स्कूली विद्यार्थियों का मनोविज्ञान

         *स्कुली विद्यार्थियों का मनोविज्ञान*
     (Psychology of school students)
✍प्रत्येक विद्यालय में कई अलग-अलग तरह की बौद्धिक क्षमता के विद्यार्थी पढ़ने के लिए आते हैं। इसमें से अनेक सामान्य स्तर के बालक होते हैं, जिनकी पढ़ाई, उनका विचार, समझ, कार्य-व्यवहार सामान्य/औसत स्तर या प्रकार का होता है, इसलिए इन्हें सामान्य विद्यार्थी कहा जाता है।
         इनके अलावा अनेक ऐसे भी विद्यार्थी स्कूल आते हैं जिनकी अपनी कुछ अलग शारीरिक, मानसिक, व्यवहारगत विशेषताएं होती हैं।
इस तरह से-
        मनोवैज्ञानिकों के अनुसार स्कूलों में मुख्यतः पांच प्रकार के विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण करते हैं, और जिनका सीखने का स्तर भी अलग अलग होता है।
जैसे-
   1. *सामान्य विद्यार्थी-*
(Commen students)
 इस तरह के बच्चों का शारीरिक, मानसिक, व्यवहारिक तथा शैक्षणिक स्तर सामान्य स्तर का होता है प्रायः इस तरह के विद्यार्थियों की संख्या शैक्षिक दृष्टि से विकसित क्षेत्रों में अधिक होती है, तथा शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुए क्षेत्रों या ग्रामीण क्षेत्रों में अपेक्षाकृत कम होती है।

2. *प्रतिभाशाली विद्यार्थी*
 (extaordinary student)-
  इस तरह के विद्यार्थी सामान्य विद्यार्थियों की तुलना में सभी बातों में श्रेष्ठ होते हैं।
 *स्किनर  एवं हैरिमेंन के अनुसार-*
 प्रतिभाशाली शब्द का प्रयोग उन 1% बालकों या विद्यार्थियों के लिए किया जाता है- जो सबसे अधिक बुद्धिमान होते हैं।
*क्रो एवं क्रो के अनुसार-* प्रतिभाशाली बालक दो तरह के होते हैं-
*प्रथम-* वे विद्यार्थी जिनकी बुद्धिलब्धि 130 से अधिक होती है और जो असाधारण बुद्धि वाले होते हैं।
*दूसरे-* वे विद्यार्थी जो कला, गणित, संगीत, अभिनय आदि में से एक या अधिक विषय/ क्षेत्र में विशेष योग्यता रखते हैं।
3. *पिछड़े विद्यार्थी*
 (Backword student)-
 जो विद्यार्थी कक्षा का औसत कार्य नहीं कर पाते है और कक्षा के औसत छात्रों से पीछे रहते हैं, उसे पिछड़ा विद्यार्थी कहते हैं।
मनोवैज्ञानिकों के अनुसार  पिछड़े बालक वे हैं- जो उस गति से आगे करने में असमर्थ होते हैं, जिस गति से उसकी आयु के अधिकांश साथी आगे बढ़ रहे होते हैं।

4. *मंदबुद्धि विद्यार्थी*
 (Mentally Retarded Student)-
 जिन विद्यार्थियों ने सोचने समझने और विचार करने की शक्ति मंद होती है, उन्हें मंदबुद्धि बालक कहा जाता है।
मंदबुद्धि बालक धीरे धीरे  सीखते हैं, अनेक गलतियां करते हैं, जटिल परिस्थितियों को ठीक तरह से नहीं समझते हैं। कार्य कारण संबंध को समझने में सामान्यतः कमजोर होते हैं।
5. *समस्यात्मक विद्यार्थी*
 (Problem Student)-
 समस्यात्मक विद्यार्थी उस बालक या विद्यार्थी को कहते हैं, जिनके व्यवहार में कोई ऐसी असामान्य बात होती है जिसके कारण वह संबंधित की समस्या बन जाती है, जैसे चोरी करना, झूठ बोलना आदि।
    विभिन्न तरह के विद्यार्थियों के समूह में उपर्युक्त तरह के विद्यार्थियों को पहचान कर उनके अनुकूल शिक्षा देना, व्यवहार करना अच्छी शिक्षा में सहायक होता है।

                      🌷धन्यवाद🌷
       रामेश्वर वर्मा (शिक्षक पं.)
        पथरिया, मुंगेली (छ.ग.)

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