शिक्षाकर्मियों में छिपी अपार प्रतिभा

         🌷 शिक्षाकर्मियों में छिपी अपार प्रतिभा 🌷

         ✍शिक्षाकर्मी वास्तव में उतने कमजोर नही जितना कि लोग मानते है। शिक्षाकर्मियों द्वारा प्रतिकूल परिस्थिति में भी शिक्षा के क्षेत्र में काफी नवाचार किया जा रहा है। जिसके परिणाम स्वरुप अनेक शिक्षाकर्मी साथियों को ब्लॉक से लेकर राज्य स्तर तक पुरस्कृत किया जा रहा है। यह शिक्षाकर्मियों में छिपी अपार प्रतिभा थोडा सा नमूना है, जो नवाचार तथा विभिन्न प्रतिभा के रूप में प्रकट हो रहा है। शिक्षाकर्मियों में अभी अपार प्रतिभा विद्यमान है, जिसके विकसित होने के लिए आवश्यक पर्याप्त वेतन तथा सम्मान रूपी अनुकूलता उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। 
             शिक्षाकर्मियों के वर्तमान स्थिति से हम सभी परिचित हैं। वर्तमान में शिक्षाकर्मियों की स्थिति को बहुत ही कमजोर बनाने का सतत प्रयास किया जा रहा है। अपने हक को पाने अर्थात स्थिति सुधारने के विभिन्न तरह के प्रयास करने, लंबा हड़ताल करने के बावजूद भी स्थिति में पर्याप्त सुधार नहीं हो पा रहा है। विभिन्न शक्तियों द्वारा लोगों के बीच नकारात्मक छवि निर्मित करने का प्रयास किया जा रहा है। अनेक तरह से अपमानित और प्रताड़ित कर, खिल्ली उड़ाकर प्रतिभा को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
              दुनिया में सिर्फ किसी भी क्षेत्र के ताकतवर या पर्याप्त जनसमर्थन प्राप्त लोगों को ही समृद्धि और सम्मान मिलता है। शिक्षाकर्मियों को शायद कमजोर/ कम योग्य समझकर ही उचित वेतन तथा सम्मान नहीं दिया जा रहा हैं। हक अगर मांगने से न मिले तो उसे अपनी प्रतिभा के बल पर प्राप्त करने का प्रयास करना भी हड़ताल के अलावा एक बहुत अच्छा उपाय है।
               शायद अस्तित्व=ऊपरवाला परमात्मा भी विपरीत परिस्थिति के माध्यम से शिक्षाकर्मियों के भीतर छिपी शक्ति, प्रतिभा को जगाकर ताकतवर बनाना चाहती है।
और प्रसिद्ध कहावत भी है, कि- *आवश्यकता आविष्कार की जननी है।*
            इसलिए शिक्षाकर्मियों के लिए आवश्यकता आर्थिक संपन्नता तथा गुरुओं की खोई हुई प्रतिष्ठा प्राप्त करने की है। जिसके लिए प्रत्येक शिक्षाकर्मियों में नैसर्गिक रूप से विद्यमान अवचेतन मन के रूप में छिपी प्रतिभा को स्वयं के मन-मस्तिष्क रूपी प्रयोगशाला में शोध से पहचान कर समाज में प्रकट करने अर्थात अभिव्यक्त करने की जरूरत है।
               प्राचीन काल के गुरु बहुमुखी प्रतिभावान होते थे।आधुनिक युग में शिक्षाकर्मी बहुमुखी प्रतिभावान है। दुनिया में विकास के नियमानुसार आगामी वर्जन सदा उन्नत होता है इसलिए शिक्षाकर्मी भी शिक्षा जगत के उन्नत वर्जन हैं। 
               भारत एक लोकतांत्रिक देश है और लोकतंत्र में जो जितने अधिक सम्मान प्राप्त लोग होते हैं अर्थात जिसके समर्थन में जितने अधिक लोग होते हैं उसे उतना ही महत्वपूर्ण/शक्तिशाली माना जाता है।
             और अधिकांश शिक्षाकर्मियों में इतनी प्रतिभा है, कि अध्यापन कार्य के अलावा अतिरिक्त प्रतिभा के रूप में दुनिया में अनेक काम दूसरों की तुलना में बेहतर ढंग से कर सकने तथा इसके द्वारा सर्वाधिक सम्मान रूपी जनमत प्राप्त कर सकने में सक्षम है। हर शिक्षाकर्मी साथी स्कूल मे अध्यापन कार्य (ड्यूटी) के पश्चात अतिरिक्त योग्यता के रूप में या प्रतिभा विकास / समाजसेवा के रूप में अपनी रुचि और प्रतिभा के अनुकूल कार्य दूसरों से बेहतर ढंग से कर सकते हैं।
            जिससे शिक्षाकर्मी साथियों को पर्याप्त सम्मान तथा समर्थन प्राप्त होगा।जो समाज तथा सरकार की नजर में शिक्षाकर्मियों को मजबूत बनाने वाला सिद्ध होगा, और समाज तथा सरकार की नजर में शिक्षाकर्मियों का मजबूत होना सभी समस्याओं के समाधान में सहयोगी सिद्ध होगा।
               अनेक रुपों में शिक्षाकर्मी साथी अपनी प्रतिभा को समाज, देश-राज्य में अभिव्यक्त कर सकने में समर्थ हैं। जैसे-
1.  संगठन से जुड़े शिक्षाकर्मी साथी कर्मचारी नेता के रुप में ऊँचे स्तर के नेतृत्वकर्ता की तरह बेहतर प्रतिभा-नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन/ उपयोग करके पर्याप्त सम्मान रूपी जन समर्थन प्राप्त कर सकने में सक्षम है।
2.  अनेक शिक्षाकर्मी साथी अपेक्षाकृत बेहतर प्रशिक्षण देकर श्रेष्ठ ट्रेनर के रूप में पर्याप्त सम्मान रुपी जनमत प्राप्त कर सकने में समर्थ हैं।
3. आध्यात्मिक प्रवचन में रूचि रखने वाले बहुत से शिक्षाकर्मी साथी प्रवचनकर्ता के रूप मे बेहतर प्रतिभा का प्रदर्शन कर समाज में पर्याप्त सम्मान प्राप्त कर सकने में सक्षम हैं।
4.  भारतीय अध्यात्म में रुचि रखने वाले शिक्षाकर्मी साथी अध्यात्म के जानकार, योगी, ध्यानी, तांत्रिक, वास्तुशास्त्री, ज्योतिषी, हस्तरेखाविद्, वैद्य, यज्ञकर्ता आदि के रूप में इस क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों की तरह/ अधिक बेहतर प्रतिभा का प्रदर्शन कर पर्याप्त सम्मान/ जनमत प्राप्त कर सकते हैं।
5.   योग में रुचि रखने वाले साथी योग के दूसरे जानकार लोगों की तरह या उनसे भी बेहतर योग शिक्षक बन कर सम्मान रूप में जनमत प्राप्त कर सकने में सक्षम हैं।
6.   कुछ शिक्षाकर्मी मित्र अपने वक्ता गुण के बल पर अन्य की तुलना में अधिक लोगों के समझ, मान्यता, विचारधारा को सुधार/ परिवर्तित कर अच्छे वक्ता के रूप में सम्मान/समर्थन प्राप्त कर सकने में समर्थ हैं।
7.   प्रशासनिक सेवा परीक्षा की तैयारी में लगे या प्रशासनिक सेवा परीक्षा के अनुभवी, जानकार कुछ शिक्षाकर्मी मित्रों में प्रशासनिक अधिकारी बन सकने की प्रतिभा विद्यमान है। जो विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में लगे युवाओं को मार्गदर्शन देकर या प्रशासनिक अधिकारी बनकर शिक्षाकर्मियों के हित में कार्य कर सम्मान प्राप्त कर सकते हैं।
8.   कुछ शिक्षाकर्मी मित्रों में व्यावसायिक प्रतिभा विद्यमान है। जिसका किसी माध्यम से अप्रत्यक्ष उपयोग के रूप में, परामर्श देकर अपनी व्यवसायिक प्रतिभा का उपयोग कर भारतीय व्यापार के विकास में अपना बेहतर योगदान देकर सम्मान प्राप्त कर सकने में समर्थ है। जो समाज में शिक्षाकर्मियों के प्रति लोगों के नजरिए में सुधार लाने वाला सिद्ध होगा।
9.   कुछ मित्र खेल के क्षेत्र में बेस्ट खिलाडी या प्रशिक्षक (कोच) बनकर सम्मान प्राप्त कर सकने में समर्थ हैं। जो शिक्षाकर्मियों की छवि सुधारने वाला सिद्ध होगा।
10.   कुछ मित्र समाजसेवक के रूप में विद्यार्थियों और पालकों को अच्छी शिक्षा तथा जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उपयोगी ज्ञान/ जानकारी प्रदान कर अथवा शासकीय कार्यालयों के कार्य से संबंधित मार्गदर्शन देकर बेहतर समाज सेवक के रूप में लोगों से सम्मान तथा समर्थन प्राप्त कर सकने में समर्थ हैं।
11.   कुछ मित्र अपने साहित्यिक कौशल को लेखन के रुप में व्यक्त कर अच्छा लेखक या कवि बन कर समाज में लोगों के समर्थन/ सम्मान प्राप्त कर सकने में सक्षम हैं।
12.   कुछ मित्रों में कलाकार का गुण होता है।अपने रूचि के अनुकूल कला का प्रदर्शन कर लोगों का समर्थन तथा समाज में सम्मान प्राप्त कर सकने में समर्थ हैं।
13.   कई मित्र अपने वैज्ञानिक प्रतिभा को विद्यार्थियों के माध्यम से लोगों के सामने लाकर पर्याप्त सम्मान रूपी जनमत प्राप्त कर सकने में समर्थ हैं।
14.   कुछ कृषि कार्य में रुचि रखने वाले मित्र उत्तम खेती कर श्रेष्ठ किसान का पुरस्कार प्राप्त कर प्रेरणाश्रोत बनकर लोगों का समर्थन तथा सम्मान प्राप्त कर सकते हैं।
15.   शिक्षिकाएं किसी भी कला के क्षेत्र में प्रायः अधिक दक्ष होती है। जो अपने किसी भी बेहतर कला के सदुपयोग / अभिव्यक्ति या महिलाओं छात्राओं का मार्गदर्शन रूपी सहयोग करके समाज में सम्मान / समर्थन प्राप्त कर सकने में समर्थ हैं।
16. अनेक शिक्षाकर्मी साथी बेहतर अध्यापन कार्य करवाकर आदर्श शिक्षक के रूप में प्रसिद्धि तथा लोगों से सम्मान रूपी समर्थन प्राप्त कर सकते हैं, अनेक साथी कर भी रहे हैं, और आगे भी करते रहेंगे।
         इस तरह से 16 कलाओं में  दक्ष शिक्षाकर्मियों को अपनी इन छिपी प्रतिभाओं का सदुपयोग, विकास करने, प्रतिभा को अभिव्यक्त करने की आवश्यकता है। जिससे  प्राप्त सम्मान लोकतन्त्र के जमाने में, राजनीति की भाषा में जनमत (जन-समर्थन) कहलाता है।और यह जनमत आजकल की राजनीति प्रधान दुनिया में बहुत बड़ी शक्ति है।यह सब प्रसिद्धि,कार्य *शिक्षाकर्मी समुदाय* को ताकतवर बनाने में सक्षम सिद्ध होगा।
             और जब इस तरह के प्रतिभाओं के उपयोग से समाज में लोगों का नजरिया शिक्षाकर्मियों के प्रति पर्याप्त सम्मानजनक हो जाएगा अर्थात शिक्षाकर्मियों को पर्याप्त सम्मान मिलने लगेगा तब जन-समर्थन के अनुरूप सरकार को भी सम्मान देना ही पड़ेगा।
       और सरकार द्वारा सम्मान दिया जाना शिक्षाकर्मियों के समस्त समस्याओं को सुलझाने वाला सिद्ध होगा। सबके सामूहिक प्रयास से अगर ऐसा हो सका तो यह शिक्षाकर्मी के इतिहास में ऐतिहासिक कार्य सिद्ध होगा।
                शिक्षाकर्मियों के सम्मान के लिए तथा सभी समस्याओं के समाधान के लिए किसी न किसी को कभी न कभी इस तरह का कार्य करना ही पड़ेगा, तो क्यों न हम इसी पीढ़ी में इस पुनीत कार्य को करके भावी शिक्षाकर्मियों के लिए आदर्श प्रस्तुत करने में सहभागी बनें।
                    धन्यवाद  
                 आपका मित्र
           रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं)
       पथरिया,मुंगेली (छत्तीसगढ़)

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