई में होने लगता है।
🌷धन्यवाद🌷
- रामेश्वर वर्मा (शिक्षक)
पथरिया, मुंगेली (छ.ग.)
कबीरदास जी ने कहा है-
*कस्तूरी कुंडल बसे, मृग ढूंढे वन माहि।*
*ऐसे घट-घट राम है, दुनिया जाने नाहि।*
✍विद्यार्थियों में प्रतिभा की कमी नहीं है। प्रत्येक विद्यार्थियों में अवचेतन मन मस्तिष्क के रूप में अपार प्रतिभा क्षमता विद्यमान है। जरूरत सिर्फ उसके सही उपयोग के लिए आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करने की है, जिसके अभाव में ही विद्यार्थी अपनी छिपी जीनियस प्रतिभा को अभिव्यक्त नहीं कर पा रहे हैं, शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर उपयोग नहीं कर पा रहे हैं। अगर विद्यार्थियों को कुछ बातों की जानकारी प्रदान की जाए, पढाई करने का बेहतर तरीका सिखाया जाए या बच्चे/ विद्यार्थी कुछ बातों का ध्यान रखें तो- वे अपनी जीनियस प्रतिभा को प्रकट कर शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर उपयोग कर सकने में समर्थ हो सकते हैं, अद्वितीय बौद्धिक क्षमता का प्रदर्शन कर सकने में समर्थ हो हैं।
जैसे -
1. विद्यार्थियों को सर्वप्रथम पढ़ाई से मिलने वाले लाभ के बारे में सतत गहराई से सोचना, कल्पना करना, महसूस करना चाहिए। नियमित रूप से उसका विजुअलाइजेशन करना चाहिए, जिससे की पढ़ाई में रुचि बढ़ती है मन एकाग्र होने लगता है जिससे स्मरण शक्ति तथा बौद्धिक क्षमता भी बेहतर होने लगता है।
2. पढ़ाई लिखाई को जीवन के सभी समस्याओं के समाधान तथा लक्ष्य प्राप्ति/ मनोकामना की पूर्ति के उपाय के रूप में देखना, समझना, महसूस करना चाहिए।
3. समय के सदुपयोग तथा उद्देश्य के निश्चित प्राप्ति के लिए समय सारणी बना कर पढ़ाई करना बहुत आवश्यक तथा उपयोगी होता है।
4. विषय वस्तु को ठीक तरह से समझने के लिए सर्वप्रथम सरसरी निगाह से पढ़ने के बाद दोबारा अच्छे से समझते हुए पढ़ना चाहिए।
5. अच्छी समझ तथा बेहतर समरण शक्ति के लिए पढ़े, समझे, याद किए गए विषय वस्तु को कुछ दिनों के अंतराल में दोहराते रहना चाहिए।
6. प्रायः किसी विषय वस्तु को पहले बार पढ़ने पर कठिन लगता है, लेकिन एक से अधिक बार या बाहर बाहर बार बार पढ़ने से हर बार पहले की तुलना में सरल करने लगता है।
7.कबीरदास जी ने कहा है-
करत करत अभ्यास के, जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निशान।।
इसलिए विद्यार्थियों को पढ़ाई लिखाई कर सतत अभ्यास करते रहना चाहिए। सतत अभ्यास से मन मस्तिष्क एकाग्र होता है, क्षमता का विकास होता है तथा मन मस्तिष्क का पुराना सेटिंग्स रूपांतरित होकर उन्नत हो जाता है।
8. समय के बेहतर उपयोग, एकाग्रता तथा अधिक पढ़ाई के लिए स्पीड पढ़ाई करनी चाहिए, स्पीड पढ़ाई प्रारंभ में कठिन प्रतीत हो सकता है, प्रारंभ में सिर्फ भावार्थ समझ में आता है, लेकिन सतत अभ्यास से धीरे-धीरे मन-मस्तिष्क उसी के अनुरूप एडजस्ट हो जाता है, और मन मस्तिष्क विषय वस्तु को स्पीड से बेहतर ढंग से समझने में समर्थ हो जाता है।
9. पढ़ाई करते समय बोझिल महसूस होने पर बीच बीच में रेस्ट लेकर पढ़ना चाहिए।
10. विषय वस्तु बड़ा या कठिन लगे तो उसे कई हिस्से क्षेत्र में बैठ कर पढ़ना समझना याद करना आसान उपाय है।
11. पढ़ने का कमरा या साफ-सुथरा, पर्याप्त प्रकाश युक्त, हवादार तथा एकांत होना चाहिए।
12. सुबह 4:00 या 5:00 बजे उठकर पढ़ना लाभदायक होता है, इस समय विषय वस्तु दिमाग ताजा होने के कारण आसानी से समझ में आता है। तथा मन का नियम है कि प्रातः किसी भी चीज को पढ़ा या सोचा जाए वह दिन भर मन-मस्तिष्क में घूमता रहता है, जो कि विषय वस्तु को ठीक से समझने तथा बेहतर पढ़ाई में उपयोगी तथा एकाग्रता बढ़ाने वाला सिद्ध होता है।
13. देर रात तक पढ़ना दिमाग को थकाने वाला होता है, इसीलिए रात को यथासंभव जल्दी सोकर सुबह उठकर पढ़ना बेहतर होता है।
14. मस्तिष्क को बेहतर ढंग से कार्य करने के लिए पर्याप्त ऑक्सीजन तथा एनर्जी की आवश्यकता पड़ती है, इसलिए विद्यार्थियों को पर्याप्त प्रातः योगा या व्यायाम करना, टहलना, पौष्टिक संतुलित आहार लेना, पर्याप्त पानी पीना चाहिए तथा दिमाग को तरोताजा , शांत, एकाग्र बनाए रखने के लिए, बेहतर क्रियाशील बनाए रखने के लिए कुछ समय ध्यान करना/ योग के अंतर्गत शवासन करना/ योगनिद्रा लेना या आराम करना चाहिए।
दिन भर में कभी भी समय मिलने पर किसी शांत स्थान पर आरामदायक स्थिति में बैठकर शरीर को रिलैक्स रखते हुए आती-जाती श्वास को देखना या 100 से 1 तक उल्टी गिनती गिनना शरीर तथा मन मस्तिष्क को ताजगी देने वाला मन मस्तिष्क को सबल बनाने वाला तथा छिपी प्रतिभा को प्रकट करने वाला होता है।
15. विषय वस्तु को एक बार समझने या याद करने के पश्चात ठीक तरह से याद रखने के लिए कुछ दिनों के अंतराल में दोहराते रहना चाहिए। नहीं दोहराने से विषय वस्तु भूलने लगता है। किसी चीज को भूलना मन मस्तिष्क की स्वाभाविक प्रवृत्ति है।
यह मोबाइल के अनावश्यक डाटा को डिलीट करके मोबाइल को क्रियाशील बनाए रखने की तरह दिमाग को ताजा सक्रिय रखने के लिए आवश्यक प्राकृतिक उपाय है। आवश्यक चीजों को लंबे समय तक स्मरण में रखने के लिए बीच-बीच में रिपिटेशन करना अर्थात दोहराना आवश्यक होता है।
16. कक्षा में पढ़ाए जाने वाले विषय वस्तु को ध्यान पूर्वक पढ़ने, समझने के पश्चात घर आकर उसको दोहराने से विषय वस्तु अच्छे से समझ में आ जाता है, याद हो जाता है। इसके बावजूद भी समझ में नहीं आने पर स्कूल में शिक्षकों या विषय के जानकार किसी अन्य से सहयोग लिया जा सकता है।
17. विषयवस्तु पर अच्छी पकड़ बनाने के लिए, होशियार बनने के लिए- खाली समय में भी दुनियादारी की अन्य चीजों को सोचने, चर्चा करने, विचार विमर्श करने के बजाय पढ़ाई से संबंधित चीजों के बारे में ही सोचना,चर्चा करना चाहिए।
18. साल भर टाइम-टेबल के अनुसार नियमित पढ़ाई करते रहना चाहिए जिससे कि परीक्षा के वक्त अधिक बोझ, महसूस ना हो तथा तनाव मुक्त रहा जा सके।
19.विषय वस्तु को ठीक से समझने के लिए अपने पूर्व स्मृति से जोड़कर पढ़ने/ समझने का प्रयास करना चाहिए।
20. पढ़े/ समझें गए विषय वस्तु को नोट्स बनाकर रखना चाहिए जो परीक्षा के समय कम समय में रिवीजन कर सकने में सहयोगी होता है।
21.कोई भी विषय वस्तु जब तक मन की आंख से स्पष्ट न दिखे जब तक वह समझ में नहीं आता, ठीक तरह से समझ में नहीं आता, इसलिए विषय वस्तु को मन की आंख से देख सकने का अभ्यास करना तथा मन की आंख से दिखने तक पढ़ना /याद करना चाहिए।
22. रटने के बजाय समझने पर अधिक जोर देना चाहिए। समझने के पश्चात बचे हुए विषय वस्तु या महत्वपूर्ण सूत्रों, परिभाषाओं को रटने का प्रयास करना चाहिए।
23. पढ़ाई के दौरान विद्यार्थियों को अच्छी-अच्छी प्रेरणादायक किताबें पढ़ते रहना चाहिए अथवा शिक्षकों या पालकों के द्वारा भी विद्यार्थियों को प्रेरणादायक प्रसंग या वक्तव्य सुनाते या देते रहना चाहिए।
24. शिक्षा जगत में विषय वस्तु का मन की आंख से देखना सबसे बड़ी/ विकसित/ महत्वपूर्ण/ कीमती/ गहरी प्रतिभा है, इसलिए इसको( विजन पॉवर) विकसित करने के लिए विषय वस्तु को मन की आंख से देखने का सतत अभ्यास करते रहना चाहिए।
25. विषय वस्तु को याद करने का प्रयास करने के बजाय पेपर या कहानी की तरह तनाव मुक्त होकर पढ़ना चाहिए। ऐसे में विषय वस्तु स्वमेव जल्दी,आसानी से याद होता है और याद करने से तनाव पैदा होता है इसलिए याद करने का टेंशन नहीं लेना चाहिए। क्योंकि-
जिस तरह भोजन करने के बाद शरीर/ पेट/ पाचन संस्थान भोजन को स्वयं पचा लेता है, उसी तरह याद करने का काम मन-मस्तिष्क स्वयं कर लेता है।
26. विद्यार्थियों के लिए प्रोत्साहन टॉनिक के समान होता है। जो छिपी प्रतिभा को प्रकट करने में सर्वाधिक सहयोगी होता है।
27. कोई भी विद्यार्थी एकाग्रता के अनुपात में ही होशियार बुद्धिमान या जीनियस होता है, इसलिए विद्यार्थियों को एकाग्र करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए तथा विद्यार्थियों को स्वयं पढ़ाई के प्रति एकाग्र रहने का प्रयास करना चाहिए।
28. नकारात्मक विचार भाव मानव विद्यार्थियों के मन मस्तिष्क के लिए कंप्यूटर के वायरस के समान होता है जो कंप्यूटर रूपी मस्तिष्क के क्रियाकलाप को गड़बड़ कर देता है इसीलिए विद्यार्थियों को नकारात्मक विचार भाव करने से बचना, इससे दूर रहने का प्रयास करना चाहिए तथा सतत सकारात्मक विचार भाव करने सुनने पढ़ने समझने का प्रयास करना चाहिए।
29. विभिन्न मनोविकारों जैसे-चिंता, दुःख, मानसिक तनाव, काम, क्रोध, मद, लोभ, मोह, ईर्ष्या आदि नकारात्मक भाव कंप्यूटर वायरस के समान होता है जिससे मन-मस्तिष्क तथा शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले हार्मोन का स्त्राव होता है, जो कंप्यूटर वायरस के सामान मन मस्तिष्क के क्रिया कलाप को गड़बड़/ अस्त-व्यस्त कर देता है, इसलिए इसे त्यागने तथा ऐसे नकारात्मक विचार-भाव रखने वाले लोगों से दूर रहने का प्रयास करना चाहिए जिसके लिए प्रसन्नता, सन्तोष, धीरज, दूसरों के प्रति मैत्री, अपनत्व, सहयोग, स्नेह, मिलनसारिता आदि सकारात्मक भाव विकसित करने तथा सकारात्मक विचार भाव करने वाले लोगों/ विद्यार्थियों से दोस्ती रखने का प्रयास करना चाहिए। जो मन मस्तिष्क तथा शरीर के लिए स्वास्थ्यवर्धक होता है तथा इसे ही इमोशनल कोशन्ट (E.Q.) कहा जाता है जो मानव/ विद्यार्थियों को बौद्धिक क्षमता (I.Q.) के साथ मिलकर जीनियस बनाता है।
30. विद्यार्थियों को परीक्षा के भय तथा तनाव से बचने के लिए परीक्षा के पूर्व ही कोर्स की आवश्यक तैयारी कर लेनी चाहिए।तथा-
परीक्षा के भय तथा तनाव से मस्तिष्क का क्रियाकलाप अस्त-व्यस्त (गड़बड़) हो जाता है, पढ़ा तथा याद किया गया विषय वस्तु (प्रश्नोत्तर) ठीक से याद नहीं आता जो परीक्षा होने के बाद याद आता है, इसलिए- भय तथा तनाव मुक्त होकर, शांत, एकाग्र होकर परीक्षा दिलाना चाहिए।
31. मनोविज्ञान के नियमानुसार- रात को सोते समय किया जाना वाला अंतिम विचार भाव, प्रातः उठने पर प्रथम विचार भाव होता है और जो प्रातः उठने पर प्रथम विचार भाव होता है वह दिनभर मन-मस्तिष्क पर हावी रहता है। इसलिए चौबीसों घंटे पढ़ाई लिखाई से संबंधित विचार भाव बनाए रखने के लिए रात को सोते समय तथा प्रातः काल उठने पर पढ़ाई-लिखाई से संबंधित विषय वस्तु की चीजों का विचार करना चाहिए, ऐसा करने से या रात को सोते समय कोर्स के किसी कठिन प्रश्नों को सोचते हुए सोने से कई विद्यार्थियों को उन कठिन प्रश्नों का उत्तर सपने में मिल जाता है, अर्थात सपने का उपयोग में पढ़ाई लिखाई में होने लगता है।
🌷धन्यवाद🌷
- रामेश्वर वर्मा (शिक्षक)
पथरिया, मुंगेली (छ.ग.)
0 Comments