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Extraordinary student
( असाधारण विद्यार्थी )
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हम सब राज्य, देश-दुनिया में अक्सर विभिन्न समाचार माध्यमों से अनेक- असाधारण विद्यार्थियों (extraordinary student) के द्वारा असाधारण बौद्धिक या मस्तिष्क प्रतिभा, क्षमता का प्रदर्शन /उपयोग करते हुए देखते, सुनते या पढ़ते हैं। इस तरह के विद्यार्थियों को वर्तमान शिक्षा पद्धति के अंतर्गत परम्परागत शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ योग-ध्यान के गहरे सिद्धांतों तथा मनोविज्ञान के सहयोग से अपने असाधारण बौद्धिक क्षमता के उपयोग से नए वैज्ञानिक खोज आविष्कार करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सका तो- इस तरह के विद्यार्थी विश्वस्तर पर आधुनिक विज्ञान के प्रसिद्ध वैज्ञानिक हो सकते हैं.
इस तरह के प्रतिभा सम्पन्न विद्यार्थियों को हम चमत्कारिक या कुदरती, ईश्वरीय देन मानकर तारीफ करके चुप हो जाते हैं, और मन ही मन सोचते हैं कि काश!हमारे भी बच्चे ऐसे होते ,अगर आप ऐसा सोचते हैं तो गलत नही सोचते क्योंकि-
प्राचीन भारतीय ऋषियों तथा पश्चिमी देशों के आधुनिक मनोवैज्ञानिकों का भी कहना है कि- दुनिया के लगभग नब्बे प्रतिशत बच्चे जीनियस की तरह पैदा होते हैं लेकिन हम सब घर-समाज में ऐसी व्यवस्था /नकारात्मक व्यवहार, मानसिक वातावरण निर्मित करते तथा शिक्षा-संस्कार प्रदान करते हैं कि- बच्चे बड़े होते तक साधारण प्रतीत होने लगते हैं / हो जाते हैं।
इनमे से कुछ बच्चे जो-संयोग से विशेष प्रतिभा के विकास के अनुकूल देश, काल,वातावरण मिलने अथवा अपनी आंतरिक शक्ति के कारण अपनी असाधारण प्तिभा प्रदर्शित कर पाते हैं।उन्हें ही सब असाधारण (extraordinary)बच्चे के रूप में जानते-पहचानते है।शेष (सामान्य) प्रतीत होने वाले विद्यार्थियो में भी असाधारण विद्यार्थियों की तरह छिपी मस्तिष्क क्षमता विद्यमान है।जिसे विकसित करने संबंधी तकनीक योग के आधुनिक रूप मिड ब्रेन एक्टिवेशन, एन.एल.पी.तकनीक, पॉवर विकास तकनीक आदि विभिन्न नमो से देश-विदेश के विभिन्न बड़े शहरों में प्रचलित है।
विद्यार्थियों में अवचेतन मन-मस्तिष्क के रूप में छिपी प्रतिभा को सही परवरिस, सकारात्मक प्रतिभा प्रोत्साहन योग्य व्यवहार, आधुनिक जमाने के योग्य निष्पक्ष शिक्षा-संस्कार तथा मन-मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक संबंधी, प्रशिक्षण/ मार्गदर्शन तथा योग और मनोविज्ञान के मनोचिकित्सा रूपी सरल मोटिवेशनल उपायों के उपयोग से भी सक्रिय, प्रकट कर शिक्षा के क्षेत्र में उपयोगी बनाया जा सकता है। इस तरह के तकनीको का विकसित देशों में काफी प्रचलित है। भारत में भी कुछ बड़े शहरों मे विभिन्न नामों से इस तरह के तकनीकों का विस्तार होने लगा है लेकिन काफी मंहगी फ़ीस होने के कारण यह अभी तक सार्वजनिक /सर्वसुलभ नही हो पाया है।
इससे संबंधित जानकारी, ज्ञान रखने वाले, इस तरह के ज्ञान में प्रशिक्षित लोगो के सहयोग से विशेष प्रतिभा सम्पन्न विद्यार्थियों के साथ सामान्य प्रतीत होने वाले विद्यार्थियों को विशेष प्रतिभा विकास सम्बन्धी ज्ञान,सहयोग,मार्गदर्शन दिया जा सका तो यह सामान्य प्रतीत होने वाले विद्यार्थियों को प्रतिभावान बनाने के साथ साथ भारतीय शिक्षा को विकसित देशों की तरह उन्नत, विश्वस्तरीय बनाने वाला सिद्ध होगा।
धन्यवाद
-रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं)
पथरिया,मुंगेली( छत्तीसगढ़)
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Extraordinary student
( असाधारण विद्यार्थी )
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हम सब राज्य, देश-दुनिया में अक्सर विभिन्न समाचार माध्यमों से अनेक- असाधारण विद्यार्थियों (extraordinary student) के द्वारा असाधारण बौद्धिक या मस्तिष्क प्रतिभा, क्षमता का प्रदर्शन /उपयोग करते हुए देखते, सुनते या पढ़ते हैं। इस तरह के विद्यार्थियों को वर्तमान शिक्षा पद्धति के अंतर्गत परम्परागत शिक्षा प्रदान करने के साथ-साथ योग-ध्यान के गहरे सिद्धांतों तथा मनोविज्ञान के सहयोग से अपने असाधारण बौद्धिक क्षमता के उपयोग से नए वैज्ञानिक खोज आविष्कार करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सका तो- इस तरह के विद्यार्थी विश्वस्तर पर आधुनिक विज्ञान के प्रसिद्ध वैज्ञानिक हो सकते हैं.
इस तरह के प्रतिभा सम्पन्न विद्यार्थियों को हम चमत्कारिक या कुदरती, ईश्वरीय देन मानकर तारीफ करके चुप हो जाते हैं, और मन ही मन सोचते हैं कि काश!हमारे भी बच्चे ऐसे होते ,अगर आप ऐसा सोचते हैं तो गलत नही सोचते क्योंकि-
प्राचीन भारतीय ऋषियों तथा पश्चिमी देशों के आधुनिक मनोवैज्ञानिकों का भी कहना है कि- दुनिया के लगभग नब्बे प्रतिशत बच्चे जीनियस की तरह पैदा होते हैं लेकिन हम सब घर-समाज में ऐसी व्यवस्था /नकारात्मक व्यवहार, मानसिक वातावरण निर्मित करते तथा शिक्षा-संस्कार प्रदान करते हैं कि- बच्चे बड़े होते तक साधारण प्रतीत होने लगते हैं / हो जाते हैं।
इनमे से कुछ बच्चे जो-संयोग से विशेष प्रतिभा के विकास के अनुकूल देश, काल,वातावरण मिलने अथवा अपनी आंतरिक शक्ति के कारण अपनी असाधारण प्तिभा प्रदर्शित कर पाते हैं।उन्हें ही सब असाधारण (extraordinary)बच्चे के रूप में जानते-पहचानते है।शेष (सामान्य) प्रतीत होने वाले विद्यार्थियो में भी असाधारण विद्यार्थियों की तरह छिपी मस्तिष्क क्षमता विद्यमान है।जिसे विकसित करने संबंधी तकनीक योग के आधुनिक रूप मिड ब्रेन एक्टिवेशन, एन.एल.पी.तकनीक, पॉवर विकास तकनीक आदि विभिन्न नमो से देश-विदेश के विभिन्न बड़े शहरों में प्रचलित है।
विद्यार्थियों में अवचेतन मन-मस्तिष्क के रूप में छिपी प्रतिभा को सही परवरिस, सकारात्मक प्रतिभा प्रोत्साहन योग्य व्यवहार, आधुनिक जमाने के योग्य निष्पक्ष शिक्षा-संस्कार तथा मन-मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक संबंधी, प्रशिक्षण/ मार्गदर्शन तथा योग और मनोविज्ञान के मनोचिकित्सा रूपी सरल मोटिवेशनल उपायों के उपयोग से भी सक्रिय, प्रकट कर शिक्षा के क्षेत्र में उपयोगी बनाया जा सकता है। इस तरह के तकनीको का विकसित देशों में काफी प्रचलित है। भारत में भी कुछ बड़े शहरों मे विभिन्न नामों से इस तरह के तकनीकों का विस्तार होने लगा है लेकिन काफी मंहगी फ़ीस होने के कारण यह अभी तक सार्वजनिक /सर्वसुलभ नही हो पाया है।
इससे संबंधित जानकारी, ज्ञान रखने वाले, इस तरह के ज्ञान में प्रशिक्षित लोगो के सहयोग से विशेष प्रतिभा सम्पन्न विद्यार्थियों के साथ सामान्य प्रतीत होने वाले विद्यार्थियों को विशेष प्रतिभा विकास सम्बन्धी ज्ञान,सहयोग,मार्गदर्शन दिया जा सका तो यह सामान्य प्रतीत होने वाले विद्यार्थियों को प्रतिभावान बनाने के साथ साथ भारतीय शिक्षा को विकसित देशों की तरह उन्नत, विश्वस्तरीय बनाने वाला सिद्ध होगा।
धन्यवाद
-रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं)
पथरिया,मुंगेली( छत्तीसगढ़)
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