🌷अवचेतन मन- विद्यार्थियों में मनोवैज्ञानिक सुधार की कुंजी🌷
योग- ध्यान तथा मनोविज्ञान का गहरा अध्ययन बतलाता है कि- मानव/ विद्यार्थी मूलतः अवचेतन मन से संचालित होते हैं। अवचेतन मन ही मानव शरीर को संचालित करता है। मानव का स्वभाव/आदत, समस्त क्रियाकलाप अवचेतन मन पर आधारित होता है। इसलिए अवचेतन को प्रभावित किए, सुधारे बिना मानव, विद्यार्थियों में अपेक्षित वास्तविक सुधार ला पाना असंभव है।
वर्तमान प्रचलित मनोविज्ञान के आधार पर मन के मुख्यतः तीन रुप या प्रकार होते हैं-
प्रथम - चेतन मन
दूसरा- अवचेतन मन
तीसरा- अचेतन मन
तथा-
ध्यान-योग के अंतर्गत मन की मुख्यतः चार अवस्थाओं का परिचय मिलता है-
प्रथम- चेतन मन,
दूसरा- अवचेतन मन,
तीसरा- अचेतन मन तथा
चौथा- अतिचेतन मन।
चेतन मन हमारे दैनिक क्रियाकलाप में काम आने वाले मन को चेतन मन कहा जाता है। शिक्षा में उपयोग होने वाले मन-मस्तिष्क की विचार, बुद्धि, तर्क चेतन मन का हिस्सा है।
दूसरा अवचेतन मन है जो- चेतन मन की तुलना में कई गुना अधिक क्षमतावान अवस्था है। अवचेतन मन मानव के लगभग सभी अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रक है। मानव विद्यार्थियों के विभिन्न् आदत, स्थाई गहरी स्मृत्ति, किसी चीज विषय वस्तु को गहरे में ठीक से समझ सकने की क्षमता, पढ़ाई में उपयोग होने वाली सबसे बडी प्रतिभा एकाग्रता तथा विज्ञान के क्षेत्र में नए खोजकर सकने की प्रतिभा के साथ किसी भी क्षेत्र में नए ज्ञान प्राप्त कर सकने की प्रतिभा-क्षमता तथा समस्त कला का उद्गम स्रोत या आधार अवचेतन मन ही है।नींद की अवस्था में अनुभव होने वाला स्वप्न भी अवचेतन मन का ही हिस्सा है।
योग ध्यान में वर्णित अति चेतन मन दैनिक जीवन या शिक्षा में उपयोग की अपेक्षा ध्यान के क्षेत्र में सर्वाधिक उपयोगी है। यह मुख्यतः आध्यात्म का हिस्सा है।
वर्तमान प्रचलित मनोविज्ञान तथा शिक्षा पद्धति चेतन मन-मस्तिष्क पर आधारित है, और इस पर आधारित तथा वर्तमान में प्रचलित समस्त सुधार तकनीक मानव/ विद्यार्थियों में वास्तविक सुधार कर पाने में अप्रभावी सिद्ध हो रहा है। हमारे देश में इतने प्रवचनकर्ता, उपदेशक, शिक्षा देने वाले तथा पुलिस, थाने, न्यायालय होने तथा शिक्षा में विभिन्न तकनीकों का उपयोग किए जाने के बावजूद लोगों/ विद्यार्थियों में अपेक्षित सुधार नहीं आ पा रहा है।
इसलिए-
वास्तविक सुधार हेतु अवचेतन मन मस्तिष्क से सम्बन्धित शिक्षा, शिक्षा पद्धति तथा इसी पर आधारित व्यवस्थित वैज्ञानिक सुधार तकनीक उपयोग किए जाने की अत्यंत आवश्यकता है।
सम्पूर्ण योग शास्त्र खासकर पतंजलि योग मानव का संपूर्ण मनोविज्ञान है। इसमें मानव के भौतिक शरीर, चेतन मन से लेकर भीतर/ गहरे तक विद्यमान विभिन्न सूक्ष्म शरीरों, अवचेतन मन, अचेतन मन, अतिचेतन मन का विस्तृत वर्णन, क्रियाविधि उपलब्ध है। इसलिए इस तरह के समस्त सुधार कार्य में पतंजलि योग सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।
पतंजलि योग मानव/विद्यार्थियों के भौतिक शरीर के साथ-साथ मन-मस्तिष्क से सम्बन्धित समस्त कमजोरियों/व्याधियों को सुधार सकने तथा मन-मस्तिष्क को उन्नत बना सकने में समर्थ है। भारत में वर्तमान परिवेश में पतंजलि योग का चलन राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी बढ़ा है, इसलिए इसके शिक्षा तथा मानव सुधार के क्षेत्र में मनोचिकित्सा तथा मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के रूप में उपयोग के लिए पर्याप्त अनुकूलता उपलब्ध है।
इसलिए इसका अधिकाधिक उपयोग किया जाना अत्यंत आवश्यक है। यह देश की शिक्षा विद्यार्थी मानव मन मस्तिष्क के स्तर को स्वस्थ तथा उन्नत कर सकने में समर्थ है। जो हम सब देशवासियों के साथ विश्वमानव को महर्षि पतंजलि के आशीर्वाद के रुप में प्राप्त प्राप्त है।
🌷धन्यवाद🌷
रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं)
पथरिया, मुंगेली (छत्तीसगढ़)
योग- ध्यान तथा मनोविज्ञान का गहरा अध्ययन बतलाता है कि- मानव/ विद्यार्थी मूलतः अवचेतन मन से संचालित होते हैं। अवचेतन मन ही मानव शरीर को संचालित करता है। मानव का स्वभाव/आदत, समस्त क्रियाकलाप अवचेतन मन पर आधारित होता है। इसलिए अवचेतन को प्रभावित किए, सुधारे बिना मानव, विद्यार्थियों में अपेक्षित वास्तविक सुधार ला पाना असंभव है।
वर्तमान प्रचलित मनोविज्ञान के आधार पर मन के मुख्यतः तीन रुप या प्रकार होते हैं-
प्रथम - चेतन मन
दूसरा- अवचेतन मन
तीसरा- अचेतन मन
तथा-
ध्यान-योग के अंतर्गत मन की मुख्यतः चार अवस्थाओं का परिचय मिलता है-
प्रथम- चेतन मन,
दूसरा- अवचेतन मन,
तीसरा- अचेतन मन तथा
चौथा- अतिचेतन मन।
चेतन मन हमारे दैनिक क्रियाकलाप में काम आने वाले मन को चेतन मन कहा जाता है। शिक्षा में उपयोग होने वाले मन-मस्तिष्क की विचार, बुद्धि, तर्क चेतन मन का हिस्सा है।
दूसरा अवचेतन मन है जो- चेतन मन की तुलना में कई गुना अधिक क्षमतावान अवस्था है। अवचेतन मन मानव के लगभग सभी अनैच्छिक क्रियाओं का नियंत्रक है। मानव विद्यार्थियों के विभिन्न् आदत, स्थाई गहरी स्मृत्ति, किसी चीज विषय वस्तु को गहरे में ठीक से समझ सकने की क्षमता, पढ़ाई में उपयोग होने वाली सबसे बडी प्रतिभा एकाग्रता तथा विज्ञान के क्षेत्र में नए खोजकर सकने की प्रतिभा के साथ किसी भी क्षेत्र में नए ज्ञान प्राप्त कर सकने की प्रतिभा-क्षमता तथा समस्त कला का उद्गम स्रोत या आधार अवचेतन मन ही है।नींद की अवस्था में अनुभव होने वाला स्वप्न भी अवचेतन मन का ही हिस्सा है।
योग ध्यान में वर्णित अति चेतन मन दैनिक जीवन या शिक्षा में उपयोग की अपेक्षा ध्यान के क्षेत्र में सर्वाधिक उपयोगी है। यह मुख्यतः आध्यात्म का हिस्सा है।
वर्तमान प्रचलित मनोविज्ञान तथा शिक्षा पद्धति चेतन मन-मस्तिष्क पर आधारित है, और इस पर आधारित तथा वर्तमान में प्रचलित समस्त सुधार तकनीक मानव/ विद्यार्थियों में वास्तविक सुधार कर पाने में अप्रभावी सिद्ध हो रहा है। हमारे देश में इतने प्रवचनकर्ता, उपदेशक, शिक्षा देने वाले तथा पुलिस, थाने, न्यायालय होने तथा शिक्षा में विभिन्न तकनीकों का उपयोग किए जाने के बावजूद लोगों/ विद्यार्थियों में अपेक्षित सुधार नहीं आ पा रहा है।
इसलिए-
वास्तविक सुधार हेतु अवचेतन मन मस्तिष्क से सम्बन्धित शिक्षा, शिक्षा पद्धति तथा इसी पर आधारित व्यवस्थित वैज्ञानिक सुधार तकनीक उपयोग किए जाने की अत्यंत आवश्यकता है।
सम्पूर्ण योग शास्त्र खासकर पतंजलि योग मानव का संपूर्ण मनोविज्ञान है। इसमें मानव के भौतिक शरीर, चेतन मन से लेकर भीतर/ गहरे तक विद्यमान विभिन्न सूक्ष्म शरीरों, अवचेतन मन, अचेतन मन, अतिचेतन मन का विस्तृत वर्णन, क्रियाविधि उपलब्ध है। इसलिए इस तरह के समस्त सुधार कार्य में पतंजलि योग सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।
पतंजलि योग मानव/विद्यार्थियों के भौतिक शरीर के साथ-साथ मन-मस्तिष्क से सम्बन्धित समस्त कमजोरियों/व्याधियों को सुधार सकने तथा मन-मस्तिष्क को उन्नत बना सकने में समर्थ है। भारत में वर्तमान परिवेश में पतंजलि योग का चलन राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर काफी बढ़ा है, इसलिए इसके शिक्षा तथा मानव सुधार के क्षेत्र में मनोचिकित्सा तथा मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के रूप में उपयोग के लिए पर्याप्त अनुकूलता उपलब्ध है।
इसलिए इसका अधिकाधिक उपयोग किया जाना अत्यंत आवश्यक है। यह देश की शिक्षा विद्यार्थी मानव मन मस्तिष्क के स्तर को स्वस्थ तथा उन्नत कर सकने में समर्थ है। जो हम सब देशवासियों के साथ विश्वमानव को महर्षि पतंजलि के आशीर्वाद के रुप में प्राप्त प्राप्त है।
🌷धन्यवाद🌷
रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं)
पथरिया, मुंगेली (छत्तीसगढ़)
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