विद्यार्थियों को छिपी प्रतिभा के रुप में प्राप्त वरदान

         🌷विद्यार्थियों को छिपी प्रतिभा के रूप में प्राप्त वरदान🌷

        ✍ प्रत्येक विद्यार्थियों (मानव) में मुख्य दो तरह की मस्तिष्क प्रतिभा-क्षमता होती है-
          1. चेतन मन (बाएं मस्तिष्क) पर आधारित प्रतिभा- जिसे विचार, बुद्धि, तर्क, स्मृति आदि कहा जाता है। वर्तमान भारतीय शिक्षा पद्धति विद्यार्थियों की इसी क्षमता पर आधारित है। यह मस्तिष्क के बीटा तरंग अवस्था पर आधारित प्रतिभा क्षमता है।
             योग और ध्यान के अनुसार यह मानव विद्यार्थियों में प्राकृतिक जन्मजात रूप से छिपी हुई अवस्था में विद्यमान प्रतिभा- क्षमता का बहुत कम अर्थात 5 से 10% प्रतिभा-क्षमता है।
 विद्यार्थियों में इसके अलावा और भी अपार प्रतिभा-क्षमता छिपी हुई अवस्था में विद्यमान है ,जिसे योग ध्यान के साथ मनोविज्ञान के उपयोग से सक्रिय, प्रगट किया जा सकना संभव है। जैसा कि- प्राचीन काल में भारत को विश्व गुरु बनाने वाली, विश्वस्तरीय ज्ञान-विज्ञान को प्राप्त करने वाली प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति में किया जाता था। जिसके शोध से प्राप्त आधुनिक रूप का उपयोग विकसित देश अपने शिक्षा तथा विज्ञान और टेक्नोलॉजी में कर रहे हैं।
            इस तरह की प्रतिभा रखने के बावजूद किसी कारण से अपनी प्रतिभा का शिक्षा के क्षेत्र में विशेष उपयोग नहीं कर पा सकने वाले विद्यार्थियों को मन-मस्तिष्क की अल्फा तरंग अवस्था (शांत=एकाग्र=तल्लीन अवस्था) अर्थात योगासन प्राणायाम के पश्चात उपलब्ध की गई धारणा-ध्यान की अवस्था में मनोचिकित्सा रूपी खास मोटिवेशन से इनके जन्मजात सक्रिय मस्तिष्क क्षमता को शिक्षा के क्षेत्र में उपयोगी बनाया जा सकता है।जिससे विद्यार्थी अधिक प्रतिभा-क्षमता का उपयोग, प्रदर्शन कर सकेंगे।
          2. अवचेतन मन (दायें-मस्तिष्क) पर आधारित प्रतिभा-  यह प्रतिभा विद्यार्थियों को प्रकृति प्रदत्त वरदान के रूप में  छुपी हुई अवस्था में विद्यमान है। जिसे पिक्चर लैंग्वेज अर्थात साइकिक विजन, स्वप्न क्षमता, कल्पना क्षमता, पूर्वानुमान क्षमता, सृजनशीलता तथा पांच ज्ञानेंद्रियों में से किसी एक अथवा एक से अधिक की बहुत विकसित अवस्था, क्षमता, प्रतिभा कहा जाता है।जन्मजात प्राकृतिक रुप से इस तरह के प्रतिभा-क्षमता उपलब्ध विद्यार्थियों को ही वर्तमान शिक्षा पद्धति में विशेष प्रतिभावान कहा जाता है। ऐसे लोग ही दुनिया के विभिन्न विषयों, क्षेत्रों के टॉपर होते हैं।
           इसके अलावा इस तरह की प्रतिभा वाले लाखों-करोड़ों विद्यार्थियों के उपलब्ध प्रतिभा का विभिन्न कारणों से खासकर वर्तमान भारतीय शिक्षा पद्धति में इससे संबंधित सार्वजनिक शिक्षा, प्रशिक्षण, मार्गदर्शन की सुविधा उपलब्ध नहीं होने, अपनी प्रतिभा के महत्व को नहीं समझ पाने, शिक्षा के क्षेत्र में इसके उपयोग को नहीं समझ पाने या अनुकूल देश, काल, वातावरण नहीं मिल पाने के कारण अपनी इस तरह की उच्च स्तरीय प्रतिभा का विशेष उपयोग नहीं कर पाते। जिसके कारण ऐसे विद्यार्थी लोगों की नजर में साधारण प्रतीत होने लगते हैं।
           हमारे वर्तमान शिक्षा पद्धति में इस तरह के प्रतिभावान लोगों के प्रतिभा विकास के संबंध में कोई विशेष मार्गदर्शन की सुविधा उपलब्ध नहीं है।अगर ऐसे प्रतिभावान लोगों के लिए सुविधा, मार्गदर्शन उपलब्ध करवाई जाए तो यह विद्यार्थियों के लिए तथा भारतीय शिक्षा के क्षेत्र में बहुत बड़ी उपलब्धि सिद्ध होगी।
           ऐसे विद्यार्थियों के प्रतिभा का उपयोग गणित, विज्ञान तथा अन्य विषयों के क्षेत्र में बेहतर समझ, स्मरण कर सकने तथा विज्ञान के क्षेत्र में खोज, आविष्कार कर सकने के लिए प्रेरित करने के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सृजनात्मक उपयोग में किया जा सकता है। तथा अपने व्यक्तित्व,बौद्धिक क्षमता के और बेहतर उपयोग के लिए उपर्युक्त अवस्था में प्रेरित (मोटिवेट) किया जा सकता है।
            यह विद्यार्थियों के तथा देश-राज्य की शिक्षा गुणवत्ता स्तर को बहुत उन्नत बनाने में सहायक सिद्ध होगा।
                       🌷 धन्यवाद 🌷
         

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