🌷🌲 आधुनिक युग में ध्यान की आवश्यकता 🌲🌷
✍योग के आठ चरणों में से सातवें चरण को ध्यान कहा जाता है। यह मनुष्य के मन-मस्तिष्क की शांत, निर्विचार, एकाग्रता की अवस्था है। विज्ञान की भाषा में यह मस्तिष्क की अल्फा तरंग की अवस्था है। यह योग के प्रथम चरण से प्रारंभ कर धीरे-धीरे अभ्यास करते हुए सातवें चरण तक पहुंच कर ध्यान किया जा सकता है। पर इस तरह से ध्यान अधिक लंबी प्रक्रिया है। जो सबके लिए आसान नहीं है। इसको सीधे भी किया जा सकता है। लेकिन वर्तमान युग में बेहतर परिणाम/ अच्छे रिजल्ट के लिए क्रमशः यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान का उपयोग किसी योग्य गुरु के मार्गदर्शन में किया जाना उपयुक्त होगा।
आधुनिक मनुष्य के लिए ध्यान बहुत ही जरूरी हो गया है।आज के आधुनिक दुनिया और जटिल जिंदगी में यदि आप मानसिक तनाव मुक्त जीवन के साथ ही शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो योग- ध्यान को अपनाने की बहुत आवश्यकता है।ध्यान आपके जीवन से नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा भरता है।
आधुनिक युग में प्रायः हर आदमी जिंदगी की जिम्मेदारियों, व्यस्तताओं, जटिलताओं, प्रदूषण, शोरगुल तथा विभिन्न आधुनिक मशीनों से निकलने वाले सुक्ष्म तरंगों के प्रभाव से मानसिक तनाव, थकान तथा शारीरिक अस्वस्थता का अनुभव करता है। ध्यान से तनाव के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। निरंतर ध्यान करते रहने से मस्तिष्क को नई सकारात्मक उर्जा प्राप्त होती है। ध्यान गहरी नींद में भी लाभदायक होता है।
जीवन में जब भी आप लोगों के नकारात्मक व्यवहार से भावनात्मक रूप से अस्थिर और परेशान महसूस करते हैं, तो ध्यान से मनोभाव को शांत, संतुलित रखने में सहयोग मिलता है।
ध्यान से मन-मस्तिष्क को आराम और नई सकारात्मक उर्जा मिलती है।ध्यान करने से शरीर की प्रत्येक कोशिका के भीतर प्राण शक्ति,जीवन्तता का संचार होता है।जिससे शरीर स्वस्थ महसूस होता है।शरीर में प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
ध्यान से भरपूर लाभ प्राप्त करने के लिए नियमित अभ्यास करना आवश्यक है।ध्यान नियमित रूप से करने से हमे भरपूर लाभ देता है।
योग में ध्यान का स्थान बहुत ऊंचा है।ध्यान के अनेक प्रकार / विधि है। ध्यान करने के लिए सबसे सरल विधि है - हल्के फुल्के योग्/ व्यायाम करने के पश्चात किसी साफ-स्वच्छ, हवादार, शांत वातावरण में बैठ कर या एकांत में कुर्सी पर बैठकर शरीर को पैर से लेकर सिर तक ढीला या रिलैक्स अनुभव करने के पश्चात बंद आंखों के सामने के अंधेरे या प्रकट होते विभिन्न रंगों या प्रकाश को देखते रहें, और आनंदित महसूस करें। अथवा किसी सुंदर प्राकृतिक वातावरण में अपने आप को बैठा हुआ या टहलता हुआ अनुभव करें अथवा अपने आती-जाती श्वास को देखते रहे इसे विपस्सना ध्यान कहा जाता है। अथवा शांत होकर सौ से उलटी गिनती प्रारंभ करें और अपने आप को रिलैक्स और आनंदित महसूस करते रहें।
इसके अलावा भी और अनेक विधियां हैं जो लोगों के अलग-अलग व्यक्तित्व के हिसाब से उपयोगी होता है। यह सुनने पढ़ने में साधारण है। लेकिन उपयोग करने पर बहुत लाभदायक है। इससे मनोज इस से मनुष्य में संवेदनशीलता का विकास इसे मनोज इसे मनुष्य में संवेदनशीलता का विकास होता है। जिससे यह प्रत्येक मनुष्य के अंदर/ स्वयं के भीतर प्राकृतिक रूप से छिपी अपार मस्तिष्क क्षमता को भी प्रकट करने, सक्रिय करने और सक्रिय कर बहुमुखी प्रतिभावान बनाने में सहयोगी है/ समर्थ है।
🌷 धन्यवाद 🌷
✍योग के आठ चरणों में से सातवें चरण को ध्यान कहा जाता है। यह मनुष्य के मन-मस्तिष्क की शांत, निर्विचार, एकाग्रता की अवस्था है। विज्ञान की भाषा में यह मस्तिष्क की अल्फा तरंग की अवस्था है। यह योग के प्रथम चरण से प्रारंभ कर धीरे-धीरे अभ्यास करते हुए सातवें चरण तक पहुंच कर ध्यान किया जा सकता है। पर इस तरह से ध्यान अधिक लंबी प्रक्रिया है। जो सबके लिए आसान नहीं है। इसको सीधे भी किया जा सकता है। लेकिन वर्तमान युग में बेहतर परिणाम/ अच्छे रिजल्ट के लिए क्रमशः यम नियम आसन प्राणायाम प्रत्याहार धारणा ध्यान का उपयोग किसी योग्य गुरु के मार्गदर्शन में किया जाना उपयुक्त होगा।
आधुनिक मनुष्य के लिए ध्यान बहुत ही जरूरी हो गया है।आज के आधुनिक दुनिया और जटिल जिंदगी में यदि आप मानसिक तनाव मुक्त जीवन के साथ ही शारीरिक रूप से स्वस्थ रहना चाहते हैं, तो योग- ध्यान को अपनाने की बहुत आवश्यकता है।ध्यान आपके जीवन से नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मक ऊर्जा भरता है।
आधुनिक युग में प्रायः हर आदमी जिंदगी की जिम्मेदारियों, व्यस्तताओं, जटिलताओं, प्रदूषण, शोरगुल तथा विभिन्न आधुनिक मशीनों से निकलने वाले सुक्ष्म तरंगों के प्रभाव से मानसिक तनाव, थकान तथा शारीरिक अस्वस्थता का अनुभव करता है। ध्यान से तनाव के दुष्प्रभाव से बचा जा सकता है। निरंतर ध्यान करते रहने से मस्तिष्क को नई सकारात्मक उर्जा प्राप्त होती है। ध्यान गहरी नींद में भी लाभदायक होता है।
जीवन में जब भी आप लोगों के नकारात्मक व्यवहार से भावनात्मक रूप से अस्थिर और परेशान महसूस करते हैं, तो ध्यान से मनोभाव को शांत, संतुलित रखने में सहयोग मिलता है।
ध्यान से मन-मस्तिष्क को आराम और नई सकारात्मक उर्जा मिलती है।ध्यान करने से शरीर की प्रत्येक कोशिका के भीतर प्राण शक्ति,जीवन्तता का संचार होता है।जिससे शरीर स्वस्थ महसूस होता है।शरीर में प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।
ध्यान से भरपूर लाभ प्राप्त करने के लिए नियमित अभ्यास करना आवश्यक है।ध्यान नियमित रूप से करने से हमे भरपूर लाभ देता है।
योग में ध्यान का स्थान बहुत ऊंचा है।ध्यान के अनेक प्रकार / विधि है। ध्यान करने के लिए सबसे सरल विधि है - हल्के फुल्के योग्/ व्यायाम करने के पश्चात किसी साफ-स्वच्छ, हवादार, शांत वातावरण में बैठ कर या एकांत में कुर्सी पर बैठकर शरीर को पैर से लेकर सिर तक ढीला या रिलैक्स अनुभव करने के पश्चात बंद आंखों के सामने के अंधेरे या प्रकट होते विभिन्न रंगों या प्रकाश को देखते रहें, और आनंदित महसूस करें। अथवा किसी सुंदर प्राकृतिक वातावरण में अपने आप को बैठा हुआ या टहलता हुआ अनुभव करें अथवा अपने आती-जाती श्वास को देखते रहे इसे विपस्सना ध्यान कहा जाता है। अथवा शांत होकर सौ से उलटी गिनती प्रारंभ करें और अपने आप को रिलैक्स और आनंदित महसूस करते रहें।
इसके अलावा भी और अनेक विधियां हैं जो लोगों के अलग-अलग व्यक्तित्व के हिसाब से उपयोगी होता है। यह सुनने पढ़ने में साधारण है। लेकिन उपयोग करने पर बहुत लाभदायक है। इससे मनोज इस से मनुष्य में संवेदनशीलता का विकास इसे मनोज इसे मनुष्य में संवेदनशीलता का विकास होता है। जिससे यह प्रत्येक मनुष्य के अंदर/ स्वयं के भीतर प्राकृतिक रूप से छिपी अपार मस्तिष्क क्षमता को भी प्रकट करने, सक्रिय करने और सक्रिय कर बहुमुखी प्रतिभावान बनाने में सहयोगी है/ समर्थ है।
🌷 धन्यवाद 🌷
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