बुद्धि का विकसित स्वरूप !

            🌷बुद्धि का विकसित स्वरूप !🌷
   
वर्तमान युग वैज्ञानिक युग है। विज्ञान के इस आधुनिक जमाने में- विचार, बुद्धि, तर्क, स्मृत्ति ( जिसे मनोविज्ञान की भाषा में चेतन मन या बाएं मस्तिष्क की क्षमता कहा जाता है ) को सबसे बड़ी मस्तिष्क या बौद्धिक क्षमता माना जाता है।
       लेकिन बुद्धि का विकसित रूप- दाएं मस्तिष्क या अवचेतन मन की प्रतिभा/ क्षमता अंतर्बोध (साइकिक विजन) या सिक्स सेंस कहे जाने वाली प्रतिभा क्षमता है, जिसका शिक्षा तथा विज्ञान और टेक्नोलॉजी के साथ मनोविज्ञान के क्षेत्र में विधिवत उपयोग होना शेष है।
       प्राचीन भारत के नालंदा, तक्षशिला विश्वविद्यालय के जमाने तक जब भारत विश्व गुरु की हैसियत रखता था, उस जमाने में विचार, बुद्धि, तर्क के बजाय भारतीय ऋषि/ विद्वान अंतर्बोध या साइकिक विज़न अर्थात दायें मस्तिष्क/ अवचेतन मन की क्षमता विज्ञान की भाषा में मन मस्तिष्क की अल्फा तरंग अवस्था के उपयोग से ज्ञान प्राप्त किया करते थे। जिसमें से अनेक ज्ञान आज भी आधुनिक विज्ञान के लिए अनसुलझे रहस्य के रूप में चुनौती है।
       उपर्युक्त मन मस्तिष्क क्षमता के मुकाबले विचार, बुद्धि, तर्क की प्रधानता महान पश्चिमी विद्वान सुकरात, अरस्तु, प्लेटो की देन/ विकसित प्रतिभा है। जिसे अब प्राचीन भारतीय प्रतिभा के मुकाबले आधुनिक युग में श्रेष्ठ मस्तिष्क क्षमता माना जाता है।
       जबकि आज भी विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण नए खोज-आविष्कार, नए आइडिया वैज्ञानिकों/ विद्वानों को बुद्धि के पार की क्षमता अंतर्बोध (अंतर्मन) से ही उपलब्ध हुए हैं।
        जिसे अवचेतन मनोविज्ञान की जानकारी के अभाव में विचार, बुद्धि, तर्क, स्मृति से प्राप्त माना जाता है।
 इसलिए-
        विश्व ज्ञान/शिक्षा के पर्याप्त विकास के लिए जाने अनजाने उपयोग हो रहे "दोनों तरह के अर्थात संपूर्ण मन मस्तिष्क क्षमता" का शिक्षा के क्षेत्र में विधिवत उपयोग किया जाना अपेक्षित है।
       आधुनिक युग में विश्व स्तर पर प्रचलित जापानी मन मस्तिष्क क्षमता विकास तकनीक "मिड ब्रेन एक्टिवेशन" इसी सिद्धांत पर आधारित है।
       आधुनिक युग में यह सर्वविदित तथ्य है, कि- दुनिया, जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न चीजों को समझने, समस्याओं को सुलझाने के लिए विचार, बुद्धि, तर्क,स्मृत्ति के अत्यधिक उपयोग के बावजूद व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक,) राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न अनंत समस्याएं बढ़ती हुई अवस्था में विद्यमान हैं।
        विज्ञान के सामने भी प्राचीन काल के अनेक ज्ञान आज भी अनसुलझे रहस्य के रूप में विद्यमान है। ब्रह्मांड/ अस्तित्व का 95% हिस्सा अज्ञात डार्क मैटर और डार्क एनर्जी के रूप में अज्ञात है।
        जिस के निदान के लिए शिक्षा के क्षेत्र में विचार, बुद्धि, तर्क, स्मृति के साथ-साथ अंतर्बोध अर्थात अवचेतन मन की प्रतिभा क्षमता का भी प्रयोग किया जाना आवश्यक है   
       विश्व गुरु की स्थिति प्राप्त प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति तथा योग-ध्यान, तंत्र विज्ञान, आधुनिक मनोविज्ञान की दृष्टि में- मन की आंख से चीजों को देखने/समझने की क्षमता अर्थात साइकिक विजन (चीजों को चित्रमय रूप में देखने की प्रतिभा-क्षमता) या दायाँ मस्तिष्क, सूक्ष्म शरीर की प्रतिभा, अंतर्बोध, विज्ञान की भाषा में मन मस्तिष्क की अल्फा तरंग अवस्था ही- बुद्धि का विकसित रूप/अवस्था है।
        जिसके उपयोग से बहुत कम समय में उच्च स्तरीय ज्ञान प्राप्त किया जा सकना संभव होता है, जिसका काफी उपयोग प्राचीन भारतीय शिक्षा पद्धति में हुआ करता था। जिसके बदौलत ही भारत को विश्व गुरु की स्थिति उपलब्ध हुआ था तथा उस ज्ञान से उपलब्ध अपार समृद्धि के कारण ही भारत देश को सोने की चिड़िया भी कहा जाता था।
        आधुनिक वैज्ञानिक जमाने में भी दुनिया के लगभग सभी महत्वपूर्ण खोज/आविष्कार जाने-अनजाने मन मस्तिष्क की इसी अवस्था में उपलब्ध हुए हैं। नाम भले ही विचार, बुद्धि, तर्क,स्मृत्ति का होता है।
        इसलिए शिक्षा के विकास तथा विज्ञान के अनसुलझे रहस्यों को सुलझाने के लिए विचार, बुद्धि, तर्क, स्मृति के साथ-साथ जन्मजात प्राकृतिक रूप से मानव में विद्यमान इस अंतर्बोध रूपी मन मस्तिष्क प्रतिभा क्षमता का विधिवत उपयोग शिक्षा तथा विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में किया जाना सर्वाधिक महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।
        इससे संबंधित जानकारी योग-ध्यान के साहित्यों, ग्रन्थों में प्राचीन ऋषियों/विद्वानों द्वारा उपलब्ध करवाए गए ज्ञान के रूप में उपलब्ध है, जो मानव चेतना/ मन के विभिन्न गहरे स्तरों जैसे- पंचकोश, सात चक्र, चेतन मन, अवचेतन मन, अवचेतन मन, अतिचेतन मन, कुण्डलिनी ऊर्जा, सूक्ष्म-शरीर के नाम से विधिवत वर्णित रूप में पर्याप्त उपलब्ध है।
       जिसे "शोध" से शिक्षा तथा विज्ञान उपयोगी बनाया जा सकता है। इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए योग-ध्यान का अध्ययन/ प्रयोग सर्वाधिक सहयोगी,उपयोगी सिद्ध होगा।
       यह विश्व ज्ञान-विज्ञान के विकास या पूर्णता के लिए विश्व विद्वानों के इच्छानुरूप धर्म और अध्यात्म का बहुप्रतीक्षित दुर्लभ संयोग सिद्ध होगा।
   
                           धन्यवाद 

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