विज्ञान और योग का मिलन (Combination of Science and Yoga)

            विज्ञान और योग का मिलन
     (Combination of Science and Yoga)

           योग और विज्ञान का मिलन विश्व ज्ञान के बहुत बड़े शिखर को छु सकने में समर्थ है। प्राचीन काल में योग और विज्ञान भारतीय शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा हुआ करता था।प्राचीन ऋषि रूपी वैज्ञानिक योग-ध्यान किया करते थे।जिसके बदौलत ही ज्ञान-विज्ञान का स्तर गहरा/उन्नत हुआ करता था। भारत शिक्षा का प्रमुख केंद्र हुआ करता था।
           योग का इतिहास बहुत पुराना है,लेकिन आधुनिक विज्ञान बहुत पुराना नहीं है। प्राचीन ज्ञान होने के बावजूद पतंजलि योग विज्ञान की तरह ही प्रमाणिक है और विज्ञान के ही सिद्धांत पर कार्य करता है। जिस प्रकार विज्ञान में सैद्धांतिक और प्रायोगिक दो पक्ष होते हैं, उसी तरह योग में भी सैद्धांतिक और प्रायोगिक दो पक्ष है। विज्ञान की तरह योग में भी प्रायोगिक पक्ष मुख्य है। विज्ञान में जिस प्रकार  प्रयोग से प्रमाणित करके तथ्यों को जाना जाता है। उसी तरह योग को भी प्रयोग से प्रमाणिक रुप से जाना, अनुभव किया जा सकता है।अनुभव किया जाता है।
            अंतर सिर्फ इतना है कि- विज्ञान भौतिक पदार्थ तथा भौतिक ऊर्जा पर आधारित है, कार्य करता है। और योग-ध्यान जैविक पदार्थ (मानव) तथा जैविक ऊर्जा (प्राण ऊर्जा) पर आधारित है और मानव पर कार्य करता है.
             भगवान शिव को योग का आदि गुरु कहा जाता है। योग के संबंध में अनेक भारतीय ग्रंथों में वर्णन मिलता है।जिसके अनेक प्रमाणिक ग्रंथ अलग-अलग विद्वानों द्वारा रचे गए हैं।जिसमे पतंजलि योग सबसे व्यवस्थित, वैज्ञानिक तथा अपेक्षाकृत सरल पद्धति है। विभिन्न योगों के सारांश के रूप में महर्षि पतंजलि द्वारा योग को व्यवस्थित वैज्ञानिक ढंग से प्रस्तुत किया गया है, इसलिए महर्षि पतंजलि को योग विज्ञान का सबसे प्रतिभाशाली वैज्ञानिक कहा जा सकता है।
           अभी तक योग और विज्ञान के द्वारा अलग-अलग कार्य किया जाता रहा है। अगर दोनों मिल कर कार्य करें, तो ज्ञान का एक नया शिखर छुआ जा सकता है। जो योग तथा विज्ञान दोनों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि सिद्ध होगी।
             योग और विज्ञान का यह मिलन बहुत लोगों को अटपटा लग सकता है। विज्ञान में रुचि रखने वालों को लगेगा विज्ञान अपने आप में ज्ञान तथा सत्य से परिपूर्ण है, योग से क्या फायदा।
            योग में रुचि रखने वाले या योग से जुड़े लोगों को लग सकता कि योग आध्यात्मिक ज्ञान है, और विज्ञान भौतिकवादी ज्ञान है। दोनों का मिलन संभव नहीं है।
      लेकिन यह संभव है-
            दोनों का मूल उद्देश्य एक है। सिर्फ रास्ते अलग है। विज्ञान भौतिक पदार्थ से यात्रा प्रारंभ करता है, और योग जैविक पदार्थ  मानव या जैविक ऊर्जा प्राण/मन से यात्रा प्रारंभ करता है।
           योग का मूल उद्देश्य आत्मा, परमात्मा, सूक्ष्मजगत,अस्तित्व के सत्य को जानना/ अनुभव करना है, जो अस्तित्व के गहरे ऊर्जा/ ध्वनि/प्रकाश/अद्वैत रूप को अनुभव करने के रूप में पूरा होता है। और विज्ञान का भी मूल उद्देश्य मानव जीवन के लिए आवश्यक सुविधा जुटाने के साथ प्रकृति अर्थात अस्तित्व के सत्य, मूल तत्व को समझना है। जो अभी हिंग्स बोसोन की खोज कर समझने के रूप में जारी है.......।
            योग-ध्यान की प्रक्रियाओं को सुगम बनाने, योग-ध्यान के द्वारा मानव/विद्यार्थियों/वैज्ञानिकों को धारणा-ध्यान/सवितर्क समाधि अर्थात विज्ञान की भाषा में मन-मस्तिष्क की अल्फ़ा तरंग अवस्था को आसानी से उपलब्ध कर पाने में सहयोगी आवश्यक यंत्र तथा संसाधन उपलब्ध करवाने के साथ योग को वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित कर सकने योग्य आवश्यक यन्त्र/ संसाधन जुटाकर आधुनिक विज्ञान योग का सहयोग कर सकता है।
     तथा
            वैज्ञानिकों, शोधार्थियों, विद्यार्थियों के लिए योग-ध्यान के रूप में मानव मन-मस्तिष्क क्षमता विकास से संबंधित शिक्षा/प्रशिक्षण देकर अर्थात वैज्ञानिकों को और अधिक जीनियस बनाकर तथा योग सिद्धियों की अवस्था अर्थात विज्ञान की भाषा में मन-मस्तिष्क की अल्फ़ा तरंग की गहरी अवस्था में अनुभव किए गए अस्तित्व के गुप्त रहस्य को आधुनिक विज्ञान से शेयर करके अर्थात आधुनिक खोज/आविष्कार के लिए सूत्र उपलब्ध करा कर विज्ञान के विकास में सहयोगी हो सकता है।
             इस तरह से दोनों एक दूसरे के विकास में सहयोगी हो सकते हैं।
            प्रकृति का योग नियम है कि- किन्ही दो चीजों या शक्तियों के मिलने से नए चीज या शक्ति उत्पन्न होता है। योग तथा आधुनिक विज्ञान के एक दूसरे का सहयोग या एक दुसरे से मिलन प्रकृति के योग नियमानुसार तथा आधुनिक विज्ञान के नाभिकीय संलयन के नियमानुसार नई शक्ति / ज्ञान को उत्पन्न कर सकने में समर्थ है। जो योग तथा विज्ञान के साथ शिक्षा के क्षेत्र में एक नई उन्नत उपलब्धि सिद्ध  होगी।
              🌷  धन्यवाद  🌷
          रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं)
      पथरिया, मुंगेली (छत्तीसगढ़)

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