🌹🌷 भारतीय शिक्षा में सुधार का- योगसूत्र 🌷🌹
✍ छत्तीसगढ़ की शिक्षा में प्रतिवर्ष हजारों करोड़ तथा पुरे देश की शिक्षा में लाखों करोड़ के बजट होने के साथ विभिन्न प्रशिक्षण तथा विभिन्न स्तर पर काफी प्रयास के बावजूद अभी भारतीय शिक्षा को विकसित देशों की तरह विश्वस्तरीय उन्नत बनाना सम्भव नही हो पा रहा है, जिसके लिए सतत प्रयास जारी है.........
जो योग के शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों के मन-मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के रूप में उपयोग करने से सम्भव है।
✍आधुनिक युग में विज्ञान एवं अनुसन्धान के द्वारा दुनिया, जीवन के विभिन्न चीजो की प्राकृतिक अवस्था में आवश्यक सुधार,रूपांतरण के द्वारा कई गुना बेहतर करके मानव उपयोगी बनाने की तरह-
योग के उपयोग के द्वारा देश के विभिन्न योग-गुरुओ खासकर पतंजलि योग के माध्यम से विश्व प्रसिद्ध योग गुरु सम्माननीय स्वामी रामदेव जी के द्वारा लोगों, विद्यार्थियों के शारीरिक स्वास्थ्य, क्षमता में प्रमाणिक रूप से सुधार कार्य किया जा रहा है,
इसके साथ पतंजलि योग+गहरे मनोविज्ञान के उपयोग से मानव, विद्यार्थियों के मन-मस्तिष्क को भी पर्याप्त स्वस्थ/ शक्तिशाली बनाना सम्भव है।
जो देश की शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों के विभिन्न शारीरिक/मानसिक कमजोरियों, समस्याओं को सुधारने के रूप में बहुत उपयोगी होने के साथ- साथ भारतीय शिक्षा को उन्नत/ विश्वस्तरीय बना सकने में सक्षम है।यह वर्तमान में विकसित देशों में मिड ब्रेन एक्टिवेशन, हिप्नोथेरेपी, एन एल पी तकनीक आदि विभिन्न मन-मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीकों के रूप में प्रचलित तथा प्रमाणित है. यह प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति में भी सैकड़ों वर्षों से प्रमाणित रहा है।
इसके लिए पतंजलि योग के यम, नियम, आसन, प्राणायाम के पश्चात धारणा-ध्यान की स्थिति अर्थात विज्ञान की भाषा में अल्फ़ा तरंग की अवस्था में अर्थात योग तन्द्रा की स्थिति में विद्यार्थियो को नियमित लगभग एक महीने तक आवश्यकतानुसार मनोचिकित्सा रूपी मनोवैज्ञानिक प्रोत्साहक सुझाव देकर उनके पढ़ाई के दौरान आने वाली विभिन्न मानसिक परेशानियों, समस्याओं, कमजोरियों को सुधारा जा सकता है।
जैसे-
[1] विद्यार्थियों की सबसे बड़ी पढ़ने में मन नही लगने की समस्या को सुधारा जा सकता है।
(2) एकाग्रता (तन्मयता) को बढ़ाया जा सकता है।
(3) स्मरण शक्ति (मेमोरी पॉवर) को बढ़ाया जा सकता है।
(4) मस्तिष्क की कार्य क्षमता तथा समझने की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
(5) विचार, बुद्धि, तर्क को उन्नत किया जा सकता है।
(6) आत्मविश्वास को प्रबल बनाया जा सकता है।
(7) वैज्ञानिक, गणितीय, कलात्मक, खेल कौशल को उन्नत, विश्वस्तरीय बनाया जा सकता है.
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🌷 *विशेष टीप*
इस प्राचीन तथा अत्याधुनिक उन्नत ज्ञान का उपयोग व्यक्तिगत के बजाय सामूहिक स्तर पर उपयोग अधिक कारगर, प्रभावी रहता है ।चूँकि यह मन-मस्तिष्क को बेहतर बनाने की मानसिक तकनीक है जिसके सफलता के लिए आधुनिक अराजक माहौल में अनुकूलता अत्यावश्यक है, जो अधिकाधिक लोगों द्वारा उपयोग किए जाने पर इसके अनुकूल मानसिक वातावरण निर्मित होता है जो इसके सफलता में सहयोगी होता है.
इससे सम्बन्धित पर्याप्त सैद्धांतिक तथा प्रायोगिक जानकारी उपलब्ध है। इसके उपयोग के सम्बन्ध में आवश्यक सहयोग तथा मार्गदर्शन की अपेक्षा के साथ.....
धन्यवाद
रामेश्वर वर्मा(शिक्षक पं)
पथरिया,मुंगेली(छत्तीसगढ़)
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