🌷 *शिक्षा जगत का उन्नत वर्जन -"शिक्षाकर्मी*🌷
✍ हमारे देश-राज्य में कोई बात या ज्ञान ऊंचे पद, बड़ी डिग्री रखने वाले या आर्थिक दृष्टि से समृद्ध लोगों द्वारा कही जाए तो उसे सही समझा जाता है, और पर्याप्त महत्व दिया जाता है।लेकिन कितनी भी अच्छी और ऊँची बात छोटे पद, छोटी डिग्री वाले या सामान्य तबके के लोगों द्वारा कही जाए तो उसे सही नहीं समझा जाता अथवा विशेष महत्व नहीं दिया जाता।
जब कि इतिहास गवाह है कि समाज देश, दुनिया या वैज्ञानिक शोध के क्षेत्र में बड़ी बात, बड़ी उपलब्धि सामान्य समझे जाने वाले या छोटी डिग्री रखने वाले लोगों द्वारा ही उपलब्ध की गई है।
इसीलिए किसी महापुरुष ने कहा है कि- *"किसी भी मनुष्य के वर्तमान स्थिति को देखकर उसके भविष्य का उपहास मत उड़ाओ, क्योंकि काल (समय) में इतनी शक्ति है कि- वह एक साधारण से कोयले को भी एक दिन हीरा बना देता है"।*
यह बात शिक्षाकर्मियों पर भी लागू होती है।शिक्षाकर्मियों को छोटी डिग्री, कम ज्ञान रखने वाले, कमजोर आर्थिक स्थिति वाले समझ कर इनकी बातों को विशेष महत्व नहीं दिया जाता। पक्षपात पूर्ण व्यवहार किया जाता है। विभिन्न तरह से मानसिक रूप से प्रताड़ित तथा अपमानित किया जाता है। यह शिक्षाकर्मियों को हतोत्साहित करने, प्रतिभा को दबाने का प्रयास है।
🦁🦁⚖🦁🦁
🌷धन्यवाद🌷
रामेश्वर वर्मा(शिक्षक पं)
पथरिया,मुंगेली(छत्तीसगढ़)
✍ हमारे देश-राज्य में कोई बात या ज्ञान ऊंचे पद, बड़ी डिग्री रखने वाले या आर्थिक दृष्टि से समृद्ध लोगों द्वारा कही जाए तो उसे सही समझा जाता है, और पर्याप्त महत्व दिया जाता है।लेकिन कितनी भी अच्छी और ऊँची बात छोटे पद, छोटी डिग्री वाले या सामान्य तबके के लोगों द्वारा कही जाए तो उसे सही नहीं समझा जाता अथवा विशेष महत्व नहीं दिया जाता।
जब कि इतिहास गवाह है कि समाज देश, दुनिया या वैज्ञानिक शोध के क्षेत्र में बड़ी बात, बड़ी उपलब्धि सामान्य समझे जाने वाले या छोटी डिग्री रखने वाले लोगों द्वारा ही उपलब्ध की गई है।
इसीलिए किसी महापुरुष ने कहा है कि- *"किसी भी मनुष्य के वर्तमान स्थिति को देखकर उसके भविष्य का उपहास मत उड़ाओ, क्योंकि काल (समय) में इतनी शक्ति है कि- वह एक साधारण से कोयले को भी एक दिन हीरा बना देता है"।*
यह बात शिक्षाकर्मियों पर भी लागू होती है।शिक्षाकर्मियों को छोटी डिग्री, कम ज्ञान रखने वाले, कमजोर आर्थिक स्थिति वाले समझ कर इनकी बातों को विशेष महत्व नहीं दिया जाता। पक्षपात पूर्ण व्यवहार किया जाता है। विभिन्न तरह से मानसिक रूप से प्रताड़ित तथा अपमानित किया जाता है। यह शिक्षाकर्मियों को हतोत्साहित करने, प्रतिभा को दबाने का प्रयास है।
शिक्षाकर्मियों को टेक्निकल भाषा या कम्प्यूटर, स्मार्टफोन की भाषा में समझा जाए तो- चूँकि किसी भी चीज का आगामी वर्जन उन्नत होता है। उसी तरह शिक्षाकर्मी कोई साधारण नहीं बल्कि उन्नत वर्जन है। 21वीं सदी का वर्जन है। जो कठिन परिस्थिति तथा कम लागत में भी लगातार अधिक बेहतर सेवा, उपलब्धि प्रदान कर सकने में समर्थ है। पर्याप्त मेमोरी (इंटरनल स्टोरेज) अधिक मेगापिक्सल कैमरे की तरह किसी चीज को बेहतर ढंग से देख/ समझ सकने में सक्षम है। विंडो 10 वर्जन या अन्य उन्नत आपरेटिंग सिस्टम की तरह अध्यापन कार्य को उन्नत, बेहतर, नवाचार के ढंग से कर सकने में सक्षम है।
लेकिन शिक्षा विभाग तथा पंचायत विभाग रुपी डबल ऑपरेटिंग सिस्टम के कारण तथा इनके द्वारा बेहतर सुविधायुक्त तथा उन्नत सिस्टम उपलब्ध नहीं होने के कारण पर्याप्त सक्षम होने के बावजूद वैकल्पिक रूप से कार्यकुशलता में कुछ कमी प्रतीत होती है। जो ऑपरेटिंग सिस्टम के सुधरने से सदा बेहतर सेवा देने में सक्षम है। कुछ शिक्षाकर्मी रूपी कंप्यूटरों में किसी कारण से अनुशासनहीनता रूपी वायरस आ जाने के कारण हैंग हो जाने या स्पीड कम हो जाने का अर्थ सभी कंप्यूटरों का कमजोर होना नहीं है। सरकार रुपी कंपनी द्वारा- शिक्षाकर्मी रूपी कंप्यूटर/ स्मार्टफोन का बेहतर संचालन या सदुपयोग किया जाय अर्थात पर्याप्त वेतन रूपी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया जाए तथा सम्मान रुपी एंटीवायरस डाला जाए तो आश्चर्यजनक बेहतर सेवा, रिजल्ट देने में सक्षम है। भारत को विश्वगुरु/ विश्व शिक्षा का प्रमुख केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्राचीन भारतीय गुरुओं के इस 21वीं सदी के वर्जन को कम आंकना, अपमानित, प्रताड़ित करना,खिल्ली उड़ाना बहुत बड़ी भूल है।
किसी महापुरुष ने कहा है, अगर नहीं कहा है तो भविष्य में कहेंगे-
*शिक्षक ( शिक्षाकर्मी ) सोता हुआ शेर है।ऊँगली मत करना, किसी दिन जाग गया तो.......!!!!!!!*लेकिन शिक्षा विभाग तथा पंचायत विभाग रुपी डबल ऑपरेटिंग सिस्टम के कारण तथा इनके द्वारा बेहतर सुविधायुक्त तथा उन्नत सिस्टम उपलब्ध नहीं होने के कारण पर्याप्त सक्षम होने के बावजूद वैकल्पिक रूप से कार्यकुशलता में कुछ कमी प्रतीत होती है। जो ऑपरेटिंग सिस्टम के सुधरने से सदा बेहतर सेवा देने में सक्षम है। कुछ शिक्षाकर्मी रूपी कंप्यूटरों में किसी कारण से अनुशासनहीनता रूपी वायरस आ जाने के कारण हैंग हो जाने या स्पीड कम हो जाने का अर्थ सभी कंप्यूटरों का कमजोर होना नहीं है। सरकार रुपी कंपनी द्वारा- शिक्षाकर्मी रूपी कंप्यूटर/ स्मार्टफोन का बेहतर संचालन या सदुपयोग किया जाय अर्थात पर्याप्त वेतन रूपी सॉफ्टवेयर इंस्टॉल किया जाए तथा सम्मान रुपी एंटीवायरस डाला जाए तो आश्चर्यजनक बेहतर सेवा, रिजल्ट देने में सक्षम है। भारत को विश्वगुरु/ विश्व शिक्षा का प्रमुख केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्राचीन भारतीय गुरुओं के इस 21वीं सदी के वर्जन को कम आंकना, अपमानित, प्रताड़ित करना,खिल्ली उड़ाना बहुत बड़ी भूल है।
किसी महापुरुष ने कहा है, अगर नहीं कहा है तो भविष्य में कहेंगे-
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🌷धन्यवाद🌷
रामेश्वर वर्मा(शिक्षक पं)
पथरिया,मुंगेली(छत्तीसगढ़)
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