महानतम गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन प्रतिभा का रहस्य (मनोविज्ञान)
महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के अद्वितीय गणितीय प्रतिभा से पूरा विश्व परिचित है।लेकिन- किस तरह के मस्तिष्क क्षमता की वजह से वे गणित के क्षेत्र में असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन कर पाये, यह आधुनिक मनोविज्ञान, ज्ञान- विज्ञान के लिए अभी तक रहस्य है।
अगर इस रहस्य को सुलझा लिया गया तो यह गणित, मनोविज्ञान तथा भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धि सिद्ध होगी। हमारे देश के गौरव विश्व प्रसिद्ध गणितज्ञ रामानुजन के प्रति गहरा सम्मान तथा उनसे प्राप्त सच्ची प्रेरणा होगी
इस रहस्य को सुलझाना विदेशों की तुलना में भारतीयो के लिए बहुत आसान है, क्योकि इसका समाधान अर्थात महान गणितज्ञ रामानुजन को जन्मजात प्राकृतिक रूप से प्राप्त बौद्धिक क्षमता से संबंधित जानकारी योग खासकर पतंजलि योग-ध्यान, तन्त्र-विज्ञान में वर्णित मानव मन-चेतना के विभिन्न स्तर के रूप में तथा प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति में उपयोग किए जा रहे ध्यान-योग की प्रक्रिया के रूप में हजारों वर्षो से उपलब्ध है। इसके अंतर्गत वर्णित धारणा-ध्यान की अवस्था ही मानव मन-मस्तिष्क की वह उन्नत अवस्था है, जिसमे मानव उन चीजों, ज्ञान को समझने/ अनुभव करने में समर्थ हो जाता है, जो अन्य लोगों के लिए असंभव प्रतीत होता है।
महानतम गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को जन्मजात प्राकृतिक रूप से उपलब्ध उन्नत मस्तिष्क क्षमता को योग-ध्यान के विधिवत प्रयोग से भी उपलब्ध किया जाता सकता है। इस अवस्था को योग ध्यान की साधना से अनेक लोग/ योग साधक उपलब्ध कर चुके हैं, लेकिन उसका उपयोग ध्यानी, योगी स्कूली शिक्षा के बजाय अन्य क्षेत्रों में करते रहे हैं। जिसके कारण हम सब इस तरह के मानव क्षमता/प्रतिभा के शिक्षा में उपयोग से अपरिचित हैं।
योग के उपयोग से धारणा-ध्यान के रूप में उपलब्ध मन-मस्तिष्क क्षमता की तरह जन्मजात उपलब्ध बौद्धिक क्षमता के शिक्षा में उपयोग से दुर्लभ गणितीय ज्ञान की उपलब्धि के प्रमाण श्रीनिवास रामानुजन जी है, और विश्वप्रसिद्ध खोज अविष्कार करने वाले वैज्ञानिक इस तरह के मन-मस्तिष्क क्षमता के विज्ञान के क्षेत्र में उपयोग के प्रमाण हैं, तथा योग-ध्यान से उपलब्ध बौद्धिक क्षमता के शिक्षा/ज्ञान के क्षेत्र में उपलब्धि के प्रमाण स्वामी विवेकानंद जी है।
वर्तमान शिक्षा पद्धति मानव-मनोविज्ञान के चेतन मन /बाएं मस्तिष्क की क्षमता अर्थात विज्ञान की भाषा में बीटा तरंग की अवस्था पर आधारित है। तथा महानतम गणितज्ञ रामानुजन तथा विश्व के प्रायः सभी विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिकों का समझ,अनुभव, ज्ञान जाने-अनजाने अवचेतन मन/ दायें मस्तिष्क की क्षमता अर्थात विज्ञान की भाषा में मस्तिष्क की अल्फा तरंग अवस्था पर आधारित रहा है।
इसी अपार ज्ञान युक्त तथा दुनिया के लगभग सभी महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज, आविष्कारों, उपलब्धियों का आधार अवचेतन मन/ दायाँ मस्तिष्क क्षमता/ सूक्ष्म शरीर अर्थात योग की भाषा में- प्राणमय कोष,मनोमय कोष, विज्ञानमय कोष या मानव के भौतिक शरीर के रीढ़ में ऊर्जा रूप में स्थित- मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा चक्र, सहस्त्रार नाड़ी ऊर्जा चक्र से संबंधित जानकारी पतंजलि योग सूत्र तथा अन्य भारतीय अध्यात्मिक ग्रंथों में विस्तार से वर्णित है।जिस पर लगभग सभी विकसित देशों के विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में विभिन्न रूपों में शोध कार्य जारी है। जिसको समझकर शिक्षा के क्षेत्र में मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के रूप में उपयोग किया जा सकता है। जो शिक्षा तथा विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि सिद्ध होगी।
महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का मन-मस्तिष्क क्षमता प्राकृतिक रूप से इतना उन्नत था कि वे कठिन से कठिन सवालों का जवाब/ उत्तर तत्काल दे सकने में समर्थ थे। यह अवचेतन मन / बांए के साथ दायें मस्तिष्क के समन्वित उपयोग या सिक्स सेन्स अर्थात मस्तिष्क की अल्फ़ा तरंग अवस्था से ही सम्भव हो पाता है। उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए अनेक प्रमेय को अभी भी सुलझा पाना विश्व गणितज्ञों को कठिन प्रतीत हो रहा है।
महान गणितज्ञ रामानुजन को जन्मजात उपलब्ध /सक्रिय मन-मस्तिष्क क्षमता के तरह की प्रतिभा अधिकांश विद्यार्थियों / मानव में निष्क्रिय या कम सक्रिय रूप में विद्यमान रहता है। जिसे योग ध्यान के मन-मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के रूप में विधिवत उपयोग के द्वारा सक्रिय/ प्रकट कर सकना संभव है, लेकिन अभी तक वर्तमान शिक्षा पद्धति में इसके विधिवत सार्वजनिक उपयोग नही होने से इसके लाभ, उपयोग से शिक्षा विभाग या जन मानस लगभग अपरिचित है।
यह शिक्षा को उन्नत बनाने में सर्वाधिक सहयोगी हो सकता है, मिड ब्रेन एक्टिवेशन या अन्य मन-मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के रूप में कहीं- कहीं अर्थात विकसित देशों, भारत के बड़े शहरों के प्रशिक्षण केंद्रों में विभिन्न रूपों में हो भी रहा है। बस इस क्षेत्र में या मनोविज्ञान के अंतर्गत शोध को बढ़ावा देने, शोधार्थियों को सुविधा, प्रोत्साहन देने तथा इसके जानकर लोगो के ज्ञान का भारतीय या विश्व शिक्षा में उपयोग करने, देश-दुनिया के हित में लाभ लेने की जरूरत है।अगर ऐसा हो सका तो यह भारतीय शिक्षा और विज्ञान तथा टेक्नोलॉजी को विश्वस्तरीय या उससे भी बेहतर बनाने वाला सिद्ध होगा।
धन्यवाद
रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं)
महान भारतीय गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन के अद्वितीय गणितीय प्रतिभा से पूरा विश्व परिचित है।लेकिन- किस तरह के मस्तिष्क क्षमता की वजह से वे गणित के क्षेत्र में असाधारण प्रतिभा का प्रदर्शन कर पाये, यह आधुनिक मनोविज्ञान, ज्ञान- विज्ञान के लिए अभी तक रहस्य है।
अगर इस रहस्य को सुलझा लिया गया तो यह गणित, मनोविज्ञान तथा भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में असाधारण उपलब्धि सिद्ध होगी। हमारे देश के गौरव विश्व प्रसिद्ध गणितज्ञ रामानुजन के प्रति गहरा सम्मान तथा उनसे प्राप्त सच्ची प्रेरणा होगी
इस रहस्य को सुलझाना विदेशों की तुलना में भारतीयो के लिए बहुत आसान है, क्योकि इसका समाधान अर्थात महान गणितज्ञ रामानुजन को जन्मजात प्राकृतिक रूप से प्राप्त बौद्धिक क्षमता से संबंधित जानकारी योग खासकर पतंजलि योग-ध्यान, तन्त्र-विज्ञान में वर्णित मानव मन-चेतना के विभिन्न स्तर के रूप में तथा प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति में उपयोग किए जा रहे ध्यान-योग की प्रक्रिया के रूप में हजारों वर्षो से उपलब्ध है। इसके अंतर्गत वर्णित धारणा-ध्यान की अवस्था ही मानव मन-मस्तिष्क की वह उन्नत अवस्था है, जिसमे मानव उन चीजों, ज्ञान को समझने/ अनुभव करने में समर्थ हो जाता है, जो अन्य लोगों के लिए असंभव प्रतीत होता है।
महानतम गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन को जन्मजात प्राकृतिक रूप से उपलब्ध उन्नत मस्तिष्क क्षमता को योग-ध्यान के विधिवत प्रयोग से भी उपलब्ध किया जाता सकता है। इस अवस्था को योग ध्यान की साधना से अनेक लोग/ योग साधक उपलब्ध कर चुके हैं, लेकिन उसका उपयोग ध्यानी, योगी स्कूली शिक्षा के बजाय अन्य क्षेत्रों में करते रहे हैं। जिसके कारण हम सब इस तरह के मानव क्षमता/प्रतिभा के शिक्षा में उपयोग से अपरिचित हैं।
योग के उपयोग से धारणा-ध्यान के रूप में उपलब्ध मन-मस्तिष्क क्षमता की तरह जन्मजात उपलब्ध बौद्धिक क्षमता के शिक्षा में उपयोग से दुर्लभ गणितीय ज्ञान की उपलब्धि के प्रमाण श्रीनिवास रामानुजन जी है, और विश्वप्रसिद्ध खोज अविष्कार करने वाले वैज्ञानिक इस तरह के मन-मस्तिष्क क्षमता के विज्ञान के क्षेत्र में उपयोग के प्रमाण हैं, तथा योग-ध्यान से उपलब्ध बौद्धिक क्षमता के शिक्षा/ज्ञान के क्षेत्र में उपलब्धि के प्रमाण स्वामी विवेकानंद जी है।
वर्तमान शिक्षा पद्धति मानव-मनोविज्ञान के चेतन मन /बाएं मस्तिष्क की क्षमता अर्थात विज्ञान की भाषा में बीटा तरंग की अवस्था पर आधारित है। तथा महानतम गणितज्ञ रामानुजन तथा विश्व के प्रायः सभी विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिकों का समझ,अनुभव, ज्ञान जाने-अनजाने अवचेतन मन/ दायें मस्तिष्क की क्षमता अर्थात विज्ञान की भाषा में मस्तिष्क की अल्फा तरंग अवस्था पर आधारित रहा है।
इसी अपार ज्ञान युक्त तथा दुनिया के लगभग सभी महत्वपूर्ण वैज्ञानिक खोज, आविष्कारों, उपलब्धियों का आधार अवचेतन मन/ दायाँ मस्तिष्क क्षमता/ सूक्ष्म शरीर अर्थात योग की भाषा में- प्राणमय कोष,मनोमय कोष, विज्ञानमय कोष या मानव के भौतिक शरीर के रीढ़ में ऊर्जा रूप में स्थित- मूलाधार, स्वाधिष्ठान, मणिपुर, अनाहत, विशुद्ध, आज्ञा चक्र, सहस्त्रार नाड़ी ऊर्जा चक्र से संबंधित जानकारी पतंजलि योग सूत्र तथा अन्य भारतीय अध्यात्मिक ग्रंथों में विस्तार से वर्णित है।जिस पर लगभग सभी विकसित देशों के विश्वप्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में विभिन्न रूपों में शोध कार्य जारी है। जिसको समझकर शिक्षा के क्षेत्र में मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के रूप में उपयोग किया जा सकता है। जो शिक्षा तथा विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि सिद्ध होगी।
महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का मन-मस्तिष्क क्षमता प्राकृतिक रूप से इतना उन्नत था कि वे कठिन से कठिन सवालों का जवाब/ उत्तर तत्काल दे सकने में समर्थ थे। यह अवचेतन मन / बांए के साथ दायें मस्तिष्क के समन्वित उपयोग या सिक्स सेन्स अर्थात मस्तिष्क की अल्फ़ा तरंग अवस्था से ही सम्भव हो पाता है। उनके द्वारा प्रस्तुत किए गए अनेक प्रमेय को अभी भी सुलझा पाना विश्व गणितज्ञों को कठिन प्रतीत हो रहा है।
महान गणितज्ञ रामानुजन को जन्मजात उपलब्ध /सक्रिय मन-मस्तिष्क क्षमता के तरह की प्रतिभा अधिकांश विद्यार्थियों / मानव में निष्क्रिय या कम सक्रिय रूप में विद्यमान रहता है। जिसे योग ध्यान के मन-मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के रूप में विधिवत उपयोग के द्वारा सक्रिय/ प्रकट कर सकना संभव है, लेकिन अभी तक वर्तमान शिक्षा पद्धति में इसके विधिवत सार्वजनिक उपयोग नही होने से इसके लाभ, उपयोग से शिक्षा विभाग या जन मानस लगभग अपरिचित है।
यह शिक्षा को उन्नत बनाने में सर्वाधिक सहयोगी हो सकता है, मिड ब्रेन एक्टिवेशन या अन्य मन-मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक के रूप में कहीं- कहीं अर्थात विकसित देशों, भारत के बड़े शहरों के प्रशिक्षण केंद्रों में विभिन्न रूपों में हो भी रहा है। बस इस क्षेत्र में या मनोविज्ञान के अंतर्गत शोध को बढ़ावा देने, शोधार्थियों को सुविधा, प्रोत्साहन देने तथा इसके जानकर लोगो के ज्ञान का भारतीय या विश्व शिक्षा में उपयोग करने, देश-दुनिया के हित में लाभ लेने की जरूरत है।अगर ऐसा हो सका तो यह भारतीय शिक्षा और विज्ञान तथा टेक्नोलॉजी को विश्वस्तरीय या उससे भी बेहतर बनाने वाला सिद्ध होगा।
धन्यवाद
रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं)
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