
🌷हिंदी विश्वप्रसिद्ध भाषा बन सकती है,अगर-🌷
दुनिया में किसी भी भाषा की तुलना में ज्ञान अधिक महत्वपूर्ण है। कोई ज्ञान विश्वस्तरीय उपयोगी हो तो वह जिस भाषा में लिखा जाए लोग प्रयास करके उसी भाषा को सीखने तथा पढ़ने लगते हैं। आज अंग्रेजी विश्व प्रचलित (प्रसिद्ध) भाषा है, क्योंकि आधुनिक शिक्षा तथा और विज्ञान और टेक्नोलॉजी के साथ-साथ अन्य महत्वपूर्ण ज्ञान, खोज-अविष्कार अंग्रेजी भाषा में ही उपलब्ध है।जिसके कारण ही अंग्रेजी विश्व प्रचलित भाषा है।
अगर भारत में भी विश्वस्तरीय खोज-आविष्कार किया जा सका, नया ज्ञान खोजा जा सका, उपलब्ध किया जा सका या भारतीय मूल के विद्वानों द्वारा खोज कर उसे हिंदी भाषा में लिखा जाए, विश्वस्तरीय ज्ञान को हिंदी मेंं अनुवादित कर लिखा जाए अथवा प्राचीन भारतीय ऋषि/मनीषियों द्वारा खोजे गए विश्वस्तरीय ज्ञान पर शोध करके विश्व मानव के उपयोगी रूप में प्रस्तुत किया जाए जैसा कि प्राचीन काल में संस्कृत में लिखा जाता था, तो निश्चित ही विश्व स्तर पर लोगों का रूझान हिंदी भाषा की ओर स्वाभाविक रूप से बढ़ने लगेगा।
क्योंकि वर्तमान में शिक्षा, विज्ञान- टेक्नोलॉजी या अन्य विश्व स्तरीय महत्वपूर्ण ज्ञान हिंदी भाषा में उपलब्ध नहीं होने के कारण अभी तक लोगों का रुझान हिंदी की ओर कम है / हिंदी भाषा की ओर अधिक नहीं हो पाया है।
इसलिए विश्वस्तरीय ज्ञान प्राप्त करने की तकनीक ( जो कि ऋषियों द्वारा खोजे गए ज्ञान के रूप में प्राचीन भारतीय ग्रंथों में योग-ध्यान के रूप में उपलब्ध है) को खोज/शोध कर देश में ही अधिकाधिक खोज- अविष्कार कर सकने सुविधा उपलब्ध कराए जाने की आवश्यकता है, तथा इससे उपलब्ध ज्ञान को हिंदी भाषा में प्रकाशित किए जाने से हिंदी विश्व प्रचलित भाषा तथा हिंदी भाषी भारत विश्व शिक्षा का महत्वपूर्ण केंद्र हो सकेगा।
अगर हम प्राचीन भारतीय ज्ञान को पिछड़ा हुआ कपोल कल्पना या अवैज्ञानिक मानने के पूर्वाग्रह को छोड़कर निष्पक्ष होकर देखें तो विश्वस्तरीय दुर्लभ ज्ञान भारत में प्राचीन ज्ञान के रूप में उपलब्ध है-
1. मन मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक- ध्यान योग
2. साइकिक विजन ( पिक्चर लेंग्वेज), योग-निद्रा (सम्मोहन) के रूप में प्राचीन भारतीय ज्ञान के रूप में उपलब्ध गुप्त( विकसित) मनोविज्ञान।
3. आयुर्वेद के रूप में उपलब्ध विश्व स्तरीय सर्वोत्तम जीवनशैली तथा चिकित्सा ज्ञान के साथ वनस्पति (पौधों) के बारे में विस्तृत जानकारी।
4. प्राचीन भारतीय विषयों- ज्योतिष, वैदिक गणित, खगोल विज्ञान, रसायन विज्ञान, धातु विज्ञान, स्थापत्य कला, वास्तु शास्त्र, संगीत विज्ञान, मंत्र विज्ञान आदि विविध विषयों में सैकड़ों-हजारों प्राचीन ऋषि मुनियों द्वारा खोजे गए दुर्लभ ज्ञान उपलब्ध है।
5. बिना किसी विशेष उन्नत प्रयोगशाला के सिर्फ अपने बौद्धिक मन मस्तिष्क क्षमता (अतीन्द्रिय दर्शन) से विश्वस्तरीय दुर्लभ ज्ञान प्राप्त करने कर सकने की कला का ज्ञान आदि.......।
जिस पर आधुनिक विज्ञान के नजरिए/ से आधुनिक विज्ञान के आधार पर शोध कर उसे आज के परिवेश में भी आधुनिक विज्ञान के विभिन्न शाखाओं के समकक्ष या उनसे बेहतर विश्व स्तरीय ज्ञान के रूप में विश्व पटल पर हिंदी भाषा में प्रस्तुत किया जा सकता है।
अगर हम प्राचीन भारतीय ज्ञान को पिछड़ा हुआ कपोल कल्पना या अवैज्ञानिक मानने के पूर्वाग्रह को छोड़कर निष्पक्ष होकर देखें तो विश्वस्तरीय दुर्लभ ज्ञान भारत में प्राचीन ज्ञान के रूप में उपलब्ध है-
1. मन मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक- ध्यान योग
2. साइकिक विजन ( पिक्चर लेंग्वेज), योग-निद्रा (सम्मोहन) के रूप में प्राचीन भारतीय ज्ञान के रूप में उपलब्ध गुप्त( विकसित) मनोविज्ञान।
3. आयुर्वेद के रूप में उपलब्ध विश्व स्तरीय सर्वोत्तम जीवनशैली तथा चिकित्सा ज्ञान के साथ वनस्पति (पौधों) के बारे में विस्तृत जानकारी।
4. प्राचीन भारतीय विषयों- ज्योतिष, वैदिक गणित, खगोल विज्ञान, रसायन विज्ञान, धातु विज्ञान, स्थापत्य कला, वास्तु शास्त्र, संगीत विज्ञान, मंत्र विज्ञान आदि विविध विषयों में सैकड़ों-हजारों प्राचीन ऋषि मुनियों द्वारा खोजे गए दुर्लभ ज्ञान उपलब्ध है।
5. बिना किसी विशेष उन्नत प्रयोगशाला के सिर्फ अपने बौद्धिक मन मस्तिष्क क्षमता (अतीन्द्रिय दर्शन) से विश्वस्तरीय दुर्लभ ज्ञान प्राप्त करने कर सकने की कला का ज्ञान आदि.......।
जिस पर आधुनिक विज्ञान के नजरिए/ से आधुनिक विज्ञान के आधार पर शोध कर उसे आज के परिवेश में भी आधुनिक विज्ञान के विभिन्न शाखाओं के समकक्ष या उनसे बेहतर विश्व स्तरीय ज्ञान के रूप में विश्व पटल पर हिंदी भाषा में प्रस्तुत किया जा सकता है।
प्रबुद्ध देशवासियों तथा सरकार के सामूहिक प्रयास से अगर ऐसा किया जा सका तो यह हिंदी भाषा को विश्वस्तरीय बना सकने के साथ ही भारत को विश्वगुरु / विश्व शिक्षा का प्रमुख केंद्र बना सकने की दिशा में भी एक सार्थक प्रयास सिद्ध होगा।
🌷धन्यवाद🌷
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