🌷 विद्यार्थियों के अवचेतन मन की शक्ति 🌷
✍ आधुनिक युग में विदेशों में खासकर विकसित देशों में पिछले कई वर्षों से अवचेतन मन के बारे में काफी खोज तथा शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में उपयोग किया जा रहा है।
लेकिन हमारे देश में स्थिति कुछ अलग है। प्राचीन काल में भारत को विश्वगुरु बनाने वाले अधिकांश ज्ञान को आधुनिक युग में बिना रिसर्च किए अंधविश्वास कहने /मानने के चक्कर में हम बहुत कीमती-गहरे ज्ञान से दूर होते जा रहे हैं। ऐसा ही एक ज्ञान है- शरीर और आत्मा,भौतिक शरीर और सूक्ष्म शरीर ,बायां मस्तिष्क और दाया मस्तिष्क। इसको लोग भले ही मिथक या अंधविश्वास मानेंगे लेकिन-
इसी का एक रुप (आयाम) -चेतन मन और अवचेतन मन को बहुत लोग मानेंगे, क्योंकि सभी न्यूनाधिक रुप में इससे परिचित हैं। सभी सोते-जागते इस चेतन और अवचेतन मन का अनुभव करते हैं। खासकर जागते समय जागृत अवस्था की सोच-विचार तथा क्रियाकलाप के रूप में चेतन मन का और सोते समय स्वप्न के रूप में अवचेतन मन का अनुभव सभी को होता है।
प्रत्येक मनुष्य को दुविधा की स्थिति में अनुभव होता है कि एक मन एक कार्य करने को कहता है।और दूसरा मन दूसरे काम को करने के लिए कहता है। इसी में से एक चेतन मन और दूसरा अवचेतन मन कहलाता है। दैनिक क्रियाकलापों में उपयोग होने वाले मन को चेतन मन और जिसे हम अंतरात्मा की आवाज कहते हैं या दिल की आवाज कहते हैं, वही अवचेतन मन है।
चेतन मन की शक्ति और प्रतिभा हम सभी अपने दैनिक जीवन में देखते हैं,लेकिन अवचेतन मन की क्षमता उससे कई गुना अधिक होने के बावजूद हम बहुत कम परिचित हैं। क्योंकि इसके संबंध में हमें बहुत कम सुनने,पढ़ने को मिलता है।
चेतन मन की शक्ति-
वर्तमान शिक्षा पद्धति पर आधारित विचार, बुद्धि, तर्क, स्मरण करने की शक्ति (याददाश्त) तथा मानव द्वारा जागृत अवस्था में सामान्यतः किए जाने वाले सभी कार्य चेतन मन की शक्ति के अंतर्गत आते हैं।
अवचेतन मन की शक्ति
टेलीपैथी, थाट रीडिंग, लगभग सभी स्त्रियों और कुछ जीनियस लोगों (पुरुषों) में जन्मजात रूप से सक्रिय मन- मस्तिष्क की अंतर्बोध-पूर्वानुमान प्रतिभा तथा वैज्ञानिक खोज कर सकने की प्रतिभा, शिक्षा में दुनिया के लगभग सभी जिनियस, प्रथम श्रेणी बुद्धिमान लोगों द्वारा किसी विषय वस्तु को चित्र की भाषा में समझ सकने की क्षमता, कल्पना शक्ति,सपना देखने की क्षमता तथा शरीर की समस्त अनैच्छिक क्रियाएं अवचेतन मन की शक्ति के अंतर्गत आते है।
इनमे से अधिकांश प्राकृतिक मस्तिष्क क्षमताएं शिक्षा में काफी उपयोगी है। यह सब प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति का अनिवार्य हिस्सा हुआ करता था। आज भी इसका अप्रत्यक्ष उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में होता है।।जाने- अनजाने इन्ही क्षमताओं का अप्रत्यक्ष उपयोग करने वाले लोगों/ विद्यार्थियों को ही प्रतिभावान कहा जाता है.
वर्तमान शिक्षा पद्धति में इसके संबंध में विधिवत, प्रत्यक्ष उपयोग सम्बन्धी जानकारी, शिक्षा, मार्गदर्शन के अभाव में इस प्राकृतिक मस्तिष्क क्षमता का शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर सदुपयोग नहीं हो पा रहा है।जिसके कारण भारत की प्रतिभा विश्व स्तर पर सर्वोत्तम रूप में प्रकट नहीं हो पा रहा है। इसके संबंध में शिक्षा तथा मार्गदर्शन समाज/देश/दुनिया की उन्नति,भलाई के साथ भारतीय शिक्षा में गुणवत्ता सुधार के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि,सहयोगी सिद्ध होगा।
🌷 धन्यवाद 🌷
✍ आधुनिक युग में विदेशों में खासकर विकसित देशों में पिछले कई वर्षों से अवचेतन मन के बारे में काफी खोज तथा शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में उपयोग किया जा रहा है।
लेकिन हमारे देश में स्थिति कुछ अलग है। प्राचीन काल में भारत को विश्वगुरु बनाने वाले अधिकांश ज्ञान को आधुनिक युग में बिना रिसर्च किए अंधविश्वास कहने /मानने के चक्कर में हम बहुत कीमती-गहरे ज्ञान से दूर होते जा रहे हैं। ऐसा ही एक ज्ञान है- शरीर और आत्मा,भौतिक शरीर और सूक्ष्म शरीर ,बायां मस्तिष्क और दाया मस्तिष्क। इसको लोग भले ही मिथक या अंधविश्वास मानेंगे लेकिन-
इसी का एक रुप (आयाम) -चेतन मन और अवचेतन मन को बहुत लोग मानेंगे, क्योंकि सभी न्यूनाधिक रुप में इससे परिचित हैं। सभी सोते-जागते इस चेतन और अवचेतन मन का अनुभव करते हैं। खासकर जागते समय जागृत अवस्था की सोच-विचार तथा क्रियाकलाप के रूप में चेतन मन का और सोते समय स्वप्न के रूप में अवचेतन मन का अनुभव सभी को होता है।
प्रत्येक मनुष्य को दुविधा की स्थिति में अनुभव होता है कि एक मन एक कार्य करने को कहता है।और दूसरा मन दूसरे काम को करने के लिए कहता है। इसी में से एक चेतन मन और दूसरा अवचेतन मन कहलाता है। दैनिक क्रियाकलापों में उपयोग होने वाले मन को चेतन मन और जिसे हम अंतरात्मा की आवाज कहते हैं या दिल की आवाज कहते हैं, वही अवचेतन मन है।
चेतन मन की शक्ति और प्रतिभा हम सभी अपने दैनिक जीवन में देखते हैं,लेकिन अवचेतन मन की क्षमता उससे कई गुना अधिक होने के बावजूद हम बहुत कम परिचित हैं। क्योंकि इसके संबंध में हमें बहुत कम सुनने,पढ़ने को मिलता है।
चेतन मन की शक्ति-
वर्तमान शिक्षा पद्धति पर आधारित विचार, बुद्धि, तर्क, स्मरण करने की शक्ति (याददाश्त) तथा मानव द्वारा जागृत अवस्था में सामान्यतः किए जाने वाले सभी कार्य चेतन मन की शक्ति के अंतर्गत आते हैं।
अवचेतन मन की शक्ति
टेलीपैथी, थाट रीडिंग, लगभग सभी स्त्रियों और कुछ जीनियस लोगों (पुरुषों) में जन्मजात रूप से सक्रिय मन- मस्तिष्क की अंतर्बोध-पूर्वानुमान प्रतिभा तथा वैज्ञानिक खोज कर सकने की प्रतिभा, शिक्षा में दुनिया के लगभग सभी जिनियस, प्रथम श्रेणी बुद्धिमान लोगों द्वारा किसी विषय वस्तु को चित्र की भाषा में समझ सकने की क्षमता, कल्पना शक्ति,सपना देखने की क्षमता तथा शरीर की समस्त अनैच्छिक क्रियाएं अवचेतन मन की शक्ति के अंतर्गत आते है।
इनमे से अधिकांश प्राकृतिक मस्तिष्क क्षमताएं शिक्षा में काफी उपयोगी है। यह सब प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति का अनिवार्य हिस्सा हुआ करता था। आज भी इसका अप्रत्यक्ष उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में होता है।।जाने- अनजाने इन्ही क्षमताओं का अप्रत्यक्ष उपयोग करने वाले लोगों/ विद्यार्थियों को ही प्रतिभावान कहा जाता है.
वर्तमान शिक्षा पद्धति में इसके संबंध में विधिवत, प्रत्यक्ष उपयोग सम्बन्धी जानकारी, शिक्षा, मार्गदर्शन के अभाव में इस प्राकृतिक मस्तिष्क क्षमता का शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर सदुपयोग नहीं हो पा रहा है।जिसके कारण भारत की प्रतिभा विश्व स्तर पर सर्वोत्तम रूप में प्रकट नहीं हो पा रहा है। इसके संबंध में शिक्षा तथा मार्गदर्शन समाज/देश/दुनिया की उन्नति,भलाई के साथ भारतीय शिक्षा में गुणवत्ता सुधार के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि,सहयोगी सिद्ध होगा।
🌷 धन्यवाद 🌷
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