🍀☘🌷🌅🌷☘🍀
वर्तमान संसाधन से ही - भारतीय शिक्षा का विकास
हमारे देश भारत के शिक्षा जगत से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी शिक्षक, पालक, अधिकारी तथा शिक्षाविद इस बात से अवगत है क़ि- वर्तमान में लार्ड मैकाले की गुलाम बनाने वाली शिक्षा पर आधारित शिक्षा पद्धति में कई खामियां है, जिसमे सुधार की बहुत आवश्यकता है।जिसके लिए लगातार प्रयास भी जारी है।लेकिन अपेक्षित सुधार,परिणाम नही आ पा रहा है।
इसके लिए मुख्यतः दो उपाय हो सकते है-
प्रथम यह कि- सभी खामियों को सुधारने हेतू आवश्यक संसाधन जुटाने का प्रयास किया जाय।आवश्यक सुविधा उपलब्ध करवा कर शिक्षा दी जाय।जिसके लिए शिक्षा जगत से जुड़े लोग काफी समय से प्रयासरत भी है, फिर भी अपेक्षित सफलता उपलब्ध नही हो पा रहा है, क्योकि यह अनेक कारणों से बहुत कठिन उपाय है। अगर आवश्यक संसाधन उपलब्ध करवा दिया जाए तो आवश्यक नहीं कि शिक्षा में अपेक्षित गुणवत्ता सुधार आ जाय।
क्योंकि देश में अनेक ऐसे मंहगे प्राइवेट स्कूल हैं, जिसमें पर्याप्त संसाधन उपलब्ध है, लेकिन जरूरी नहीं कि वहां से शिक्षा प्राप्त सभी विद्यार्थी प्रतिभावान हो जाएं ।आवश्यक संसाधन के साथ और भी महत्वपूर्ण उपाय है,और वह -
दूसरा उपाय यह है कि -वर्तमान शिक्षा पद्धति में सुधार करते हुए नये भारतीय शिक्षा पद्धति लागू करना तथा विद्यार्थियों में प्राकृतिक रूप से छिपी बौद्धिक प्रतिभा क्षमता, मस्तिष्क क्षमता तथा इसके विकास की शिक्षा (मनोचिकित्सा) और मोटिवेशन की सुविधा उपलब्ध करवाने के साथ सरकार द्वारा उपलब्ध करवाए गए वर्तमान संसाधन में ही शैक्षणिक गुणवत्ता को बेहतर बनाने का प्रयास किया जाय, जिसके लिए काफी प्रयास किया जा चुका है, परन्तु फिर भी -
वर्तमान संसाधन में ही काफी सुधार सम्भव है।इसके लिए हमे आवश्यक भौतिक संसाधन में सुधार हेतु प्रयास के साथ वर्तमान परम्परागत शिक्षा पद्धति में सुधार के रूप में वर्तमान में विश्व स्तर पर खासकर विकसित देशों की शिक्षा में उपयोग किये जाने वाले विद्यार्थियो के मस्तिष्क क्षमता विकास के सम्बन्ध में नये वैज्ञानिक रिसर्च से उपलब्ध ज्ञान,तकनीक का उपयोग देश की शिक्षा में किया जाना आवश्यक है। क्योंकि विद्यार्थियो में हमारे सामान्य जानकारी से कई गुना अधिक बौद्धिक क्षमता उपलब्ध है, जिसके उपयोग से ही शिक्षा को उन्नत बना सकना सम्भव है।यह बहुत महत्वपूर्ण तथा विकसित देशों का सूत्र है।जिसका कि हमारे भी देश की शिक्षा में उपयोग किये जाने की बहुत आवश्यकता है।
इसके साथ-साथ प्राचीन काल में भारत को विश्व गुरु बनाने वाली प्राचीन ज्ञान विज्ञान का भी आधुनिक शिक्षा के साथ शिक्षा दिया जाना देश हित में होगा। वर्तमान में देश-विदेश में योग के व्यापक प्रचार से इसके लिए अनुकूल परिस्थिति का निर्माण हो चूका है।
योग-ध्यान का शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियो के मन-मस्तिष्क क्षमता के विकास के लिए उपयोग विश्व के किसी भी देश में उपयोग किये जाने वाले तकनीक से अधिक उन्नत, शक्तिशाली तथा प्राचीन भारत में हजारों वर्षों से प्रमाणित तकनीक है।और इसके लिए भारत सबसे अनुकूल देश है।क्योंकि ध्यान-योग हमारे देश की प्राचीन विरासत के रूप में उपलब्ध है।जो कि प्राचीन भारत में शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा हुआ करता था।तथा जिसके बदौलत ही भारत विश्वगुरु हुआ करता था।
अब जिसके हमारे देश की शिक्षा में उपयोग करने का पर्याप्त अनुकूल समय आ चुका है।इससे हमारे देश में इतने प्रतिभा प्रकट होंगे की विश्व शिक्षा का आकाश भारतीय प्रतिभा से पुनः जगमगाने लगेगा।भारतीय शिक्षा फिर से अपनी विश्वगुरु की स्थिति को प्राप्त कर सकने में समर्थ हो सकेगा।विश्व शिक्षा की सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त कर सकेगा।
धन्यवाद
रामेश्वर वर्मा(शिक्षक)
\ पथरिया,मुंगेली (छत्तीसगढ़)
वर्तमान संसाधन से ही - भारतीय शिक्षा का विकास
हमारे देश भारत के शिक्षा जगत से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए सभी शिक्षक, पालक, अधिकारी तथा शिक्षाविद इस बात से अवगत है क़ि- वर्तमान में लार्ड मैकाले की गुलाम बनाने वाली शिक्षा पर आधारित शिक्षा पद्धति में कई खामियां है, जिसमे सुधार की बहुत आवश्यकता है।जिसके लिए लगातार प्रयास भी जारी है।लेकिन अपेक्षित सुधार,परिणाम नही आ पा रहा है।
इसके लिए मुख्यतः दो उपाय हो सकते है-
प्रथम यह कि- सभी खामियों को सुधारने हेतू आवश्यक संसाधन जुटाने का प्रयास किया जाय।आवश्यक सुविधा उपलब्ध करवा कर शिक्षा दी जाय।जिसके लिए शिक्षा जगत से जुड़े लोग काफी समय से प्रयासरत भी है, फिर भी अपेक्षित सफलता उपलब्ध नही हो पा रहा है, क्योकि यह अनेक कारणों से बहुत कठिन उपाय है। अगर आवश्यक संसाधन उपलब्ध करवा दिया जाए तो आवश्यक नहीं कि शिक्षा में अपेक्षित गुणवत्ता सुधार आ जाय।
क्योंकि देश में अनेक ऐसे मंहगे प्राइवेट स्कूल हैं, जिसमें पर्याप्त संसाधन उपलब्ध है, लेकिन जरूरी नहीं कि वहां से शिक्षा प्राप्त सभी विद्यार्थी प्रतिभावान हो जाएं ।आवश्यक संसाधन के साथ और भी महत्वपूर्ण उपाय है,और वह -
दूसरा उपाय यह है कि -वर्तमान शिक्षा पद्धति में सुधार करते हुए नये भारतीय शिक्षा पद्धति लागू करना तथा विद्यार्थियों में प्राकृतिक रूप से छिपी बौद्धिक प्रतिभा क्षमता, मस्तिष्क क्षमता तथा इसके विकास की शिक्षा (मनोचिकित्सा) और मोटिवेशन की सुविधा उपलब्ध करवाने के साथ सरकार द्वारा उपलब्ध करवाए गए वर्तमान संसाधन में ही शैक्षणिक गुणवत्ता को बेहतर बनाने का प्रयास किया जाय, जिसके लिए काफी प्रयास किया जा चुका है, परन्तु फिर भी -
वर्तमान संसाधन में ही काफी सुधार सम्भव है।इसके लिए हमे आवश्यक भौतिक संसाधन में सुधार हेतु प्रयास के साथ वर्तमान परम्परागत शिक्षा पद्धति में सुधार के रूप में वर्तमान में विश्व स्तर पर खासकर विकसित देशों की शिक्षा में उपयोग किये जाने वाले विद्यार्थियो के मस्तिष्क क्षमता विकास के सम्बन्ध में नये वैज्ञानिक रिसर्च से उपलब्ध ज्ञान,तकनीक का उपयोग देश की शिक्षा में किया जाना आवश्यक है। क्योंकि विद्यार्थियो में हमारे सामान्य जानकारी से कई गुना अधिक बौद्धिक क्षमता उपलब्ध है, जिसके उपयोग से ही शिक्षा को उन्नत बना सकना सम्भव है।यह बहुत महत्वपूर्ण तथा विकसित देशों का सूत्र है।जिसका कि हमारे भी देश की शिक्षा में उपयोग किये जाने की बहुत आवश्यकता है।
इसके साथ-साथ प्राचीन काल में भारत को विश्व गुरु बनाने वाली प्राचीन ज्ञान विज्ञान का भी आधुनिक शिक्षा के साथ शिक्षा दिया जाना देश हित में होगा। वर्तमान में देश-विदेश में योग के व्यापक प्रचार से इसके लिए अनुकूल परिस्थिति का निर्माण हो चूका है।
योग-ध्यान का शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियो के मन-मस्तिष्क क्षमता के विकास के लिए उपयोग विश्व के किसी भी देश में उपयोग किये जाने वाले तकनीक से अधिक उन्नत, शक्तिशाली तथा प्राचीन भारत में हजारों वर्षों से प्रमाणित तकनीक है।और इसके लिए भारत सबसे अनुकूल देश है।क्योंकि ध्यान-योग हमारे देश की प्राचीन विरासत के रूप में उपलब्ध है।जो कि प्राचीन भारत में शिक्षा का अनिवार्य हिस्सा हुआ करता था।तथा जिसके बदौलत ही भारत विश्वगुरु हुआ करता था।
अब जिसके हमारे देश की शिक्षा में उपयोग करने का पर्याप्त अनुकूल समय आ चुका है।इससे हमारे देश में इतने प्रतिभा प्रकट होंगे की विश्व शिक्षा का आकाश भारतीय प्रतिभा से पुनः जगमगाने लगेगा।भारतीय शिक्षा फिर से अपनी विश्वगुरु की स्थिति को प्राप्त कर सकने में समर्थ हो सकेगा।विश्व शिक्षा की सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त कर सकेगा।
धन्यवाद
रामेश्वर वर्मा(शिक्षक)
\ पथरिया,मुंगेली (छत्तीसगढ़)
0 Comments