योग से शिक्षा की ओर.......

            🌷 योग से शिक्षा की ओर.......🌷

             योग का बहुत पुराना और पतंजलि योग का लगभग 5000 वर्षों का पुराना इतिहास है। महर्षि पतंजलि द्वारा योग को व्यवस्थित वैज्ञानिक रूप में प्रस्तुत किया गया है,जिसे पतंजलि योगसूत्र कहा जाता है।यह मानव मन-मस्तिष्क  क्षमता विकास की दुनिया की  बेहतर तकनीक है। इसकी पूरी प्रक्रिया वैज्ञानिक है।
            योग का वर्तमान में प्रचलित रूप से सिर्फ प्रारंभिक रूप है। अभी प्रायः अधिकांश लोग योग के शारीरिक स्वास्थ्य लाभ से परिचित है। यह प्रारंभिक चरण है। इसके आगे योग के और अनेक लाभ है। योग के आठ चरणों में से- यम,नियम,आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार के साथ धारणा और ध्यान मुख्यता मानव मन मस्तिष्क से संबंधित है। जिसके उपयोग से मन मस्तिष्क प्रतिभा-क्षमता का विकसित रूप प्रकट,सक्रिय होता है।जो शिक्षा के क्षेत्र में सर्वाधिक उपयोगी है।
            यम नियम आसन प्राणायाम मानव शरीर मन,मस्तिष्क, नाड़ीतंत्र (स्नायु तंत्र) को स्वस्थ्य सबल बनाता है, तथा प्रत्याहार मानव विद्यार्थी को अंतर्मुखी बनाता है, इससे विभिन्न सांसारिक चीजों में भटकता हुआ मन अर्थात अराजक मन बाहरी विषयों को छोड़कर कर वापस स्वयं में आता है।यह एकाग्रता का प्रारंभिक रूप है।इसके पश्चात धारणा- किसी एक विषय पर एकाग्र होता है।तथा किसी एक विषय पर एकाग्र होने के पश्चात उसमें पूर्णतः तल्लीन होने को ध्यान कहा जाता है। जिसमें छुपी हुई मानव मन मस्तिष्क प्रतिभा-क्षमता प्रकट होने लगती है। जिस अवस्था में मानव,विद्यार्थी उन चीजों को समझ सकने,अनुभव करने में समर्थ हो जाते है, जिसे अन्य लोग समझ,अनुभव नहीं कर पाते।
             यही मानव की प्रतिभावान अवस्था है।जो कई लोगों को जन्मजात प्राकृतिक रूप से उपलब्ध होता है।जिन्हें हम प्रतिभावान व्यक्ति या विद्यार्थी के रूप में पहचानते हैं।और जिनमें यह क्षमता नहीं होती उन्हें भी साधारण मानव जा विद्यार्थी समझते हैं,उनके उपर्युक्त प्रक्रिया के मार्गदर्शन से प्रतिभावान विद्यार्थियों,लोगों के समान क्षमतावान,प्रतिभावान रूप को प्रकट किया जा सकता संभव है।
              इसका उपयोग शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षा को उन्नत तथा विद्यार्थियों को प्रतिभावान बनाने के लिए किया जा सकता है। जैसा कि प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति में किया जाता था।अगर यह वर्तमान भारतीय शिक्षा पद्धति में किया जा सका तो यह शिक्षा तथा योग दोनों के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि सिद्ध होगी।
              विश्व प्रसिद्ध योग गुरु सम्मानीय रामदेव के अथक प्रयास से योग के लिए देश-विदेश में अनुकूल परिस्थिति का निर्माण हो चुका है, जिससे यह संभव होने लगा है। यह भविष्य में भारत को विकसित, विश्व गुरु तथा शिक्षा का प्रमुख केंद्र बनाने वाला सिद्ध होगा।
                    🌷 धन्यवाद  🌷
          

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