पढ़ाई में मन कैसे लगाएं

     🌷 पढ़ाई में मन कैसे लगाएं ? 🌷

     ✍शिक्षा के क्षेत्र में अधिकांश विद्यार्थियों के लिए विभिन्न समस्याओं के बीच सबसे मुख्य/ बड़ी समस्या है- पढ़ाई में रूचि नही होना/ पढ़ाई में ठीक से मन नहीं लगना ठीक से पढ़ना बहुत से विद्यार्थी चाहते हैं, लेकिन देश में पढ़ने वाले अधिकांश विद्यार्थियों को चाह कर भी पढ़ने में मन नहीं लगता।
          सामान्यतः देखा जाए तो इसके अनेक कारण तथा अनेक समाधान प्रतीत होते हैं; लेकिन कई वर्षों के इसके विस्तृत गहन अध्ययन से स्पष्ट हुआ है कि- पढ़ाई के अनुकूल देश, काल, वातावरण/ सुविधा का ना मिलना, जन्मजात व्यक्तित्व पढ़ाई के अनुकूल न होना, न्यूनाधिक मात्रा में शारीरिक मानसिक अस्वस्थता, मार्गदर्शन की कमी आदि विभिन्न कारणों के बीच यह विभिन्न कारणों से उत्पन्न मनोवैज्ञानिक समस्या है। जिसके समाधान के लिए विभिन्न उपायों के बीच मनोवैज्ञानिक उपाय सर्वाधिक महत्वपूर्ण, असरकारक है।
          क्योंकि पालको, विद्यार्थियों, शिक्षाविदों द्वारा इसके संबंध में विभिन्न भौतिक उपाय किए जाते हैं, लेकिन फिर भी अपेक्षित सुधार परिलक्षित नहीं हो पा रहा है। इसका मुख्य वजह इसका मनोवैज्ञानिक समस्या होना है। जिसका सुधार गहरे मनोवैज्ञानिक उपाय से ही संभव है।
            क्योंकि विद्यार्थियों के मन का अगर गहरे में ठीक से अध्ययन किया जाए या समझा जाए तो पता चलता है कि- डिप्रेशन या अन्य किसी मनोवैज्ञानिक समस्याओं से ग्रसित विद्यार्थियों को छोड़कर शेष अधिकांश लोगों/ विद्यार्थियों का मन कहीं भी नहीं लगता है, ऐसा नहीं है। मन पढ़ाई को छोड़कर कहीं न कहीं किसी ने किसी चीज में लगता अवश्य है! अब सवाल यह है कि- मन कहां लगता है? किसमे लगता है?
          तो मन का नियम है कि- मन मुख्य रूप से वहां या उस कार्य में लगता है- जिस कार्य में मजा आए या फायदा दिखे! तो अब सवाल यह है कि मन को मजा किसमें या क्यों आता है?
          तो मन के अध्ययन से पता चलता है कि- जिस काम में मन तल्लीन होता है। उस काम में मन को मजा आता है। अब इसको बच्चों/विद्यार्थियों के लिए टीवी के मनपसन्द फिल्मों, धारावाहिक या कार्टून कार्यक्रमों के उदाहरण से समझते हैं।
         जब विद्यार्थी अपने रुचि अनुकूल इस तरह के कार्यक्रम को देखते हैं, तब उस देखने में बच्चे इतने तल्लीन रहते हैं कि- उनको अन्य किसी चीज का ध्यान ही नहीं रहता। इसी मन की तल्लीनता की अवस्था के कारण उनको मजा आता है। अगर इस तरह के मनपसंद कार्यक्रम को बिना तल्लीनता के इधर-उधर ध्यान देते हुए देखेंगे तो कार्यक्रम कितना भी बढ़िया हो उतना मजा नहीं आएगा जितना कि तल्लीनता में आता है! अर्थात यह सिद्ध करता है कि- मजा विषय से नहीं मन की तल्लीनता की अवस्था से आता है। अर्थात किसी भी कार्य को अगर तल्लीनता से किया जाए/ मन को तल्लीन किया जाए या मन तल्लीन हो जाए तो उसी में मजा आने लगता है।
          तो मन के इस नियमानुसार पढ़ाई को तल्लीनता पूर्वक करने के कुछ दिनों के अभ्यास से तल्लीनता पूर्वक पढ़ाई करने का आदत बन जाता है। और पढ़ाई में मजा आने लगता है।
          लेकिन यह तल्लीनता अभ्यास के बावजूद आसानी से नहीं आ पाता। जिसके सुधार के लिए पतंजलि योग या अन्य किसी रुचि अनुकूल योग का उपयोग आवश्यक है। पढ़ाई में मन लगाने या तल्लीनता के लिए सर्वप्रथम शरीर, मन-मस्तिष्क को स्वस्थ/ सबल होना चाहिए। जिसके लिए वर्तमान में सर्वाधिक प्रचलित पतंजलि योग के रूचि अनुकूल तथा मन-मस्तिष्क के लिए लाभ दायक कुछ सरल आसनों  के साथ भस्त्रिका, अनुलोम-विलोम, कपालभाति और भ्रामरी प्राणायाम का उपयोग सुगम, प्रभावी, सर्वोत्तम उपाय है।
         पढ़ाई में मन लगाने के लिए विद्यार्थियों के शरीर, मन- मस्तिष्क को योग के उपयोग से स्वस्थ सबल बनाने के प्रयास तथा तल्लीनता पूर्वक पढ़ने का अभ्यास करने के साथ पढ़ाई से भविष्य में होने वाले लाभ के बारे में भी फिल्मों की तरह प्रतिदिन विजुअलाइजेशन करना अर्थात प्रतिदिन प्रातः पढ़ने से पहले, दिन में खाली समय मिलने पर तथा रात्रि सोने के पहले नियमित रूप से मन की आंखों से देखने अर्थात कल्पना में महसूस करने का अभ्यास करना चाहिए।
         क्योंकि पढ़ाई में ठीक से मन लगाने के लिए तल्लीनता पूर्वक पढ़ने से मिलने वाले मजे के साथ साथ पढ़ाई से भविष्य में होने वाले लाभ सतत मन की आंखों से दिखते रहना चाहिए। ऐसा करने से मन के सामने एक स्पष्ट उद्देश्य या मंजिल रहता है। जिससे उस को प्राप्त करने का मन को सतत प्रेरणा प्राप्त होता रहता है।
         यह प्रयोग विश्व स्तर पर प्रचलित बहुत उन्नत मनोवैज्ञानिक प्रयोग है। जिसका लगभग सभी विश्व स्तरीय मोटिवेशनल प्रशिक्षण में तथा मनोवैज्ञानिकों द्वारा मनोचिकित्सा में उपयोग किया जाता है।
        यह प्रयोग सुनने या पढ़ने में सामान्य या महत्वहीन लग सकता है लेकिन प्रयोग/ अभ्यास करने पर अत्यंत असरकारक है। इस अभ्यास से शरीर, मन-मस्तिष्क का पूरा सिस्टम, रासायनिक स्थिति, पुरानी आदत, अंतः स्त्रावी ग्रंथियों से स्त्रावित होने वाला हार्मोन्स रूपांतरित होने लगता है। जो धीरे-धीरे कुछ दिनों में लगभग पूर्णतः रूपांतरित हो जाता है। जो पढ़ाई लिखाई में ठीक है मन लगाने में सर्वाधिक सहयोगी होता है।
         यह रान्डा बर्न की विश्व प्रसिद्ध बेस्ट सेलिंग पुस्तक द सीक्रेट तथा जोसेफ मर्फी की पुस्तक- आपके अवचेतन मन की शक्ति, लुइस हे की पुस्तक- यू केन हील युवर लाईफ के अलावा लगभग सभी विश्वस्तरीय मन-मस्तिष्क क्षमता विकास तथा मनोचिकित्सा रूपी मोटिवेशनल तकनीकों सम्बन्धी पुस्तक तथा शिक्षा/ प्रशिक्षण का यह बहुत महत्वपूर्ण प्रयोग है।
         पढ़ाई में मन लगाने संबंधी बहुत सारे विभिन्न उपाय करने के स्थान पर अवचेतन मन/ दायें मस्तिष्क प्रतिभा, क्षमता अर्थात गहरे मनोविज्ञान पर आधारित इस एक उपाय का नियमित उपयोग लगभग सभी विद्यार्थियों के मन-मस्तिष्क को सुधार कर पढ़ाई के अनुकूल बना कर पढ़ाई में मन लगा सकने में सक्षम है।
          विद्यार्थियों के पढ़ाई में मन लगा सकने संबंधी इन विश्व प्रसिद्ध असरकारक तकनीकों से भी अगर किसी को संतोषजनक फायदा ना हो तो ऐसे लोगों विद्यार्थियों के लिए मनोचिकित्सा के रूप में एक और बहुत असरकारक, गहरा उपाय है। जिसका उपयोग उपर्युक्त तकनीकों के साथ करने पर सोने पे सुहागा जैसा सिद्ध होता है।और वह है-
         योग की धारणा-ध्यान की अवस्था या योगनिद्रा की अवस्था= मस्तिष्क की शांत निर्विचार अवस्था= मस्तिष्क की अल्फा तरंग अवस्था= अवचेतन मन की अवस्था में कुछ दिनों तक मोटिवेशनल सुझाव देना।
         लेकिन यह कार्य इससे सम्बंधित जानकार व्यक्ति / विशेषज्ञ द्वारा ही ठीक से किया जा सकना संभव है। यह कार्य अकेले भी किया जा सकता है, लेकिन अकेले करने से यह अपेक्षाकृत कम असरकारक होता है। तथा इसके लिए किसी संबंधित जानकर या विशेषज्ञ से कम से कम 1 सप्ताह का शिक्षा / प्रशिक्षण लिया जाना अनिवार्य है।
         यह सब विश्वस्तरीय तकनीक लाखों-करोड़ों विद्यार्थियों के मन-मस्तिष्क में सुधार कर सकने, पढ़ाई में मन लगा सकने, विद्यार्थियों में छिपी अपार प्रतिभावान रूप को प्रकट कर सकने, पढ़ाई को बाधित करने वाले विभिन्न मनोविकारों को दूर कर सकने, तथा विद्यार्थियों के माइंड पावर, मेमोरी पावर के विकसित रूप को प्रकट कर सकने में सक्षम है। जन्मजात अति प्रतिभावान विद्यार्थियों के तरह की स्थिति मे ला सकने में सक्षम है।
         इस तरह की तकनीकों का उपयोग अभी तक विश्व स्तर पर मंहगी फ़ीस होने के कारण बड़े शहरों तक सीमित है।इन तकनीकों का अधिकाधिक लोगों द्वारा उपयोग किए जाने पर अपेक्षाकृत और अधिक लाभदायक होता है।इसे देश राज्य की शिक्षा को उन्नत बनाने तथा सामान्य प्रतीत होने वाले तथा छोटे शहरों या गांव में रहने वाले सभी विद्यार्थियों के लिए सुगमतापूर्वक सार्वजनिक रूप से उपलब्ध करवा सकने के लिए सरकार या शिक्षा सुधार के क्षेत्र में रुचि रखने वाले समाज सेवी संगठनों का सहयोग अपेक्षित है।
                🌷धन्यवाद🌷
           रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं)
      पथरिया, मुंगेली (छत्तीसगढ़)

Post a Comment

0 Comments