शिक्षा का उन्नत स्वरूप (Advanced form of Education)

      🌷 शिक्षा का उन्नत स्वरूप  🌷
       (Advanced form of Education)
       
            मानव मन-मस्तिष्क क्षमता विकास शिक्षा- प्रशिक्षण से उपलब्ध प्रतिभा का शिक्षा तथा विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अधिकाधिक बेहतर से बेहतर उपयोग कर पाने की सुविधा, शिक्षा-प्रशिक्षण उपलब्ध करवा पाना तथा इससे उपलब्ध ज्ञान का समाज, देश-दुनिया में बेहतर उपयोग की सुविधा उपलब्ध करवा पाना उन्नत शिक्षा एक अच्छा स्वरूप है।
           शिक्षा के क्षेत्र में विकसित देशों की तरह विद्यार्थियों के मन-मस्तिष्क क्षमता का बेहतर उपयोग कर पाने की तकनीक तथा सुविधा उपलब्ध करवाना, विद्यार्थियों के लिए उन्नत मनोविज्ञान के आधार पर पाठ्यक्रम तैयार करना तथा शिक्षा के लिए अधिकाधिक संसाधन जुटाने के साथ विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में शोध को अधिकाधिक बढ़ावा देने के साथ विद्यार्थियों को एक अच्छा इंसान बनने के लिए योग या इसी तरह की अन्य नैतिक शिक्षा की सुविधा उपलब्ध करवाना उन्नत शिक्षा कहलाने का वाजिब हकदार है।
           वैज्ञानिक ढंग से आविष्कृत, रचित तथा प्रयोग किए जा सकने वाला ज्ञान पतंजलि योग- मानव/ विद्यार्थियों को शारीरिक, मानसिक, बौद्धिक, नैतिक रुप से स्वस्थ तथा सबल बनाने के साथ-साथ जन्मजात रूप से उपलब्ध मन-मस्तिष्क क्षमता को और अधिक उन्नत बना सकने में समर्थ है। इसलिए पतंजलि योग शिक्षा को बहुत उन्नत बनाने में महत्वपूर्ण तथा उपयोगी सिद्ध हो सकता है।
           विकसित देशों में शिक्षा का स्तर काफी उन्नत है। विकसित देशों की तुलना में भारत के शिक्षा का स्तर अपेक्षाकृत कुछ कमजोर है। काफी प्रयास के बाद भी अभी तक अपेक्षित सुधार नहीं आ पाया है लेकिन- शिक्षा सुधार के सतत प्रयास के बाद अब धीरे-धीरे पहले की तुलना में भारतीय शिक्षा के स्तर में काफी सुधार आने लगा है, और अब वह दिन दूर नहीं जब भारतीय शिक्षा भी विकसित देशों के समकक्ष होगा।
           विकसित देशों के शिक्षा के उन्नत होने का मूल आधार शिक्षा तथा खोज-आविष्कार को काफी महत्व, बढ़ावा दिया जाना तथा विभिन्न मन मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीकों का उपयोग किया जाना है। अगर हमारे देश में भी ऐसा किया जा सका तो वह दिन दूर नहीं जब हमारा देश भी विकसित देश की श्रेणी में होगा।
           शिक्षा को उन्नत बनाने के लिए शिक्षा पद्धतियों तथा पाठ्यक्रम में बदलाव और विभागीय कसावट के साथ-साथ अगर योग या किसी अन्य तकनीक का उपयोग- विद्यार्थियों मे छिपी अपार मन-मस्तिष्क क्षमता को विकसित करने मे किया जाए तो-
          विद्यार्थियों में शारीरिक मानसिक स्वास्थ्य तथा सबलता उपलब्ध होने से आत्मविश्वास बढ़ेगा तथा योग तकनीक के उपयोग से जन्मजात प्राकृतिक मन मस्तिष्क क्षमता-प्रतिभा विकसित होगा, जिसका वह शिक्षा के क्षेत्र में नए विश्वस्तरीय ज्ञान प्राप्त करने, खोज आविष्कार करने में अधिकाधिक तथा बेहतर उपयोग कर सकेंगे।
          तब वह दिन दूर नहीं जब हमारे देश की शिक्षा और विज्ञान तथा टेक्नोलॉजी काफी उन्नत स्थिति में होगा। देश विकसित देश की श्रेणी में होगा तथा विश्व शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र होगा।
        🌷धन्यवाद🌷
           रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं.)
       पथरिया मुंगेली (छत्तीसगढ़)

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