🌷विश्वप्रसिद्ध "द सीक्रेट" ज्ञान का शिक्षा में उपयोग 🌷
✍ विश्व प्रसिद्ध पुस्तक "द सीक्रेट" की लेखिका रान्डा बर्न और प्रसिद्ध फ्रांसीसी मनोवैज्ञानिक इमाइल कुए की तरह हजारों मनोवैज्ञानिकों, लोगों ने मन के द्वारा शरीर,जीवन को सुधारने के लाखों प्रमाणिक प्रयोग किए हैं।इनका प्रमाण है कि मानव जीवन मन से संचालित है। विचार,भाव का पूरा प्रभाव मनुष्य जीवन पर पड़ता है।मनुष्य जैसा सकारात्मक और नकारात्मक विचार करता है या लोग एक दूसरे के प्रति करते हैं,उसी के अनुरूप स्वयं तथा दूसरों का जीवन हो जाता है।
आधुनिक युग-कलयुग में परिस्थितिवश नकारात्मक विचारों की मात्रा अधिक होने अर्थात नकारात्मक विचार-भाव करने वाले लोगों की संख्या अधिक होने के कारण उनके प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष प्रभाव से लोग,विद्यार्थी अनावश्यक परेशान होते तथा हीन भावना से ग्रसित होते है। इनसे अप्रभावित रहने के लिए लगातार व्यक्तिगत तथा सामूहिक रुप से सकारात्मक, प्रोत्साहक विचार, भाव करने से, गहराई से महसूस करने पर उसका सकारात्मक प्रभाव मनुष्य पर दिखने,पड़ने लगता है।उसी के अनुरूप मानव- विद्यार्थियों का जीवन परिवर्तित हो जाता है।
इस सिद्धांत के उपयोग से दुनिया में लाखों-करोड़ों लोग बेहतर जीवन जी रहे हैं,और जो लोग नेचुरल बेहतर जीवन जी रहे हैं उनका भी यही मनोवैज्ञानिक रहस्य है।
इसका उपयोग जीवन के विभिन्न क्षेत्रों की तरह शिक्षा के क्षेत्र में भी किया जा सकता है।चूँकि प्रत्येक मानव,विद्यार्थियों में प्राकृतिक रूप से अपार बौद्धिक- मस्तिष्क क्षमता विद्यमान है। लेकिन जन्म से लेकर जीवन भर अधिकांश लोगों द्वारा नकारात्मक व्यवहार करने के कारण विद्यार्थी स्वयं को बौद्धिक रूप से कमजोर,निम्न समझने, महसूस करने लगते हैं। यह शिक्षा जगत में अधिकांश विद्यार्थियों की बहुत बड़ी समस्या है।जो विद्यार्थियों के सफलता के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा है। इसीलिए बहुत कम विद्यार्थी इसको पार कर सफल हो पाते हैं।
अगर व्यक्तिगत या सामूहिक प्रयास से इस समस्या को सुधारा जा सका तो यह शिक्षा गुणवत्ता को बहुत उन्नत बनाने वाला सिद्ध होगा।
विद्यार्थियों की सफलता के लिए प्रत्येक विद्यार्थियों को स्वयं तथा शिक्षक,पालक और अन्य शुभचिंतकों द्वारा उनको यह महसूस करने,करवाने में सहयोग करना चाहिए कि वे प्राकृतिक रूप से अपार बौद्धिक क्षमतावान हैं।अच्छी पढ़ाई कर सकते हैं।वे निरंतर स्वस्थ और प्रतिभावान होते जा रहे हैं। मन लगाकर पढ़ाई कर सकते हैं और शिक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त सफलता प्राप्त कर सकते हैं।इसी तरह के नियमित सकारात्मक विचार के मोटिवेशन रुपी मानसिक प्रयोग से वास्तव में नकारात्मक,दुष्ट लोगों के दुष्प्रभाव से बचने में सहयोग मिलता है तथा यह विद्यार्थियों का शरीर-जीवन, बौद्धिक स्तर बेहतर बनाने में सहयोगी होता है। विद्यार्थियों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण तथा सरल मनोचिकित्सा है।
यह मन की प्राकृतिक शक्ति है। जिसको मनोवैज्ञानिकों ने खोज निकाला है। जिसका उपयोग मानव जीवन तथा शिक्षा स्तर को सुधारने में किया जाता था, किया जा रहा है, किया जाता रहेगा।
इससे मानव, विद्यार्थियों में प्राकृतिक रूप से छिपी अपार मस्तिष्क क्षमता प्रगट होने लगती है,प्रगट हो जाती है। व्यापक रुप से इसका उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में किया जा सका तो यह भारतीय शिक्षा को उन्नत बनाने वाला सिद्ध होगा। विकसित देशों में काफी समय से इसका उपयोग प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षा को बेहतर बनाने में किया जा रहा है।जिसका लाभ विकसित देशों में जगजाहिर है।
🌷 धन्यवाद 🌷
✍ विश्व प्रसिद्ध पुस्तक "द सीक्रेट" की लेखिका रान्डा बर्न और प्रसिद्ध फ्रांसीसी मनोवैज्ञानिक इमाइल कुए की तरह हजारों मनोवैज्ञानिकों, लोगों ने मन के द्वारा शरीर,जीवन को सुधारने के लाखों प्रमाणिक प्रयोग किए हैं।इनका प्रमाण है कि मानव जीवन मन से संचालित है। विचार,भाव का पूरा प्रभाव मनुष्य जीवन पर पड़ता है।मनुष्य जैसा सकारात्मक और नकारात्मक विचार करता है या लोग एक दूसरे के प्रति करते हैं,उसी के अनुरूप स्वयं तथा दूसरों का जीवन हो जाता है।
आधुनिक युग-कलयुग में परिस्थितिवश नकारात्मक विचारों की मात्रा अधिक होने अर्थात नकारात्मक विचार-भाव करने वाले लोगों की संख्या अधिक होने के कारण उनके प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष प्रभाव से लोग,विद्यार्थी अनावश्यक परेशान होते तथा हीन भावना से ग्रसित होते है। इनसे अप्रभावित रहने के लिए लगातार व्यक्तिगत तथा सामूहिक रुप से सकारात्मक, प्रोत्साहक विचार, भाव करने से, गहराई से महसूस करने पर उसका सकारात्मक प्रभाव मनुष्य पर दिखने,पड़ने लगता है।उसी के अनुरूप मानव- विद्यार्थियों का जीवन परिवर्तित हो जाता है।
इस सिद्धांत के उपयोग से दुनिया में लाखों-करोड़ों लोग बेहतर जीवन जी रहे हैं,और जो लोग नेचुरल बेहतर जीवन जी रहे हैं उनका भी यही मनोवैज्ञानिक रहस्य है।
इसका उपयोग जीवन के विभिन्न क्षेत्रों की तरह शिक्षा के क्षेत्र में भी किया जा सकता है।चूँकि प्रत्येक मानव,विद्यार्थियों में प्राकृतिक रूप से अपार बौद्धिक- मस्तिष्क क्षमता विद्यमान है। लेकिन जन्म से लेकर जीवन भर अधिकांश लोगों द्वारा नकारात्मक व्यवहार करने के कारण विद्यार्थी स्वयं को बौद्धिक रूप से कमजोर,निम्न समझने, महसूस करने लगते हैं। यह शिक्षा जगत में अधिकांश विद्यार्थियों की बहुत बड़ी समस्या है।जो विद्यार्थियों के सफलता के रास्ते का सबसे बड़ा रोड़ा है। इसीलिए बहुत कम विद्यार्थी इसको पार कर सफल हो पाते हैं।
अगर व्यक्तिगत या सामूहिक प्रयास से इस समस्या को सुधारा जा सका तो यह शिक्षा गुणवत्ता को बहुत उन्नत बनाने वाला सिद्ध होगा।
विद्यार्थियों की सफलता के लिए प्रत्येक विद्यार्थियों को स्वयं तथा शिक्षक,पालक और अन्य शुभचिंतकों द्वारा उनको यह महसूस करने,करवाने में सहयोग करना चाहिए कि वे प्राकृतिक रूप से अपार बौद्धिक क्षमतावान हैं।अच्छी पढ़ाई कर सकते हैं।वे निरंतर स्वस्थ और प्रतिभावान होते जा रहे हैं। मन लगाकर पढ़ाई कर सकते हैं और शिक्षा के क्षेत्र में पर्याप्त सफलता प्राप्त कर सकते हैं।इसी तरह के नियमित सकारात्मक विचार के मोटिवेशन रुपी मानसिक प्रयोग से वास्तव में नकारात्मक,दुष्ट लोगों के दुष्प्रभाव से बचने में सहयोग मिलता है तथा यह विद्यार्थियों का शरीर-जीवन, बौद्धिक स्तर बेहतर बनाने में सहयोगी होता है। विद्यार्थियों के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण तथा सरल मनोचिकित्सा है।
यह मन की प्राकृतिक शक्ति है। जिसको मनोवैज्ञानिकों ने खोज निकाला है। जिसका उपयोग मानव जीवन तथा शिक्षा स्तर को सुधारने में किया जाता था, किया जा रहा है, किया जाता रहेगा।
इससे मानव, विद्यार्थियों में प्राकृतिक रूप से छिपी अपार मस्तिष्क क्षमता प्रगट होने लगती है,प्रगट हो जाती है। व्यापक रुप से इसका उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में किया जा सका तो यह भारतीय शिक्षा को उन्नत बनाने वाला सिद्ध होगा। विकसित देशों में काफी समय से इसका उपयोग प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से शिक्षा को बेहतर बनाने में किया जा रहा है।जिसका लाभ विकसित देशों में जगजाहिर है।
🌷 धन्यवाद 🌷
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